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शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

*!! वचन सिद्धी साधना !!*

🌺🙏🏻🌺 *!! वचन सिद्धी साधना !!* 🌺🙏🏻🌺

    जो बोलेगे वह सत्य होगा क्यूंकी वचन सिद्धी एक प्रकार की वाणी सिद्धी हि है ! और बहोत समय बाद यह साधना करने का मुहूर्त आया है ! पूर्णिमा के चौथे दिन से साधना प्रारंभ करना है ! माला रुद्राक्ष का हो ! आसन वस्त्र कोई भी चलेगे परंतु लाल रंग के रहे तो ठिक है ! दिशा उत्तर के तरफ़ मुख हो जाप के समय ! साधना रात्री मे ९ बजे के बाद करे !!

*मंत्र :-*

*!! काली काली महाकाली,इंद्र की बेटी ब्रम्हा की साली,तीन सौ पैसठ काम श्री राजा रामचंद्र के,लंका नाशय के मेरी बाचा सिद्ध करके लावे तो सच्ची काली महाकाली कहावे,मेरी भक्ति गुरू की शक्ती,फुरो मंत्र ईश्वरीय वाचा !!*

*विधि :-*

  एक पान का बीडा सिर्फ शनिवार के रात मे महाकाली को चढाये बाकी दिन नही और साथ मे एक नारियल,चढाइ हुयी सामग्री दूसरे दिन सुबह निर्जन स्थान पर रखे ! मंत्र को १०८ बार पढके एक ग्लास पानी मे ३ फुंक लगाकर ११ दिन पिये और ग्यारहवां दिन अमावस्या होना चाहिये ! इसलिये यह साधना महत्वपूर्ण है !!

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महाकाली का शाबर मंत्र

🌺🙏🏻🌺 *!! महाकाली का शाबर मंत्र !!* 🌺🙏🏻🌺

     माता महाकाली का शाबर मंत्र अत्यंत दुर्लभ और तीव्र प्रभावशाली है !!
         इस मंत्र को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ विधि पूर्वक जपकर सिद्ध कर लिया जाये तो साधक की सभी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती है ! और साधक संपूर्ण सुख, सौभाग्य, ऐश्वर्य एवं धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है ! साथ ही साथ समस्त प्रकार की बाधायें भी स्वतः ही दूर हो जाती है !!

      *!! महाकाली शाबर मंत्र !!*

*!! "सात पुनम कालका, बारह बरस क्वांर !*
*एको देवि जानिए, चौदह भुवन द्वार !!*
*द्वि-पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव !*
*अष्टभुजी परमेश्वरी, ग्यारह रूद्र सेव !!*
*सोलह कला सम्पुर्णी, तीन नयन भरपुर !*
*दशों द्वारी तू ही माँ, पांचों बाजे नूर !!*
*नव-निधि षट्-दर्शनी, पंद्रह तिथि जान !*
*चारों युग मे काल का कर काली कल्याण" !!*

       इस मंत्र के द्वारा जन कल्याण तथा परोपकार भी किया जा सकता है ! साधक इस मंत्र के द्वारा किसी भी बाधाग्रस्त व्यक्ति जैसे भूत प्रेतबाधा, आर्थिक बाधा, नजर दोष, शारीरिक मानसिक बाधा इत्यादि को आसानी से मिटा सकता है !!

           *-: प्रयोग विधी :-*

       किसी भी होली, दीपावली, नवरात्रि, अथवा ग्रहण काल में इस प्रयोग को सिद्ध करना चाहिए ! सर्वप्रथम निम्न सामग्रीयाँ जुटा लें ! महाकाली यंत्र, महाकाली चित्र, कनेर का पीला फूल, भटकटैया का फूल, लौंग, इलायची, ३ निंबू, सिन्दूर, काले केवाच के १०८ बीज धूप, दीप, नारियल, अगरबत्ती इत्यादी !!

         माता काली के मंदिर में या किसी एकान्त स्थान में इस साधना को सिद्ध किये जा सकते हैं !!
        सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत होकर एक लकड़ी के तख्ते पर लाल वस्त्र बिछाकर महाकाली चित्र तथा यंत्र को स्थापित करें तत्पश्चात घी का चैमुखा दिया जलाकर गुरू गणेश का ध्यान कर गुरू स्थापन मंत्र तथा आत्मरक्षा मंत्र का प्रयोग करें ! फिर भोजपत्र पर निम्न चौंतीसा यंत्र का निर्माण करें तथा महाकाली यंत्र, महाकाली चित्र सहित चौंतीसा यंत्र का पंचोपचार या षोड़शोपचार से पूजन करें !!
        पूजन के समय कनेर, भटकटैया के फूल को यंत्र चित्र पर चढ़ायें, नारियल इलायची, पंचमेवा का भोग लगायें, फिर तीनों निम्बूओं को काटकर सिन्दूर का टीका लगाकर अर्पित करें तत्पश्चात हाथ में एक-एक केवाच के बीजों को लेकर उक्त मंत्र को पढ़ते हुए काली के चित्र के सामने चढ़ाते जायें इस तरह १०८ बार मंत्र जपते हुए केवाच के बीजों को चढ़ायें ! मंत्र जप पुर्ण होने पर उसी मंत्र से ११ बार हवन करें ! एक ब्राम्हण को भोजन करायें तथा यथाशक्ति दान दक्षिणा दें ! फिर इस मंत्र का प्रयोग किसी भी इछित कार्य के लिये कर सकते हैं !!

*-: प्रयोग नीचे लिखे अनुसार करें :-*

*१ - भूत-प्रेत बधा निवारण :-*
        हवन के राख से किसी भी भूत-प्रेत ग्रस्त रोगी को सात बार मंत्र पढ़ते हुए झाड़ दें तथा हवन के राख का टीका लगा दें फिर भोजपत्र पर चौंतिसा यंत्र को अष्टगंध से लिख कर तांबे के ताबीज में भर कर पहना दें तो भूत प्रेत बाधा सदा के लिए दूर हो जाती है !!

*२ - शत्रु बाधा निवारण :-* अमावस्या के दिन एक़ निंम्बू लेकर उस पर सिंदुर से शत्रु का नाम लिखकर महाकाली मंत्र का उच्चारण करते हुये २१ बार ७ सुइयां चुभाये फिर उसे श्मशान मे ले जाकर गाड़ दें तथा उस पर शराब की धार चढ़ायें ऐसा करने से ३ दिनों मे शत्रु बाधा समाप्त हो जाती है !!

*३ - आर्थिक बाधा निवारण :-*
       महाकाली यंत्र के सामने घी का दीपक जलाकर महाकाली शाबर मंत्र का २१ बार जाप २१ दिनों तक करने से आर्थिक बाधा समाप्त हो जाती है !!

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शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

सर दर्द*

जय माता जी की

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*सर दर्द*

एक एसी परेसानी जिससे हर कोइ परेसान हे 

तो आइये हम आपको एक प्रकृतिक व  मंत्रोक्त नुस्खा बताये देते हें

पीपल के दो पत्ते रोजाना लेने हे साफ धो लेवें उसके बाद अपने हाथों मे रख करके गायत्री मंत्र का उच्चारण ज्ञारह बार करना हे व ज्ञारह बार फूंक मार लें  फिर उनको चबा चबा करके खा जावें

👆🏽 ये प्रक्रीया आपको लगातार साठ दिनो तक करते रहना हे

यदी कर लीया तो वापस से सर दर्द की शिकायत कभी नही करोगे

सोमवार, 25 सितंबर 2017

शाबर मंत्रों को जगाने की विधि

🕉🌞 ज्ञान गंगा 🌞🕉

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शाबर मंत्रों को जगाने की विधि
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द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा से अर्जुन ने पशुपति अस्त्र की प्राप्ति के लिए भगवान शिव का तप किया! एक दिन भगवान शिव एक शिकारी का भेष बनाकर आये और जब पूजा के बाद अर्जुन ने सुअर पर बाण चलाया तो ठीक उसी वक़्त भगवान शिव ने भी उस सुअर को तीर मारा, दोनों में वाद विवाद हो गया और शिकारी रुपी शिव ने अर्जुन से कहा, मुझसे युद्ध करो जो युद्ध में जीत जायेगा सुअर उसी को दीया जायेगा! अर्जुन और भगवान शिव में युद्ध शुरू हुआ, युद्ध देखने के लिए माँ पार्वती भी शिकारी का भेष बना वहां आ गयी और युद्ध देखने लगी! तभी भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा जिसका रोज तप करते हो वही शिकारी के भेष में साक्षात् खड़े है! अर्जुन ने भगवान शिव के चरणों में गिरकर प्रार्थना की और भगवान शिव ने अर्जुन को अपना असली स्वरूप दिखाया!

अर्जुन भगवान शिव के चरणों में गिर पड़े और पशुपति अस्त्र के लिए प्रार्थना की! शिव ने अर्जुन को इच्छित वर दीया, उसी समय माँ पार्वती ने भी अपना असली स्वरूप दिखाया! जब शिव और अर्जुन में युद्ध हो रहा था तो माँ भगवती शिकारी का भेष बनाकर बैठी थी और उस समय अन्य शिकारी जो वहाँ युद्ध देख रहे थे उन्होंने जो मॉस का भोजन किया वही भोजन माँ भगवती को शिकारी समझ कर खाने को दिया! माता ने वही भोजन ग्रहण किया इसलिए जब माँ भगवती अपने असली रूप में आई तो उन्होंने ने भी शिकारीओं से प्रसन्न होकर कहा ”हे किरातों! मैं प्रसन्न हूँ, वर मांगो!” इसपर शिकारीओं ने कहा ”हे माँ हम भाषा व्याकरण नहीं जानते और ना ही हमें संस्कृत का ज्ञान है और ना ही हम लम्बे चौड़े विधि विधान कर सकते है पर हमारे मन में भी आपकी और महादेव की भक्ति करने की इच्छा है, इसलिए यदि आप प्रसन्न है तो भगवान शिव से हमें ऐसे मंत्र दिलवा दीजिये जिससे हम सरलता से आप का पूजन कर सके!

माँ भगवती की प्रसन्नता देख और भीलों का भक्ति भाव देख कर आदिनाथ भगवान शिव ने शाबर मंत्रों की रचना की! यहाँ एक बात बताना बहुत आवश्यक है कि नाथ पंथ में भगवान शिव को ”आदिनाथ” कहा जाता है और माता पार्वती को ”उदयनाथ” कहा जाता है! भगवान शिव जी ने यह विद्या भीलों को प्रदान की और बाद में यही विद्या दादा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ को मिली, उन्होंने इस विद्या का बहुत प्रचार प्रसार किया और करोड़ो शाबर मंत्रों की रचना की! उनके बाद गुरु गोरखनाथ जी ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया और नव नाथ एवं चौरासी सिद्धो के माध्यम से इस विद्या का बहुत प्रचार हुआ! कहा जाता है कि योगी कानिफनाथ जी ने पांच करोड़ शाबर मंत्रों की रचना की और वही चर्पटनाथ जी ने सोलह करोड़ शाबर मंत्रों की रचना की! मान्यता है कि योगी जालंधरनाथ जी ने तीस करोड़ शाबर मंत्रों की रचना की! इन योगियों के बाद अनन्त कोटि नाथ सिद्धो ने शाबर मंत्रों की रचना की !यह शाबर मंत्रों की विद्या नाथ पंथ में गुरु शिष्य परम्परा से आगे बढ़ने लगी, इसलिए शाबर मंत्रों चाहे किसी भी प्रकार का क्यों ना हो उसका सम्बन्ध किसी ना किसी नाथ पंथी योगी से अवश्य होता है! अतः यह कहना गलत ना होगा कि शाबर मंत्र नाथ सिद्धो की देन है!

शाबर मंत्रों के मुख्य पांच प्रकार है –
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1. प्रबल शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र कार्य सिद्धि के लिए प्रयोग होते है, इन में प्रत्यक्षीकरण नहीं होता! केवल जिस मंशा से जप किया जाता है वह इच्छा पूर्ण हो जाती है! इन्हें कार्य सिद्धि मंत्र कहना गलत ना होगा! यह मंत्र सभी प्रकार के कर्मों को करने में सक्षम है! अतः इस प्रकार के मंत्रों में व्यक्ति देवता से कार्य-सिद्धि के लिए प्रार्थना करता है, साधक एक याचक के रूप में देवता से याचना करता है!

2. बर्भर शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र भी सभी प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम है पर यह प्रबल शाबर मंत्र से अधिक तीव्र माने जाते है ! बर्भर शाबर मंत्र में साधक देवता से याचना नहीं करता अपितु देवता से सौदा करता है! इस प्रकार के मंत्रों में देवता को गाली, श्राप, दुहाई और धमकी आदि देकर काम करवाया जाता है! देवता को भेंट दी जाती है और कहा जाता है कि मेरा अमुक कार्य होने पर मैं आपको इसी प्रकार भेंट दूंगा! यह मंत्र बहुत ज्यादा उग्र होते है!

3. बराटी शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र में देवता को भेंट आदि ना देकर उनसे बलपूर्वक काम करवाया जाता है! यह मंत्र स्वयं सिद्ध होते है पर गुरु-मुखी होने पर ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाते है! इस प्रकार के मंत्रों में साधक याचक नहीं होता और ना ही सौदा करता है! वह देवता को आदेश देता है कि मेरा अमुक कार्य तुरंत करो! यह मन्त्र मुख्य रूप से योगी कानिफनाथ जी के कापालिक मत में अधिक प्रचलित है! कुछ प्रयोगों में योगी अपने जुते पर मंत्र पढ़कर उस जुते को जोर-जोर से नीचे मारते है तो देवता को चोट लगती है और मजबूर होकर देवता कार्य करता है!

4. अढैया शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र बड़े ही प्रबल माने जाते है और इन मंत्रों के प्रभाव से प्रत्यक्षीकरण बहुत जल्दी होता है! प्रत्यक्षीकरण इन मन्त्रों की मुख्य विशेषता है और यह मंत्र लगभग ढ़ाई पंक्तियों के ही होते है! अधिकतर अढैया मन्त्रों में दुहाई और धमकी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता पर फिर भी यह पूर्ण प्रभावी होते है!

5. डार शाबर मंत्र – डार शाबर मंत्र एक साथ अनेक देवताओं का दर्शन करवाने में सक्षम है जिस प्रकार “बारह भाई मसान” साधना में बारह के बारह मसान देव एक साथ दर्शन दे जाते है! अनेक प्रकार के देवी देवता इस मंत्र के प्रभाव से दर्शन दे जाते है जैसे “चार वीर साधना” इस मार्ग से की जाती है और चारों वीर एक साथ प्रकट हो जाते है! इन मन्त्रों की जितनी प्रशंसा की जाए उतना ही कम है, यह दिव्य सिद्धियों को देने वाले और हमारे इष्ट देवी देवताओं का दर्शन करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम है! गुरु अपने कुछ विशेष शिष्यों को ही इस प्रकार के मन्त्रों का ज्ञान देते है!

नाथ पंथ की महानता को देखकर बहुत से पाखंडी लोगों ने अपने आपको नाथ पंथी घोषित कर दिया है ताकि लोग उनकी बातों पर विश्वास कर ले! ऐसे लोगों से यदि यह पूछा जाये कि आप बारह पन्थो में से किस पंथ से सम्बन्ध रखते है? आपकी दीक्षा किस पीठ से हुयी है ? आपके गुरु कौन है? तो इन लोगों का उत्तर होता है कि मैं बताना जरूरी नहीं समझता क्योंकि इन लोगों को इस विषय में ज्ञान ही नहीं होता , पर आज के इस युग में लोग बड़े समझदार है और इन धूर्तों को आसानी से पहचान लेते है!

ऐसे महापाखंडीयो ने ही प्रचार किया है कि सभी शाबर मंत्र ”गोरख वाचा” है अर्थात गुरु गोरखनाथ जी के मुख से निकले हुए है पर मेरा ऐसे लोगों से एक ही प्रश्न है क्या जो मन्त्र कानिफनाथ जी ने रचे है वो भी गोरख वाचा है? क्या जालंधरनाथ जी के रचे मन्त्र भी गोरख वाचा है? इन मंत्रों की बात अलग है पर क्या मुस्लिम शाबर मंत्र भी गोरख वाचा है? ऐसा नहीं है मुस्लिम शाबर मंत्र मुस्लिम फकीरों द्वारा रचे गए है!

भगवान शिव ने सभी मंत्रों को किलित कर दिया पर शाबर मंत्र किलित नहीं है ! शाबर मंत्र कलियुग में अमृत स्वरूप है! शाबर मंत्र को सिद्ध करना बड़ा ही सरल है न लम्बे विधि विधान की आवश्यकता और न ही करन्यास और अंगन्यास जैसी जटिल क्रियाएँ! इतने सरल होने पर भी कई बार शाबर मंत्र का पूर्ण प्रभाव नहीं मिलता क्योंकि शाबर मंत्र सुप्त हो जाते है ऐसे में इन मंत्रों को एक विशेष क्रिया द्वारा जगाया जाता है!

शाबर मंत्र के सुप्त होने के मुख्य कारण –
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1. यदि सभा में शाबर मंत्र बोल दिए जाये तो शाबर मंत्र अपना प्रभाव छोड़ देते है!
2. यदि किसी किताब से उठाकर मन्त्र जपना शुरू कर दे तो भी शाबर मंत्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते!
3. शाबर मंत्र अशुद्ध होते है इनके शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि यह ग्रामीण भाषा में होते है यदि इन्हें शुद्ध कर दिया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है!
4. प्रदर्शन के लिए यदि इनका प्रयोग किया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है!
5. यदि केवल आजमाइश के लिए इन मंत्रों का जप किया जाये तो यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !

ऐसे और भी अनेक कारण है ! उचित यही रहता है कि शाबर मंत्र को गुरुमुख से प्राप्त करे क्योंकि गुरु साक्षात शिव होते है और शाबर मंत्र के जन्मदाता स्वयं शिव है ! शिव के मुख से निकले मन्त्र असफल हो ही नहीं सकते !

शाबर मंत्र के सुप्त होने का कारण कुछ भी हो इस विधि के बाद शाबर मन्त्र पूर्ण रूप से प्रभावी होते है !

|| मन्त्र ||
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सत नमो आदेश! गुरूजी को आदेश! ॐ गुरूजी! डार शाबर बर्भर जागे, जागे अढैया और बराट, मेरा जगाया न जागे तो तेरा नरक कुंड में वास! दुहाई शाबरी माई की! दुहाई शाबरनाथ की! आदेश गुरु गोरख को!

|| विधि ||
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इस मन्त्र को प्रतिदिन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गूगल डाले और इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे ! जब तक मन्त्र जाप हो गूगल सुलगती रहनी चाहिये ! यह क्रिया आपको २१ दिन करनी है, अच्छा होगा आप यह मन्त्र अपने गुरु के मुख से ले या किसी योग्य साधक के मुख से ले! गुरु कृपा ही सर्वोपरि है कोई भी साधना करने से पहले गुरु आज्ञा जरूर ले!

|| प्रयोग विधि ||
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जब भी कोई साधना करे तो इस मन्त्र को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समाप्त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े मन्त्र का प्रभाव बढ़ जायेगा! यदि कोई मन्त्र बार-बार सिद्ध करने पर भी सिद्ध न हो तो किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन उस मन्त्र को भोजपत्र या कागज़ पर केसर में गंगाजल मिलाकर अनार की कलम से या बड के पेड़ की कलम से लिख ले! फिर किसी लकड़ी के फट्टे पर नया लाल वस्त्र बिछाएं और उस वस्त्र पर उस भोजपत्र को स्थापित करे! घी का दीपक जलाये, अग्नि पर गूगल सुलगाये और शाबरी देवी या माँ पार्वती का पूजन करे और इस मन्त्र को १०८ बार जपे फिर जिस मन्त्र को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फिर इसी मन्त्र का १०८ बार जप करे! लाल कपडे दो मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे! जिस लाल कपडे पर भोजपत्र स्थापित किया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अन्दर रखे और भोजपत्र को भी घड़े के अन्दर रखे! दूसरे लाल कपडे से भोजपत्र का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और शाबरी माता से मन्त्र जगाने के लिए प्रार्थना करे और उस कलश को बहते पानी में बहा दे! घर से इस कलश को बहाने के लिए ले जाते समय और पानी में कलश को बहाते समय जिस मन्त्र को जगाना है उसका जाप करते रहे! यह क्रिया एक बार करने से ही प्रभाव देती है पर फिर भी इस क्रिया को ३ बार करना चाहिये मतलब रविवार को फिर मंगलवार को फिर दोबारा रविवार को ! भगवान आदिनाथ और माँ शाबरी आप सबको मन्त्र सिद्धि प्रदान करे !

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🕉🌞ज्ञान गंगा 🌞🕉
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य

9466623519
जय माता दी
🕉🌞ज्ञान गंगा 🌞🕉

रविवार, 24 सितंबर 2017

पति वशीकरण

🌺🙏🏻🌺 *!! पति वशीकरण मंत्र !!* 🌺🙏🏻🌺

*!! मंत्र !!*

*"ॐ हूँ हूँ स्वाहा"*

*!! विधि !!*

यह मंत्र १००००बार जाप करने से सिद्ध हो जाता है ! फिर *लालकरवार* की लकड़ी मृगशिरा नक्षत्र में लाकर उसकी नौ अंगुल की कील बनाकर उक्त मंत्र से सात बार अभिमंत्रित करके जिस किसी का भी *{ पति का नाम }* लेकर जमीन में गाड़ दी जाय तो वह वशीकृत हो जाता है !!

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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...