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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

गंधक तेल

🌹✍🏻    गंधक तेल     ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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गंधक का तेल बनाने के लिए 1 गज भर कपड़ा लेकर के उसको थूहर के दूध से भिगो के सुखा दें फिर आप के दूध से सुखा दें उन्हें इसी प्रकार से करें ऐसा 7 बार करें फिर गंधक को घी में मिलाकर के कपड़े पर मोटा लेप करते हैं और इस कपड़े को एक  बत्ती की तरह बना ले रोल करके और एक खूंटी पर टांग दें और उसमें आग जला दें आग नीचे से लगानी है नीचे एक बर्तन रख दें बर्तन में निचे तेल जमा हो जाएगा ।

गुण - इस तेल से दाद, खाज ,खुजली , में शर्तिया फायदा होता है प्रयोग करे और फायदा ले और दुसरो को भी दे

note- पथरी की दवा के लिए संपर्क करे चाहे कही भी पथरी हो शर्तिया ठीक करने होती है

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
🌳🕉🌺संजीवनी परिवार 🌺🕉🌳
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गुरुवार, 19 अक्टूबर 2017

आयुर्वेदिक तेल भाग ३

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक तेल भाग ३ !!* 🌺🙏🏻🌺

          *!! गर्भविलास तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द होने की दशा में इस तेल की मालिश धीरे-धीरे पेट पर करने से आराम मिलता है ! इसकी लगातार मालिश से गर्भ पुष्ट होता है !!

        *!! चन्दनादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह सिर दर्द, उन्माद, जीर्ण ज्वर, रक्त पित्त, क्षय आदि में लाभदायक है !!

          *!! गन्धकपिष्टी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह प्रत्येक प्रकार की नर्इ-पुरानी खारिश में लाभ प्रदान करता है !!

         *!! ग्रहणीमिहिर तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह ग्रहणी, अतिसार, ज्वर, तृष्णा, हिक्का व उदर रोगों में लाभ करता है ! असमय बाल पकने व ढीली चमड़ी को सख्त करने में गुणकारी है ! यह ३ से ६ ग्राम की मात्रा में पिलाना चाहिए या मालिश करनी चाहिए !!

         *!! खदिरादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह दांतों की सड़न, मुँह का पकना, मसूढ़ों का पकना, मवाद निकलना, दाँतों में छिद्र होना, दाँतों में कीड़े लगना, मुँह की दुर्गन्ध आदि में लाभ प्रदान करता है !!

          *!! इरिमेदादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* इस तेल के कुल्ले करने से मसूढ़ों की सढ़न, पीप, दाँतों का हिलना व जीभ व तालू की पीड़ा व मुँह के अन्य रोगों में लाभ मिलता है !!

         *!! कुष्ठाराक्षस तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह सफेद कुष्ठ, खारिश व अन्य रक्त विकारों में लाभ करता है !!

         *!! कासीसादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* इस तेल को बवासीर के मस्सों पर लगाने से ये जल्दी ठीक हो जाते हैं ! यह इन मस्सों को काट कर गिरा देता है !!

             *!! कुम्भी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* कुम्भी तेल का उपयोग कान के दर्द, कान से मवाद आना, कान के भीतर फोड़े-फुंसी आदि में किया जाता है !!

            *!! अणु तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह सिर दर्द, आधे सिर का दर्द, वात नाड़ियों की कमजोरी से सिर का हिलना आदि में लाभ करता है ! इसका नस्य लेने से कान, नाक व आँखों की इन्द्रियों को बल मिलता है !!

*!! आयुर्वेदिक तेल प्रकरण और भी हैं ! पर इसी पोस्ट के साथ विराम देतें हैं !!*

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आयुर्वेदिक तेल भाग २

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक तेल भाग २ !!* 🌺🙏🏻🌺

         *!! बृहद् विष्णु तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* बृहद् विष्णु तेल लकवा, नसों की कमजोरी, वातरक्त, शुक्र की कमी के कारण आर्इ कमजोरी में यह आशातीत लाभकारी है !!

          *!! विपरीतमल्ल तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* विपरीतमल्ल तेल खुजली, दाद, कुष्ठ के घाव, कटे के घाव, फोड़े, उपदंश के घाव व सभी प्रकार के घावों में इस्तेमाल से लाभदायक है !!

         *!! बिल्व तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* बिल्व तेल कान में डालने से कान का दर्द, कम सुनार्इ देना, सांय-सांय की आवाज होना आदि में लाभ प्रदान करता है !!

        *!! व्रणराक्षस तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* व्रणराक्षस तेल चर्मरोग, व्रण, नाड़ीव्रण (नासूर), माँस-वृद्धि, विचर्चिका (एक्जिमा) , दाद, अपची आदि में लाभ प्रदान करता है !!

       *!! बाधिर्य नाशक तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* कान में मैल जम जाने या कान के छेद किसी कारण बन्द हो जाने या सुनने की शक्ति कम हो जाने या सुनार्इ कम देने में बाधिर्य नाशक तेल का उपयोग लाभदायक है !!

           *!! वासाचन्दनाद्य तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* वासाचन्दनाद्य तेल कास, ज्वर, रक्तपित्त, पांडु, हलीमक, कामला, क्षतद्वाय, राजयक्ष्मा व श्वास में लाभकारी है ! यह मालिश से बल-वर्ण की वृद्धि कर लाभ प्रदान करता है !!

             *!! ब्राह्मी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* ब्राह्मी तेल सौम्यगुणयुक्त, शीतलतादायक, बुद्धिवर्द्धक व केश वद्धक है ! सिर में इस तेल की मालिश करने से दिमागी कमजोरी दूर होती है ! व नेत्र ज्योति बढ़ती है !!

          *!! ब्राह्मी-आँवला तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* ब्राह्मी-आँवला तेल बालों को झड़ने व सफेद होने से रोकता है व बालों में वृद्धि करता है ! यह तेल ब्राह्मी व आँवला के क्वाथ द्वारा निर्माण किया जाता है ! अत: यह ब्राह्मी तेल की अपेक्षा अधिक सौम्य, शीतलता प्रदान करने वाला व अधिक गुणकारी है !!

            *!! प्रसारिणी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* प्रसारिणी तेल नसों में रक्त का संचार बढ़ाता है ! व शारीरिक अंगों की कमजोरी को दूर करता है ! नसों व हड्डियों के विकारों को ठीक करता है !!

          *!! पुनर्नवादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* पुनर्नवादि तेल की मालिश करने से शोथ, कामला, पांडुरोग, हलीमक, रक्तपित्त, भगन्दर, प्लीहा रोग, उदर रोग, जीर्ण ज्वर आदि रोग नष्ट होते हैं !!

           *!! पंचगुण तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* पंचगुण तेल सभी प्रकार के दद्र में मालिश से व कान में डालने से एवं जले हुए स्थान पर लगाने से आराम देता है ! चोट व मोच के दर्द में भी लाभकारी है !!

          *!! प्रमेहमिहिर तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* इसकी मालिश से वात- विकार व वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज, मेदागत व माँसगत ज्वर नष्ट होते हैं ! यह प्रमेह रोगों में भी फायदा देता है !!

         *!! नासार्शोहर तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* रूर्इ का फाहा बनाकर इस तेल में डुबोकर नाक में टपकाने से नाक में होने वाले मस्से दूर हो जाते हैं !!

           *!! निर्गुण्डी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* निर्गुण्डी तेल गण्डमाला, अपची, नाड़ीव्रण आदि रोगों में नस्य लेने व लगाने से लाभ करता है !!

         *!! दशमूल तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* इससे जोड़ों व अस्थिगत और सिर व वात रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है ! कान व नाक के दर्द में भी तीन-तीन बूंदे डालने से लाभ मिलता है !!

         *!! नारायण तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह पक्षाघात, कमर दर्द, कान का दर्द, पसली का दर्द, शरीर के किसी हिस्से का सुखना, लंगड़ापन व सिर दर्द आदि में इससे लाभ मिलता है !!

           *!! तुबरक तेल !!*
         *( चालमोंगरा तेल )*

*गुण व उपयोग : -* यह सब प्रकार के कुष्ठ रोगों के लिए उत्तम औषधी है ! कम मात्रा से शुरू कर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ानी चाहिए ! कुष्ठ रोग में लगाने व खाने के काम आता है !!

         *!! जात्यादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह घाव, चेचक, खुजली (सूखी व गीली दोनों तरह की), विसर्प, कटे का घाव, अग्नि से जलने आदि में लाभकारी है !!

          *!! चन्दन-बला-लाक्षादि तेल )*

*गुण व उपयोग: -* यह तेल शिरोरोग, नेत्रदाह, शरीर का दाह, क्षय, छर्दि, रक्तप्रदर, रक्तपित्त, कफ रोग, दाह, कंडू, विस्फोटक, सूजन, खाँसी, श्वास, कामला, पांडु आदि रोगों में लाभ करता है !!

     
          *!! गुडूच्यादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह खुजली, जलन, कुष्ठ रोग व वात रक्त में लाभकारी है !!

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आयुर्वेदिक तेल भाग १

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक तेल भाग १ !!* 🌺🙏🏻🌺

               *!! क्षार तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* क्षार तेल कान के समस्त प्रकार के रोगों जैसे कान में मवाद आना, कान का दर्द, कान में आवाजें आना आदि में लाभ प्रदान करता है !!

        *!! हिमसागर तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* हिमसागर तेल के प्रयोग से गुमचोट, वात रोग, जलन, सूजन, कमजोरी मस्तिष्क की खुश्की व गर्मी आदि में लाभ मिलता है !!

          *!! शुष्कमूलादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* शुष्कमूलादि तेल की मालिश करने से शोथ रोग (सूजन), यकृत्वृद्धिज्नय शौथ, प्लीहावृद्धिजन्य शोथ, पांडु, कामला, हलीमक आदि से उत्पनन शौथ शीघ्र नष्ट होते हैं !!

            *!! सोमराजी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -*सोमराजी तेल की मालिश करने से समस्त प्रकार के कुष्ठ, नाड़ीव्रण, दुष्टव्रण, पीलिका, व्यंग, गम्भाी वात रोग, कण्डू, कच्छू, दाद, पामा आदि को नष्ट करता है !!

         *!! सप्तगुण तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* सप्तगुण तेल वात विकार, आग से जला, चोट, मोच, गठिया, फोड़ा, सूजन आदि में प्रयोग से लाभ करता है !!

           *!! सैंधवादि तेल !!*
                  *( बृहत् )*

*गुण व उपयोग :-* इस तेल का खाने और लगाने दोनों प्रकार से उपयोग में लाया जाता है ! यह अण्डवृद्धि, सन्धिशूल, जंघाशूल, बाह्ययाम, हृदय, पाश्र्व व पृष्ठ का शूल, मूत्रकृच्छ, अश्मरी का दर्द, अन्त्रवृद्धि, कटिशूल, जानुशूल, अर्दित रोग आदि में आशातीत लाभ प्रदान करता है !!

          *!! षड्बिन्दु तेल !!*

*गुण व उपयोग :-* सिरदर्द, जुकाम आदि में षड्बिन्दु तेल को नाक में डालने से लाभ मिलता है ! सिर में कहीं-कहीं बाल उड़ जाने (गंज) आदि में यह लाभ प्रदान करता है !!

           *!! श्रीगौपाल तेल !!*

*गुण व उपयोग :-* श्रीगौपाल तेल की लिंगेद्रिय पर मालिश करने से विशेष लाभ मिलता है ! नंपुसकता व कमजोरी दूर होकर यौवन प्राप्त होता है !!

          *!! शंखपुष्पी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* शंखपुष्पी तेल की मालिश से बच्चों के समस्त रोग दूर हो जाते हैं व यह कांति, मेधा, धृति व पुष्ठि की वृद्धि करता है ! ज्वर व दुर्बलता को मिटाता है ! बच्चों के सूखा रोग में इस तेल के उपयोग से विशेष लाभ होता है !!

          *!! शोथशार्दूल तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* शोथशार्दूल तेल शरीर के समस्त प्रकार के सूजन को हटाने में गुणकारी है ! इसके अलावा सभी प्रकार के घावों में लाभ प्रदान करता है !!

         *!! लक्ष्मीविलास तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* लक्ष्मीविलास तेल की मालिश करने से मस्तिष्क रोग, स्नायु रोग, स्नायविक दुर्बलता, प्रमेह, वात-व्याधि, मूर्छा, उन्माद, अपस्मार, ग्रहणी, पांडु रोग, शोथ, नंपुसकता, वातरक्त, मूढ गर्भ, आर्तव व शुक्रगत दोषों में लाभ मिलता है !!

          *!! महासुगन्धित तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महासुगन्धित तेल को माथे में लगाने से गर्मी के कारण होने वाले सिर दर्द, दिमाग की गर्मी, बेचैनी, ज्यादा गर्मी लगना, माथा बराबर गर्म रहना आदि दूर हो जाते हैं। जिसके सिर में आधाशीशी का दर्द होता हो, उसको सीधा लेटा कर गर्दन के नीचे तकिया लगाकर, मस्तक को तकिये के पीछे झुका दें, जिससे नाक के छेद आसमान की तरफ हो जाएं, फिर २-२ बूंद नासिका में यह तेल डालें व जोर से ऊपर को खींचने के लिए रोगी को कहें, जिससे तेल मस्तक में चढ़ जाए ! एक-दो बार डालने में ही दो-चार दिन में आधाशीशी का दर्द दूर हो जाता है ! यह अत्यन्त सुगन्धित है !!

          *!! महालाक्षादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महालाक्षादि तेल की मालिश से जीर्ण ज्वर, विष ज्वर, रस-रक्तादि धातु ज्वर, गर्भावस्था में होने वाला गर्भिणी का ज्वर, दाह, अनिद्रा आदि में लाभ मिलता है !!

          *!! भृंगराज तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* भृंगराज तेल से बालों का गिरना, असमय बालों का सफेद होना, कमजोर बाल व पकने-झड़ने की तकलीफ से छुटकारा मिलता है !!

         *!! महामाष तेल !!*
          *( निरामिष तेल )*

*गुण व उपयोग :-* महामाष तेल पक्षाघात, अर्दित, अपतन्त्रक, अपबाहुक, विश्वाची, खंज, पंगुता, सिर का जकड़ना, गर्दन का जकड़ना, वातिक अधिमांद्य, शुक्रक्षय, कर्णनाद आदि में लाभ प्रदान करता है !!

          *!! महाचन्दनादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महाचन्दनादि तेल की मालिश करने से राजयक्ष्मा, जीर्ण ज्वर, दाह, श्वास, शारीरिक क्षीणता आदि विकारों में उत्तम लाभ मिलता है !!

          *!! महानारायण तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महानारायण तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द, कुबड़ापन, कंपन, वात व्यादि आदि में लाभ मिलता है !!

          *!! महामरिच्यादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महामरिच्यादि तेल कुष्ठ, सूजन, वात, घाव, जले का घाव, फोड़े-फुंसी, सुखी व गीली खुजली आदि में लगाने से लाभ मिलता है ! ऋतु काल में स्त्रियों के पेट में दर्द होने पर नाभि क्षेत्र में ८ से १० बूंदें इस तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है ! इस तेल को आँखें से दूर रखना चाहिए !!

         *!! महाभृंगराज तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महाभृंगराज तेल को सिर में लगाने से बालों का असमय झड़ना व सफेद होन, बालों की कमजोरी दूर होकर बाल काले व चमकदार बनते हैं !!

         *!! महाविषगर्भ तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* महाविषगर्भ तेल की मालिश से जोड़ों की सूजन, गृध्रसी, सिर-दर्द, समूचे शरीर में हडफूटन होना, कान में आवाज होना, आधा शरीर सूख जाना आदि रोगों में लाभकारी है !!

            *!! मल्ल तेल !!*
        *( संखिया का तेल )*

*गुण व उपयोग : -* मल्ल तेल बहुत उग्र व तत्काल फल दिखाने वाला है ! वात वेदना में इस तेल की १० बूंद को अन्य तेल में मिलाकर मालिश करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है !!

*मात्रा व अनुपान :-* २ से ४ बूंद तेल मिलाकर लगावें !!

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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...