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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

कृमि रोग चिकित्सा

कृमि रोग चिकित्सा

कृमि दो प्रकार के होते है एक बाहर का एक भीतर का
बाहरवालो का जन्म दो स्थानों से होता है एक मल से दूसरे पानी से ।

*भीतर के कृमि की उत्पत्ति*- अजीर्ण में भोजन खाने से ओर डेली मीठा खाने से , खट्टा पतला खाय भोजन करके परिश्रम न करे दिन में सोए और विरुद्ध भोजन करे तो पेट में कृमि पड़ जाते है ये कृमि गिडोला आदि से 20 प्रकार के होते है।

*उदर में गिडोला(उदर कृमि)पड़ गए हो उसके लक्षण*-
ज्वर हो आवे और शरीर का रंग और का ओर हो जाये, पेट मे शूल हो, हृदय दुःखे, वमन, भृम, भोजन में अरुचि, अतिसार ये लक्षण जिसके हो तो उसके पेट मे कृमि जाने ।

*कृमि रोग को दूर करने के लक्षण*- खुरासानी अजवाइन 8 gm बासी पानी से 7 दिन ले ।

अथवा

पलास के बीज 8 gm पानी मे पीस शहद डाल के ले । 5 दिन ले

अथवा

8 gm बायविडंग पीस के 8 दिन शहद से ले ।

अथवा

वायविंडग, सेंधानमक, हरड़ की छाल जवाखार प्रत्येक सम भाग पीस के रख ले और इसमें से 8 gm सुबह खाली पेट मट्ठा यानी छाछ से ले । ये 8 दिन करे ।

*बाहर के कृमि*-

*सिर के जूं , लीख पड़ जाए उसे दूर करने का यत्न*-

धतूरे के पत्तों के रस में अथवा नागर वेल के पत्तों के रस में पारा मिला कर लेप करें तो जूं , लीख मर जाती है।

*गुदा में चुन्ने पड़े हो उसको दूर करने का उपाय*- हींग को जल में पीस कर लेप करें तो चुन्ने जाए , अथवा काहू के फूल , बायविडंग, कलिहारी की जड़, सफेद चंदन, राल , खस ,भिलावा लोवान इन सबको बराबर मिलाय धूनी दे तो चुन्ने, घर के मच्छर, खटमल, भी जाये यह बैद्य रहस्य और बैद्य विनोद में रखा है ।

डॉ. गुरुवेंद्र सिंह
9466623519
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बुधवार, 15 अप्रैल 2020

*अतिसार(डायरिया)*

*अतिसार(डायरिया)*

नमस्कार दोस्तों आज मैं (डॉ गुरुवेन्द्र सिंह ) संजीवनी परिवार के सौजन्य से आज आपको अतिसार यानी डायरिया से अवगत कराऊंगा व उसके रोकथाम के उपाय भी देगें

ये रोग 4 प्रकार का होता है

1. *ब्लौस डायरिया* - इसको आयुर्वेद में पक्वातिसार कहते है इसमें पतले दस्त होते है कुछ गाढ़ा व कुछ पीला मल निकलता है

2. *म्यूकस डायरिया*- गांठ लेकर गाढ़ा व पीला मल निकलता है।

3- *सिरस डायरिया* - पानी की तरह पतले दस्त

4- *सिम्पेथेटिक डायरिया* - पतले , गाढ़े भिन्न भिन्न रंगों के दस्त होते है

*लक्षण*
*साधारणतया डायरिया में दस्त होते है , वमन होती है, स्वांस में दुर्गन्ध आती है, पेट फूल जाता है, तथा उसमें पीड़ा होती है रोगी को शीत लगता है कमजोरी आती है प्यास लगती है जीभ का रंग मैला से हो जाता है*।

*डायरिया के कारण*- अत्यंत गर्म भोजन करना मिर्च आदि तीक्ष्ण चीजें खाना , उपबास के उपरांत गर्म पदार्थ खाना , नियम पूर्वक आहार विहार का पालन करना , शोक व भय आदि डायरिया को पैदा करते है।

बालको को दूध के दाँत निकलते समय , तथा गर्भवती प्रसूता स्त्रियों को भी ये यह रोग होता है ।

*पेचिश(Dysentery)*

Dysentery को आयुर्वेद में *प्रवाहिका* और हिकमत में *पेचिश* कहा जाता है ।ये तीन प्रकार की होती है ।

*प्रथम दर्जा*- बड़ी आंतों में सूजन हो जाती है इसलिए मरोड़ा की पीड़ा होकर पतले दस्त होते है।

*दूसरा दर्जा* -खामेड्सनामक पर्दे में जख्म हो जाता है इस लिए उस समय आंव व खून के दस्त होते है ।

*तीसरा दर्जा*- वही पर्दा काला और निर्बल हो जाता है उस समय हरे पीले आदि तरह तरह के दस्त आते है।

*Dysentery के लक्षण*

इस रोग में रोगी के पेट मे सुई चुभने जैसा दर्द होता है थोड़ी थोड़ी देर में पाखाना जाना पड़ता है भूख बन्द हो जाती है प्यास लगती है पेट पर अफारा आ जाता है तथा रोगी के शरीर से दुर्गन्ध आती है ।

  यह रोग चिकित्सा करने के बाद भी बढ़ता जाए तो ये असाध्य हो जाता है पहले दर्जे में ये सुख साध्य ,दूसरे दर्जे में कष्ट साध्य और तीसरे दर्जे में असाध्य हो जाता है।

*Dysentery के कारण* - अत्यंत गर्मी, गर्म व खुश्क पदार्थ , कच्चे फल, कच्चे अन्न, तथा देर से पचने वाले पदार्थ इस रोग के प्रमुख कारण है *इसके अतिरिक्त मलेरिया से भी ये रोग पैदा होता है*

*अतिसार चिकित्सा*
अतिसार रोग में रोगी के बार बार पाखाना जाने से और किसी प्रकार का आहार न ले पाने से शरीर मे पानी की कमी हो जाती है ये जल की कमी डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) जान लेवा भी सिद्ध हो सकती है इसलिए W.H.O का O.R.S घोल ले यदि ये न मिले तो इलेक्ट्रोल पाउडर का प्रयोग करे अथवा घर पर ये घोल बनाये 200 ml ताजा जल में 2 चम्मच ग्लूकोज या शक्कर ओर 2 चुटकी नमक मिला कर । रोगी को आवश्यकता नुसार थोड़ी थोड़ी देर में दे इसके अलावा रोगी को मीठी शिकंजी , नारियल पानी चावल का मांड जौ का पानी , दाल का पानी , मट्ठा अथवा फलों का रस भी दिया जा सकता है।
मामूली रोग में इस प्रयोग से ठीक हो जाते है ।

इसके अलावा -

गृहणी कपाट वटी, अमेविका tab, डायरोल tab, अतिसारांतक कैप्सूल, डायोनिल कैप्सूल, ओजस tab, दीपन tab, डायोरेक्स tab

कोई भी एक दो tab चिकित्सक की देख रेख में ले ।

व साथ मे डायडिन सीरप , अर्क कपूर, क्लोरोडिन पेय, अमृत धारा पुदीन हरा , धारा का प्रयोग चिकित्सक की देख रेख में कर सकते हो ।

Note- *रोगी के दस्त में आराम हो जाए तो एकदम न रोके क्योकि दस्त अपच के कारण होते है इससे पाचन तंत्र और शरीर की शुद्धि होती है ऐसे में दीपक और पाचक दवाएं दे* ।

*पेचिश(Dysentery)* *की चिकित्सा*

डायोरेक्स tab, डायोरेन tab, ग्रहणी कपाट वटी, डिसेन्ट्रोल tab, डायारिल पेय चिकित्सानुसार दे।

*अतिसारों में कुछ शास्त्रोक्त दवाएं*

पथ्यादि क्वाथ, पाठादि चूर्ण, शुंठी पुटपाक, समंगादि चूर्ण,गंगाधर चूर्ण, बृहतगंगाधर चूर्ण, , कुटजावलेह, बत्सकावलेह, लौह पर्पटी, स्वर्ण पर्पटी, जाति फलादि वटी, करपुरादि वटी, चंद्रकली वटी, विजयावलेह, बिल्बादि चूर्ण, अतिसार गज केसरी चूर्ण, खदिरादि वटी, अतिसारांतक चूर्ण, रसांजनादि चूर्ण आदि चिकित्सानुसार सेवन कर सकते है ।

*अतिसार कुछ घरेलू उपाय*

1- सोंठ, काली मिर्च,पीपर, हींग, वच, हरड़, और काला नमक प्रत्येक का समभाग बनाया गया चूर्ण गर्म जल से सेवन करने से आमातिसार नष्ट हो जाता है।

2 - भांगरे का रस दही से सेवन करने से समस्त प्रकार का अतिसार ठीक होता है।

3- बेलगिरी या कच्चे बेल को जल में उबालकर शहद के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से समस्त प्रकार का अतिसार और प्रवाहिका रोग नष्ट होता है।

3- बबूल की कोमल पत्तियां अधिक मात्रा में लेकर जल के साथ पीसकर पीने से अतिसार ठीक होता है।

डॉ. गुरुवेन्द्र सिंह
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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

*हैजा या विषूचिका

*हैजा या विषूचिका*

       नमस्कार दोस्तों अब समय गर्मी का आ गया है ऐसे में हैजा और विषूचिका रोग बहुत होते है इस रोग में उल्टी और दस्त रुकने का नाम नही लेते है बहुत लोग तो  मर कर ऊपर तक पहुँच जाते है । अंग्रेजी में एक कहावत है (prevention is better than cure) यानी इलाज करने की अपेक्षा रोग का रोकना अच्छा है ।  जैसा अभी कोरोना के लिए कहा जा रहा है । इसलिए इस रोग को रोकने के उपाय करने चाहिए ।

उपाय -
नीम के पत्ते 10 gm
कपूर - .125 gm
हींग - .125 gm

इन तीनो को पीस कर इसमे 6 gm गुड़ मिला कर चना बराबर गोली बना ले ।

सेवन बिधि- रोज रात को एक गोली सोने से पहले खा ले ।

लाभ- इससे हैजा होने का खतरा नही होता है।

ये प्रयोग खुद करे व गाँव के अन्य लोगो को भी बताए व पोस्ट को आगे शेयर करें।
लेखक - *डॉ. गुरुवेंद्र सिंह*
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मंगलवार, 24 सितंबर 2019

 शरीर शोधन चूर्ण  

🌹✍🏻  शरीर शोधन चूर्ण   ✍🏻🌹

*(कब्ज नाशक , ख़ुलासा दस्त लाने बाला ,परीक्षित प्रयोग)*

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

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योग -
काला दाना - 30 gm
सनाय -30gm
काला नमक - 10 gm

निर्माण बिधि - सभी सामिग्री लेकर पहले काला दाना और सनाय को कूट पीस कर कपड़छन कर ले उसके बाद काला नमक को पीस कर छानकर पहले बाले चूर्ण में मिला ले और किसी कांच के बर्तन में रख ले इस चूर्ण की मात्रा चाय की चम्मच आधी से एक गुनगुने  ले । रात को सोते समय सेवन करे  इससे सबेरे ही 1या 2 खुल कर दस्त होंगे खुराक कम ही ले अपने हिसाव से कम या अधिक खुराक कर ले कम खुराक होने पर मल बंध कर आता है अधिक होने पर पतला मल आता है

विशेष - यह चूर्ण यकृत , प्लीहा , शूल, और गर्भाशय के रोगों में भी दिया जा सकता है इसके अतिरिक्त जिन रोगों में औषधि प्रयोग से पहले कोठा साफ करने की आवश्यकता होती है उन सभी जगह इस चूर्ण को दिया जा सकता है किंतु कोठे का सारा मल बंधे हुए दस्त के रूप में निकल जाता है ।

       इस औषधि के सेवन करने से पेट मे दर्द सा होता है क्योंकि चूर्ण आंतों में जमे हुए मल को खुरचता है । ऐसी स्थिति में थोड़ी सी सौंफ मुह में रख के चूसने से शीघ्र ही मल निकल जाता है ।

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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 तिल्ली , पेट दर्द

🌹✍🏻  तिल्ली , पेट दर्द   ✍🏻🌹

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फिटकरी सफेद ,कलमी शोरा, सुहागा, नोशदर प्रत्येक15-15ग्राम सबको अलग अलग पीसकर रखें फिर एलोवेरा का एक मोटा सा पत्ता लेकर उसे मध्य में से किनारों की ओर से लम्बा चीर ले और दोनों टुकड़ो पर पीसी हुई दवा छिड़क कर दोनों टुकड़ो को परस्पर मिलाकर धागे से बांध दे । और धूप में लटका कर नीचे चीनी का प्याला रख दे । अर्क टपक कर प्याले में एकत्र हो जाएगा । जो कि उदर शूल के लिए अक्सीर है मात्रा तीन बून्द बतासे में डालकर निगलवा दिया करे ।

परहेज - चिकनी वस्तुएं और आलू , दाल , मांस तथा बैगन के शाक , कद्दू, भिंडी, कटहल , उड़द, अरबी , आम व आमचूर व खट्टी चीजें आदि से परहेज रखे ।
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Note-  *जिन माताओ बहिनों को गर्भाशय के इंफेक्शन हो , गर्भाशय बाहर आ जाता हो , योनि की नसें कमजोर हो गयी हो यानी ढीलापन आ गया हो , स्तन का विकास न हो रहा हो या स्तन लटक गए हो , रसौली हो , शरीर के किसी भी भाग में गांठ हो , शुगर हो , जिनको परिवार नियोजन अपनाना हो बो आपरेशन न कराये दवा ले , मोतियाबिंद , आंखों से चश्मा उतारने की दवा के लिये सम्पर्क करें*
https://youtu.be/N4z7vs6bZGY

*लीवर सिरोसिस,  लिवर बिल्कुल खराब हो गया हो डॉक्टर जबाब दे दिया हो  सम्पर्क करें ,  सोराइसिस कैसी भी कही भी हो ठीक होगी गारन्टी से , सफेद दाग कही हो ठीक होगा , पेट मे इंफेक्शन हो ठीक होगा , किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की  दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा ,हार्ट ब्लॉकेज 2 माह में खत्म , किडनी खराब , डायलेसिस 2 माह में बंद , शुगर 20 दिन में खत्म ,  पित्त की पथरी , गुर्दे की पथरी , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।*
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 पेट का शूल

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पेट का शूल -इसमें बच्चा चिल्ला -चिल्ला कर रोता है और घुटनों को समेटकर पेट की ओर ले जाता हैं बच्चे का रोना प्रायः पेट की पीड़ा से ही हुआ करता है ऐसे अवसर पर निम्नलिखित योग दे
योग -सुहागा भुना हुआ 5 ग्राम, काला नमक 10 ग्राम  दोनों को महीन पीसकर रखें और आवश्यकता पड़ने पर उष्ण जल में1 चुटकी डालकर पिलाये ,ईश्वर चाहे तो उसी समय स्वास्थ्य लाभ होगा
अमृतधारा की एक बूंद बूरे अथवा जल में मिलाकर दे!पीड़ा तुरन्त दूर  हो जयेगा
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गुरुवार, 16 मई 2019

गन्धर्व हरीतकी क्या है कैसे बनायें

🌹✍🏻   गन्धर्व हरीतकी क्या है कैसे बनायें   ✍🏻🌹

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गन्धर्व हरीतकी क्या है कैसे बनायें
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हरीतकी (Haritaki) उत्तम टॉनिक होने के साथ-साथ रेचक भी है यह आपके पेट के सभी रोगों में रामबाण है ये आपके लिए कब्ज, पेट दर्द, आफरा, गैस, बदहजमी, लिवर की तकलीफे तथा पाइल्स में यह बेहतरीन औषधि साबित होती है आचार्य भावमिश्र जी अपने भावप्रकाश का आरंभ हरीतकी से करते है-

गन्धर्व हरीतकी (Gandharva Haritaki) क्या है कैसे बनायें-
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आयुर्वेद के ऋषियों ने लिखा है-

    यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरीतकी ।
    कदाचिद् कुप्यते माता, नोदरस्था हरीतकी ॥

भावार्थ-

जिन मनुष्यों के घर माँ नहीं है हरीतकी उनकी माँ समान हित करने वाली है माता तो कभी-कभी नाराज़ भी हो जाती है परन्तु खायी हुई हरड़ कभी भी अपकारी नहीं होती है-

जिसके घर मे माता नहीं है उसकी माता हरीतकी है कभी माता भी कुपित (गुस्सा) हो जाती है परंतु पेट मे गई हुई हरीतकी (हरड़) कुपित नहीं होती है आयुर्वेद के सबसे पुराने व प्रतिष्ठित ग्रंथ चरक संहिता मे महर्षि पुनर्वसु आत्रेय जो औषधि लिखी है उसमे सबसे पहली औषधि हरितकी लिखी है-

आज हम आपको शास्त्रोक्त आयुर्वेद का एक ऐसा ही योग बनाना सीखा रहे है जो कि एक मृदु विरेचन है और पेट के समस्त रोगों तथा अजीर्ण, फ़टी एडिया, मुँह के छाले, जोड़ो के दर्द, कमर दर्द, एड़ी के दर्द, पाइल्स, फिशर और मस्सों पर अधिक लाभदायक है-

इस योग की विशेषता यह है कि यह वात विकार को संतुलित करता है आयुर्वेद के हिसाब से बड़ी आंत वायु शथल है जब वायू कुपित होता है तब बड़ी आंत में ड्रायनेस बढ़ जाती है जिससे जोड़ो के दर्द तथा पाइल्स ओर फिशर फिस्टुला जैसी बीमारी होती है तब यह योग पेट की गंदगी निकालता है और आपके आंतो की सफाई भी करता है ये पेट की गर्मी निकालता है आंतो को अंदर से नरम और इलास्टिसिटी को भी बरकरार रखता है-

गन्धर्व हरीतकी (Gandharva Haritaki) बनाने की विधि-
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बाल हरड़ या छोटी हरड़- 200 ग्राम
एरंडी का तेल- 250 ग्राम

सबसे पहले आप एरंडी के तेल में 5-6 छोटी हरड़ डालकर तल लें चूँकि तले जाने पर हरड़ फूल कर दुगनी हो जाएगी तब इसे कड़ाही से निकाल लें और ऐसे ही सारी हरड़ तल लें तथा अब ठन्ड़ी होने पर मिक्सर में पीस ले अब आप साथ मे 15 ग्राम सेंधा नमक और 15 ग्राम पिपली चूर्ण मिलाए ये आपका गन्धर्व हरीतकी चूर्ण तैयार हो गया है-

कैसे सेवन करें-
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आप इसे रोज रातको सोने से पहले 1-1 चम्मच गर्म पानी से ले।

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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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 उदर सूल पेट अफारा गैष तेजाब अपचय मंद अग्नि दीपचं पाचन

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उदर सूल पेट अफारा गैष तेजाब अपचय मंद अग्नि दीपचं पाचन के लिए इस से उत्तम योग आप को कही नही मिलेगा 5 मिंट में ये अपना प्रभाव दिखा देता है
घटक
गोड तुम्बा 15 ग्राम
अजवायन 20 ग्राम
सॉफ     20
सनाय 20
आक की जड़ की छाल 20 ग्राम
आक के फूल 20
धनिया 20I
पीपल 20
सौंठ  20
पिली हरड़ 20
लौंग 20
दालचीनी 20
काली मिर्च 40
नोसादर 40
सेंधा नमक 40
काला नमक 40
आंवला 40
हिरा हींग अछे वाला 40 ग्राम
सब को कूट पीस कर पॉवडर बना ले 200 से 300 ग्राम भाग का तजा रस निकाल के इस में भावना दे जब भांग रस सुख जाइए तो इस पॉवडर की 2 घण्टे माम् जिस्टे कुटे फिर 400 ग्राम नीबू कर रस में रगड़ाई करे जब रगड़ाई करते करते सूखने लगे तो चने बराबर गोली बना ले और सूखा ले खाना खाने के बाद 1 गोली के सब खाना हजम मात्र 30 मिंट में  इतने कमाल की चीज है किसी भी ग्रन्थ में ये योग नही मिलेगा
जय आयुर्वेद
ये मेहनत खुद करे खुद बनाये पूरी डिटेल दे दी है किसी को बनाने में दिक्कत हो तो फोन से पूछ ले हम हेल्फ करने को तैयार है व बना हुआ भी उपलब्ध है
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अल्सर

🌹✍🏻   अल्सर   ✍🏻🌹

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अल्सर होने पर घरेलू प्रयोग अपनायें-
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अल्‍सर(Ulcer)होने पर छाती के पास दर्द होता है अगर दर्द छाती के पास हो तो इसे एसिडिटी रिफ्लेक्शन का असर समझना चाहिए इससे दिल के दर्द का शक होता है लेकिन दिल का दर्द छाती के ऊपरी हिस्से में होता है और कभी-कभी एसिडिटी की वजह से भी उसी जगह दर्द होता है इसलिए इन दोनों स्थिति के बीच में बिना जांच के अंतर समझ पाना आसान नहीं है-


अल्‍सर के मरीजों का वजन बहुत तेजी से घटने लगता है अल्‍सर(Ulcer)होने पर मरीज खाने के प्रति उदासीन हो जाता है जिसके कारण वजन कम होता है और खाना भी अच्‍छे से नही पच पाता जो वजन घटने का कारण है खासकर पेप्टिक अल्‍सर होने पर बिलकुल भूख नही लगती है सामने खाना होने पर भी खाने की इच्छा नहीं होती है-

उल्टी होना या उलटी जैसा महसूस होना अल्‍सर(Ulcer)का लक्षण माना जा सकता है ऐसी स्थिति में अक्‍सर मरीज को लगता है कि उलटी होने वाली है लेकिन जब अल्‍सर बढ़ जाता है तो हालत और भी खराब हो सकती है अल्‍सर बढ़ने पर तो खून की उलटी हो सकती है ऐसे में स्टूल(मल)का रंग काला हो जाता है-

चूँकि शरीर में विजातीय द्रव्यों(विष)का बढ़ना भी इस रोग का कारण है अतः मात्र आमाशय के घाव को निरोग करना इसका स्थायी निवारण नहीं क्योंकि शरीर की दूषित अवस्था में एक स्थान का घाव अच्छा होने पर उसकी दूसरे स्थान पर पुनः उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है अतः आहार चिकित्सा के साथ-साथ शरीर का शोधन करना अति आवश्यक है रोगी को कम-से-कम तीन सप्ताह तक प्राकृतिक उपचार एवं प्राकृतिक नियमों का पालन करना चाहिए रोगी को अल्सर की चिकित्सा में प्रतिदिन पेट की लपेट का प्रयोग करना चाहिए-

पेट की लपेट की विधि-

पेट की लपेट के लिए महीन सूती कपडा लगभग एक फिट चौड़ा एवं लम्बा इतना कि पेट पर तीन-चार लपेटे लग जाएँ इस कपडे कि पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें तत्पश्चात इसे पेडू से नाभि के ऊपर तक रखकर लपेट लें इस गीली पट्टी के ऊपर कोई गर्म कपडा जैसे शाल या चादर इस तरह लपेटें कि नीचे वाली गीली पट्टी पूरी तरह से ढक जाय इसके अतिरिक्त निम्नलिखित क्रम से चिकित्सा करनी चाहिए-

अल्‍सर(Ulcer)के लिए घरेलू उपाय-

1- अल्‍सर(Ulcer)के लिए पोहा बहुत फायदेमंद घरेलू नुस्खा है इसे बिटन राइस भी कहते हैं आप पोहा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लीजिए 20 ग्राम चूर्ण को 2 लीटर पानी में सुबह घोलकर रखिए तथा इसे रात तक पूरा पी जाएं यह घोल नियमित रूप से सुबह तैयार करके दोपहर बाद या शाम से पीना शुरू कर दें इस घोल को 24 घंटे में समाप्त कर देना है इससे आपको अल्सर में आराम मिलेगा-

2- सहजन(Drumstick)के पत्ते को पीसकर दही के साथ पेस्ट बनाकर लें और इस पेस्ट का सेवन दिन में एक बार करने से अल्सर में फायदा होता है-

3- अल्सर के रोगी को ऐसा आहार देना चाहिये जिससे पित्त न बने, कब्ज और अजीर्ण न होने पाये इसके अलावा अल्‍सर के रोगी को अत्यधिक रेशेदार ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिससे अल्‍सर को जल्‍दी ठीक किया जा सके-

4- पेप्टिक अल्सर के उपचार के लिए बकरी का दूध बहुत प्रभावी है यह छालों को भरने के लिए कारगर है इसे कच्चा लेने से भी अल्सर के रोगी को बेहतर नतीजे मिलते हैं एक गिलास ता़ज़ा और कच्चा दूध दिन में तीन बार लें-

5- बेलफल का गूदा अल्‍सर(Ulcer)में बहुत राहत पहुँचाता है इसका शरबत बनाकर भी पी सकते हैं यह फल लिसलिसा होता है और इसकी प्रकृति भी ठंडी होती है यह आपके पेट की अंदरुनी सतह पर सुरक्षा कवच की तरह काम करता है-

6- मेथीदाने को पानी में उबालकर पीने से पेप्टिक अल्सर में राहत मिलती है मेथीदाने को पानी में उबालने पर यह हल्के से लिसलिसे हो जाते हैं यह लैस पेट में पहुँचकर छालों पर जमकर सुरक्षाकवच के रुप में काम करता है जिससे मरीज़ को राहत मिलती है-

7- पेप्टिक अल्सर के लिए केला सबसे प्रभावी उपायों में से है केले में एसिडिटी कम करने वाला एक पदार्थ होता है जिसे विटामिन-यू कहा जाता है इसके प्रभाव से अल्सर से होने वाली जलन कम होती है पेप्टिक अल्सर से गंभीर रुप से प्रभावित रोगियों को एक गिलास दूध और दो केले दिनभर में तीन-चार बार लेना चाहिए इसके अलावा और कुछ नहीं खाना चाहिए-

8- पत्ता गोभी और गाजर को बराबर मात्रा में लेकर जूस बना लीजिए इस जूस को सुबह-शाम एक-एक कप पीने से पेप्टिक अल्सर के मरीजों को आराम मिलता है-

9- छाछ की पतली कढ़ी बनाकर रोगी को रोजाना देना चाहिये तथा अल्सर में मक्की की रोटी और कढ़ी खानी चाहिए-

10- दूध पीने से भी गैस्ट्रिक एसिड बनाता है लेकिन अगर आप आधा कप ठंडे दूध में आधा नीबू निचोड़कर पियें तो वह पेट को आराम देता है और जलन का असर कम होता है अल्सर ठीक होता है

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

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