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गुरुवार, 16 मई 2019

विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ

🌹✍🏻     विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ  ✍🏻🌹
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जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ
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प्रकृति में मिलनेवाली हर चीज औषधीय व पौष्टिक गुणों से भरपूर है धान्य, सब्जियां, फल तथा पुष्प उत्तम पोषण का स्त्रोत है यह हमारे शरीर को ना सिर्फ पोषण व बल देते है किंतु मन को भी सुकून तथा आराम प्रदान करते है ज़्यादातर अन्न के बाद सब्जियां तथा फलो का ही भोजन में ज्यादा समावेश प्रचलित है लेकिन अगर आप फूलो की पौष्टिकता तथा औषधीय गुणों को जानेंगे तो बिना चुके हुए इसका प्रतिदिन सेवन करना अवश्य चाहेंगे-

आज इस पोस्ट में हम आपको विविध फूलो से बनते हुए गुलकंद (Gulkand) के बारे में जानकारी देंगे जिसे आप आसानी से घर पर बना कर पूरे साल पुष्पों के औषधीय गुणों का लाभ ले सकेंगे जैसा की हमने गुलाब की लेखनमाला के अंतर्गत गुलकंद बनाने की विधि, गुलकंद के गुण तथा उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी है-

आयुर्वेदनुसार फूलो और शर्करा के योग से बनने वाले पाक को गुलकन्द (Gulkand) कहा जाता है यह एक आयुर्वेदिक अवलेह कल्पना है किसी भी औषधि पुष्प का गुलकंद बनाया जा सकता है लेकिन सिर्फ गुलाब का ही गुलकंद आमतौर पर प्रचलित है-

आयुर्वेदानुसार गुलकंद शीतल, मधुर, रेचक, मूत्रल, तृषा नाशक, पित्त शामक, दाह नाशक तथा मन को शांति तथा ताजगी देनेवाला माना गया है पित्त तथा गर्मी से होनेवाली तकलीफें पाचन संस्था के रोग, अशक्ति, जीर्ण ज्वर, अनिंद्रा, शरीर की आंतरिक गर्मी तथा अन्य रोगों में विविध औषधीय पुष्पों के गुलकंद (Gulkand) बेहद लाभदायी है-

विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद (Gulkand) तथा उसके लाभ-
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सनाय का गुलकंद (Gulkand) -
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पीले सुनहरे रंग के सनाये के फूल कटु, शीतल,  मल निसारक तथा आंखों के लिए हितकर है-सनाये के फूलों का गुलकंद खाने से मूत्र रोगों में फायदा होता है मूत्र की रुकावट, यूरीन इन्फेक्शन, मूत्र दाह जैसी तकलीफें तथा पाचन सम्बन्धी रोग कब्ज, आँतो की सूजन, बवासीर जैसे रोगो में बेहद गुणकारी है यह गुलकन्द त्वचा रोगों में भी बेहद असरकारक है प्रतिदिन इस गुलकन्द के सेवन से त्वचा का रंग निखरता है तथा दाज खाज खुजली कील मुहाँसे तथा फोड़े फुंसी भी दूर होते है-

नारियल के फूलों का गुलकन्द (Gulkand)-
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नारियल मधुर, शीतल, बलवर्धक है नारियल के ताजे फूल ले कर शास्त्रोक्त विधि से उसका गुलकन्द (Gulkand) सिद्ध करे यह गुलकन्द चंदन के पानी के साथ पीने से उबकाई, वमन, अतिसार, मुँह के छाले तथा तृषा रोग मिटते है यह गुलकन्द प्रतिदिन खाने से लूं लगने से होने वाली तकलीफें चककर, उल्टी तथा शारीरिक दुर्बलता मिटती है-

महुआ के फूलों का गुलकन्द (मोहाकन्द)-
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आयुर्वेद के मत अनुसार महुआ के फूल स्वाद में मधुर पचने में भारी, शीतल, पुष्टिदायक, बल तथा वीर्य वर्धक, वायु और पित्त नाशक तथा पौष्टिक है महुआ के फूल तथा शक्कर समान भाग ले कर मिला कर हाथों से अच्छी तरह मसल लें अब इस मिश्रण को कांच की बरणी में भर कर 40 दिन तक कड़ी धूप में रखे-40 दिन बाद मोहाकन्द सिद्ध हो जाएगा-

प्रतिदिन 1-1 चम्मच  मोहाकन्द सुबह शाम लेने से मूत्र दाह, पुयमेह, पेशाब में पस जाना, मंदज्वर, आंतरिक गरमी, अग्नी मान्ध, रक्क्त विकार तथा मूत्रावरोध जैसी समस्याएं मिटती है-

इमली के फूलों का गुलकन्द-
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इमली के फूल तथा शक्कर समान भाग ले कर शास्त्रोक्त विधि से गुलकन्द सिद्ध कर ले प्रतिदिन 1-1चमच्च सुबह शाम इस गुलकन्द का सेवन करने से अपचन, अरुचि, मुँह का कड़वापन, खट्टी डकारें, उबकाई तथा एसिडिटी जैसी तकलीफों में राहत मिलती है-

नीम के फूलों का गुलकन्द-
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नीम के गुणो से तो हम सभी परिचित है नीम के फूलों से बनने वाले गुलकन्द को नीमकन्द कहा जाता है-

नीम के पुष्प- 1 किलो
शक्कर- 1किलो
शहद- 100 ml

एक किलो नीम के फूलों में एक किलो शक्कर मिला कर उसमे 100 ml शहद मिला कर 40 दिन तक धूप में रख कर नीमकन्द सिद्ध कर ले-यह नीमकन्द आंखों की जलन, छाती की जलन, हाथ पैर के तलवों की जलन, बार बार मुह में छाले आ जाना, रक्त विकार, फोड़े फुंसी, त्वचा रोग जैसी समस्याओं में खूब लाभदायक है मधुमेह के रोगियों को यह नीमकंद शहद में बना कर सुबह शाम खूब चबा-चबा कर खाने से मधुमेह में लाभ मिलता है-

जुही के फूलों का गुलकन्द-
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जुही के फूल तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को जुहीकन्द भी कहा जाता है जूही शीतल, पित्त नाशक, नेत्र रोग निवारक तथा दन्त रोग नाशक गुणों से भरपूर है जुहीकन्द हाइपर एसिडिटी, पित्त सम्बन्धी समस्याएं, पित्त बढनेसे होनेवाले सिर कनपटी तथा आंखों के दर्द व सूजन में बेहद गुणकारी है-पेट के अल्सर में भी जूही कंद एक उत्तम औषधि है-

जपाकन्द या कुसुमकन्द-
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जपाकुसुम या गुड़हल के फूल की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बन ने वाले गुलकन्द को जपाकन्द या कुसुमकन्द कहा जाता है जपाकुसुम के फूल मलरोधक, केशवर्धक, पित्त शामक तथा शीतल होते है जपाकन्द खाने से बालो का असमय सफेद होना, बाल झड़ना, बालो का पतला होना जैसी समस्याऐ मिटती है-

1 कप दूध आधा चम्मच घी तथा 1 चम्मच कुसुमकन्द खाने से महिलाओं में ज्यादा महावारी होना, रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर तथा महावारी सम्बंधित अन्य समस्याओं में लाभ मिलता है-

एक बड़ा चमच्च कुसुमकन्द एक ग्लास शीतल जल में घोल कर पीने से ऊबकाई, वमन,तथा अम्लपित्त में त्वरित लाभ होता है-

कमल कंद-
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कमलपुष्प की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को कमलकन्द या पद्मकन्द कहा जाता है कमल शीतल, मधुर तथा बलवर्धक व मानसिक ताजगी दायक पुष्प है यह ना सिर्फ शरीर को स्वास्थ्य व सौंदर्य देता है बल्कि मन की थकावट दूर कर के मानसिक शांति तथा स्थिरता देता है-

कमलकन्द बनाने के लिए कमल की पंखुड़ियां, मुलहठी व शर्करा को मिला कर चालीस दिन धूप में रखा जाता है व कमलकन्द सिद्ध किया जाता है-

यह कमलकन्द मूत्र संसर्ग, किडनी विकार, गैस, अस्थमा जैसे जटिल रोगों पर तथा मानसिक अवसाद, बेचैनी, उन्माद, हिस्टीरिया, अनिंद्रा तथा घबराहट जैसी  मानसिक समस्याओं पर बेहद उपयोगी है-

एक-एक चम्मच कमलकन्द सुबह शाम खाने से रक्तविकार दूर हो कर त्वचा का रंग निखरता है तथा त्वचा चमकीली व मुलायम बनती है-

कददू के फूलों का गुलकन्द-
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कददू के फूल शर्करा तथा इलायची व दालचीनी के योग से बन ने वाले कल्प को कुष्माकन्द कहा जाता है कुष्माकन्द पित्त सम्बन्धी समस्याएं, हार्मोनल गड़बड़ियां, रक्तचाप सम्बन्धी समस्याएं तथा ह्रुदयरोग में बेहद हितकारी उत्तम औषध है-

सुबह खाली पेट 1-2 चमच्च कुष्माकन्द खाने से ह्रदय रोग, पाचन सम्बंधित समस्याएं तथा शारीरिक दाह जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है-

अमलताश के फूलों का गुलकन्द-
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अमलताश की फूलो की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को अमलकन्द भी कहा जाता है यह अमलकन्द पेट सम्बन्धित समस्त रोगों में बेहद कारगर औषधि है जीर्ण ज्वर में  चिरायता के क्वाथ के साथ दो चम्मच अमलकन्द लेने से ज्वर में बेहद फायदा होता है-

पुरानी कब्ज की समस्याओं में तथा कब्ज से उत्पन्न हुई बादी बवासीर में अमलकन्द बेहद हितकारी है।
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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
🌳🕉🌺संजीवनी परिवार 🌺🕉🌳
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  तिल के पुष्प का गुलकंद बनाने की विधि व लाभ    

🌹✍🏻  तिल के पुष्प का गुलकंद बनाने की विधि व लाभ     ✍🏻🌹

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तिल के पुष्प का गुलकंद बनाने की विधि व लाभ
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भारतीय भोजन शैली में तिल (Sesame) का एक विशिष्ट स्थान है तिल से विविध प्रकार की मिठाई त्योहारों में बनाई जाती हैं तथा तिल के तेल से कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं धार्मिक दृष्टि से भारतीय संस्कृति में भी तिल को पवित्र स्थान दिया गया है वही प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद ने तो तिल (Sesame) को वात रोगों की विशिष्ट औषधि माना है तथा तिल के तेल को सर्वोत्तम तेल का दर्जा दिया गया है-इस तरह तिल अपने गुणों व स्वाद के चलते हर भारतीय घर की रसोई में विराजमान है-

आज हम आपको तिल के फूलों (Sesame flower) के गुलकंद के बारे में बताएंगे यह गुलकंद (Gulkand) आदिवासी तथा देहाती इलाकों में आज भी कई वैध्य जनों द्वारा उपयोग में है यह गुलकंद बनाने में बेहद आसान है तथा निरापद होने के साथ-साथ चमत्कारिक रूप से असरदार भी हैं-

तिल के पुष्प (Sesame flower) का गुलकंद-
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सामग्री-
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तिल के पुष्प की पंखुड़ियां- 1 किलो
शक्कर- 1 किलो

विधि-
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कांच के बरनी में तिल के पुष्प की पंखुड़ियों को अच्छे से साफ करके तिल के पुष्प (Sesame flower) की एक परत जमा दे उसके ऊपर शक्कर डालकर शक्कर की एक परत जमा दे अब शक्कर की परत के ऊपर फिर तिल के पुष्प की पंखुड़ियों की एक परत  फैला दें इसी तरह शक्कर और पंखुड़ियां खत्म होने तक यह क्रम दोहराए-

इसके बाद कांच के बर्तन को अच्छे से बंद करके ऊपर कपड़ा लपेट के धूप में रख दें 21 दिन में सूर्य तापित गुलकंद (Gulkand) तैयार हो जाएगा-

मात्रा और अनुपान-
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सुबह शाम एक-एक चम्मच गुलकंद (Gulkand) खाए ऊपर से गर्म दूध पी सकते हैं-

लाभ व उपयोग-
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1- तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद कैल्शियम की कमी, हड्डियों की कमजोरी, हाथ पैरों में दर्द, घुटनों के दर्द, कमर दर्द (Back ache) जैसी समस्याओं में उत्तम गुणकारी व स्वादिष्ट औषध है-

2- अगर नियमित रूप से इसका सेवन किया जाए तो बाजारु हेल्थ ड्रिंक प्रोटीन या कैल्शियम बढ़ाने वाली गोली या ड्रिंक पीने की जरूरत नहीं पड़ेगी-

3- आयुर्वेद के मुताबिक़ बालों का संम्बध भी हड्डियों से हैं इसीलिए तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद बालों का झड़ना (Hair fall), बालों का उड़ना (Baldness) या गंजापन, बालों का कम बढ़ना जैसी बालों संबन्धित समस्याओं में भी बेहद उपयोगी है इससे बाल घने व मजबूत बनते हैं-

4- बच्चों को नियमित रुप से अगर तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद सेवन करवाया जाए तो बच्चों की हड्डियां (Bones) मजबूत बनती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा याददाश्त (Memory) भी तेज रहती है-

5- तिल के पुष्पों का गुलकंद बच्चों को योग्य पोषण देने के साथ-साथ ही बच्चों की लंबाई (Height increment) बढ़ाने में भी सहायक है-

6- सूर्य तापित विधि से बना होने की वजह से तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद विटामिन डी से प्रचुर है आयुर्वेद में तिल को हड्डियों का उत्तम औषध माना गया है-

नोट-
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कई वैध जन इसमें शलगम भी कद्दूकस करके डालते हैं जिससे इसके रंग व पौष्टिकता में वृध्धि होती हैं तथा बच्चे इसे आसानी से खा लेते हैं-

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
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जामुन(Jamun)का आसव-सिरका-जाम्बु द्राव व शर्बत बनाने की विधि-   

🌹✍🏻     जामुन(Jamun)का आसव-सिरका-जाम्बु द्राव व शर्बत बनाने की विधि-    ✍🏻🌹

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जामुन(Jamun)का आसव-सिरका-जाम्बु द्राव व शर्बत बनाने की विधि-
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वर्षाऋतु का अमृतफल-जामुन को कहा गया है बुद्ध धर्म मे भी जामुन के पेड़ को पवित्र मानते है और इसके पंचांग का उपयोग तिबब्बत चिकित्सा शास्त्र में कई योगों के रूप में किया गया है भारत मे जामुन की दो किस्में पाई जाती है एक बड़े फल जिसको राज जामुन और एक छोटा फल जिसको शूद्र जामुन कहा जाता है-

जामुन में एक विदेशी किस्म भी होती है जिसके फल बड़े, गोलाकार गुलाबी रंग के गुठली रहित होते है और जिससे गुलाब के फूल की हल्की खुशबू आती है यह प्रजाति खास कर ब्रह्म देश और बंगाल में पाई जाती है-

देशी जामून(बड़े)के आयुर्वेदिक में बड़े गुणगान लिखे है चरक ने जामुन फल और पेड़ की छाल को मूत्र संग्रहक, पुरीशवीरजनिय तथा वातजनक कहा है सुश्रुत के अनुसार जामुन रक्तपित्तहर, दाहनाशक, योनिदोषहर, वर्ण्य याने शरीर की कांति सुधारने वाला कहा है-

वैद्य माधव के अनुसार जामुन अतिसार, रक्तातिसार, कोलेरा, रक्तपित्त, लिवर जनित रोग तथा रक्तजन्य विकारों को दूर करने वाला अमृत फल है तो चलिए आज हम आपको जामुन फल से आसव, सिरका, जाम्बु द्राव व शर्बत बनाने की विधि बताएंगे-

जामुनासव-
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पके जामुन का रस -3200 ग्राम
पुराना गुड़ -1200 ग्राम
हरड़े- 20 ग्राम
बहेड़ा -20ग्राम
आंवला-20 ग्राम
नागरमोथा-20 ग्राम
वावडिंग-20 ग्राम
सोंठ -20ग्राम
काली मिर्च-20 ग्राम
पिप्पली-20ग्राम
अजवाइन-20ग्राम
नसोतर-20 ग्राम
पिपलीमुल-20 ग्राम
सेंधा नमक -60ग्राम

बनाने की विधि-
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एक चीनीमिट्टी के बर्तन में जामुन का रस और गुड़ मिक्स करके मिलाए तथा अब ऊपर दिए गए औषधियो का मोटा-मोटा जौकूट चूर्ण मिला दे अच्छे से हिलाकर बर्तन को अच्छे से बन्द करके 31 दिन के लिए रख ले जब 31 दिन में आसव परिवक्व हो जाए तब छान कर रख ले यह जम्बूआसव सारे शुलरोग व उदररोगो में रामबाण इलाज है-

जामुन का सिरका-
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पके हुये जामुन का रस- 1 लीटर

इस रस को किसी कांच के साफ बर्तन में भर दे और रोग इसे कपड़ छन करे एक हफ्ते तक फिर दूसरे हफ्ते में 2 बार कपड़छन करे तथा तीसरे हफ्ते में सिर्फ एक बार कपड़छन करे और चौथे हफ्ते अगर रस पर फफूंद दिखे तो एक बार कपड़छन करे-यह क्रिया एक महीने की है इस दौरान सावधानी रखनी है कि कपड़छन करने वाला कपड़ा गीला ना हो अन्यथा सिरका खरांब हो जाता है इस प्रकार जामुन का सिरका तैयार होता है-

इस सिरके को 5ml समभाग पानी के साथ सेवन करने से अपचन, उदरशूल, आफरा, कोलेरा, खट्टी डकारें आदि मिटती है यह सिरका पेट के रोग, स्प्लीन, लिवर, मंदाग्नि , मधुमेह और् पेशाब सम्भन्धित रोगों पर अचूक औषध है-

जाम्बुद्राव-
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600 ग्राम बड़े पके जामुन को मसल कर उसका रस निकाल ले अब उसमे 100 ग्राम सेंधानमक डालकर कांच की शीशी में भर ले तथा इस शीशी को मजबूत बन्द करके 7 दिन रख दे फिर आठवे दिन जाम्बुद्राव तैयार हो जाएगा-यह जाम्बुद्राव दिन में 3 बार 5-5 ग्राम की मात्रा में पीने से समस्त उदर-रोगो में राहत मिलती है-

यह जाम्बुद्राव सुबह खाली पेट 2 महीने पीने से यकृत की कार्यक्षमता सुधरती है तथा लिवर की सूजन, लिवर बढ़ना, प्लीहोदर तथा पीलिया में राहत मिलती है-

जाम्बु का शर्बत-
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जाम्बु रस- 1 लीटर
शक्कर- 2500 ग्राम

दोनों को मिलाकर ,उबालकर चासनी बना ले।इसे ठंडा करके छान कर बोटलो में भर ले 20 से 25 ml शर्बत 100 ml पानी मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों के अपचन व उल्टी में राहत मिलती है तथा पीलिया व कोलेरा जैसी बीमारियों से बचाव होता है।

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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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 नागफनी का शर्बत

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नागफनी के फलों को तोड़कर उनके कांटे तोड़कर गूदा को मथ कर कपड़े से निचोड़कर उसका रस निकाल ले और उसमें मिश्री मिलाकर  शहद की तरह गाढ़ा सरवत बना ले ।

सेवन बिधि - 10 gm शर्बत दूध से सुबह शाम दे ।

लाभ - इससे प्रमेह , प्रदर , स्वांस , कास , शीघ्रपतन , व जिन स्त्रियों को दूध कम उतरता हो इसके सेवन से खूब दूध उतरता है ।

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
7985817113👌👌👌👌👍👍👍👍👍
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लिसोड़ा पाक

🌹✍🏻   लिसोड़ा पाक      ✍🏻🌹

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योग -

लिसोड़ा के सूखे फल -1 kg
मिश्री 1kg
दाल चीनी 15gm
इलाइची 15 gm
कायफल 15 gm
लोंग 15 gm

बिधि - सबको महीन पीस कपड़छन कर  2kg शहद में अच्छी तरह मिला ले । ओर खूब घुटाई करे

सेवन विधि - 10 से 20 gm तक सुबह शाम सेवन करे ।

लाभ - इससे स्वांस , कफ की खुश्की , कमर दर्द , वीर्य का पतलापन , शारीरिक निर्बलता , पेट की गर्मी  दूर होती है

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शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

गुलकंद

🌺🙏🏻🌺 *!! गुलकंद के आयुर्वेदिक प्रयोग !!* 🌺🙏🏻🌺

*!! रंग !!*
गुलकन्द लाल रंग का होता है !!

*स्वाद !!* इसका स्वाद मीठा और खट्टा होता है !!

*स्वरूप !!* गुलकन्द गुलाब के फल और शक्कर को मिलाकर बनाया जाता है !!

*प्रकृति !!* इसकी प्रकृति ठंडी, रूखी और गर्म होती है !!

*हानिकारक !!* गुलकन्द का अधिक मात्रा में सेवन करना ठंडे स्वभाव और गर्म स्वभाव वालों के लिए हानिकारक हो सकता है ! इसका सेवन दिल के लिए भी हानिकारक हो सकता है !!

*तुलना !!* गुलकन्द की तुलना पोस्तादाना से की जा सकती है !!

*गुण !!* गुलकन्द दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है ! यदि भोजन करने के बाद गुलकन्द खाया जाए तो यह दिमाग के लिए लाभदायक होता है ! यह दस्त लाने वाला होता है !!
यह रक्तपित्त की विशेष औषधि होती है !!

*!! विभिन्न रोगों में सहायक औषधि !!*

*1. कब्ज (कोष्ठबद्वता)*
~ 30 ग्राम गुलकन्द को दूध के साथ रोजाना पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है। गुलकन्द को खाकर ऊपर से दूध पी लें, ऐसा 1 सप्ताह तक करने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है !!

~ 10 से 20 ग्राम गुलकन्द सुबह और शाम सेवन करने से शौच साफ होता है तथा भूख बढ़ती है ! और शरीर में ताकत आती है और इसके अलावा कब्ज की शिकायत भी दूर होती है !!

~ 2 चम्मच गुलकन्द को 250 मिलीलीटर हल्का गर्म दूध के साथ सोने से पहले लेने से लाभ मिलता है और कब्ज की समस्या भी खत्म हो जाती है !!

~ 2 बड़ा चम्मच गुलकन्द, मुनक्का 4 पीस, सौंफ आधा चम्मच इन सब को मिलकार एक कप पानी में उबाल लें फिर इसका सेवन करें इससे कब्ज मिट जाती है !!

~ गुलकन्द को दूध में डालकर पीने से पेट की गैस को दूर होती है !!

~ गुलकन्द, आंवला, मुरब्बा, हर्रे का मुरब्बा, बहेड़ा का मुरब्बा आदि के बीजों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना सुबह, दोपहर और शाम 1-1 गोली गर्म दूध या पानी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज खत्म हो जाती है !!

*2. मुंह के छाले !!*
~ गुलकन्द को मुंह के छाले व घाव पर लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं !!

*3. पेट में गैस बनना !!*
~ गुलकन्द 1 चम्मच, 1 चम्मच त्रिफला या रेंडी का तेल, गर्म पानी के साथ सोने से पहले पीने पेट में बनने वाली गैस खत्म हो जाती है !!

*4. कमजोरी !!*
~ 10-20 ग्राम गुलकन्द सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ आता है, भूख बढ़ती है, शरीर मजबूत हो जाता है। गुलकन्द न मिलने पर इसके चूर्ण का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके चूण 1-3 ग्राम की मात्रा सेवन करें !!

*5. अग्निमान्द्यता (अपच)*
~ गुलकन्द और शहद का सेवन करने से पाचन-शक्ति में वृद्धि होती है !!

*6. प्यास अधिक लगना !!*
~ गुलकन्द खाने से तेज प्यास भी शांत हो जाती है !!

~ गुलाब का गुलकन्द प्रतिदिन सुबह-शाम 3 चम्मच 1 गिलास पानी में मिलाकर पीने से प्यास कम लगती है !!

*7. अधिक गर्मी लगना !!*
~ 5 से 20 ग्राम गुलकन्द (गुलाब के पत्तियों से बना) के साथ मिश्री मिलाकर शर्बत बना लें फिर इसे पी लें, इससे शरीर की गर्मी दूर हो जाती है और शांति मिलती है ! शरीर में निखार भी आता है ! इसलिए खासकर बच्चों एवं स्त्रियों के लिये यह बहुत अच्छा होता है !!

~ 10 ग्राम गुलकन्द को जल के साथ मिलाकर पीने से शरीर की गर्मी दूर हो जाती है !!

~10 ग्राम गुलकन्द को शहद के साथ मिलाकर पीने से शरीर की गर्मी दूर होती है !!

*8. पेट के कीड़े !!*
~ गुलकन्द 50 ग्राम और हरड़ का बक्कल 20 ग्राम, सोंठ 20 ग्राम, सोनामक्खी 50 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को शहद में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें फिर इन्ही गोलियों को दूध के साथ 1 दिन में दो बार सुबह और शाम सेवन करने से पेट के अन्दर उपस्थित कीड़े मर जाते हैं !!

*9. नकसीर (नाक से खून बहना)*
~ 10 से 15 ग्राम गुलकन्द को रोजाना सुबह और शाम दूध के साथ खाने से नकसीर का पुराने से पुराना रोग भी ठीक हो जाता है !!

*10. उच्चरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) !!*
~ उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन 25-30 ग्राम गुलकन्द खाने से कब्ज नष्ट होने के साथ बहुत लाभ मिलता है !!

*11. चर्म रोग !!*
खून के खराब होने के कारण से उत्पन्न रोग को ठीक करने के लिए गुलकन्द का सेवन करें !!

*12. हाथ पैरों की जलन !!*
~ 6 से 10 ग्राम गुलकन्द को दूध या जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से शरीर के बाहरी अंगों जैसे हाथ-पैर की जलन, तलवों की जलन, आंखों की जलन या आंखों से गर्म पानी निकलना आदि रोग ठीक हो जाते हैं !!

~ गुलकन्द और आंवले का मुरब्बा खाने और नारियल के तेल में पानी मिलाकर शरीर पर मालिश करने से जलन खत्म हो जाती है !!

*13. हृदय रोग !!*
~ गुलकन्द या गुलाब के सूखे फूलों में चीनी मिलाकर खाने से हृदय को बल मिलता है तथा इससे सम्बंधित कई प्रकार के रोग भी ठीक हो जाते हैं !!

~ हृदय रोगी को कब्ज के कारण हृदय की धड़कन तेज होने के साथ ही घबराहट अधिक हो रही हो तो ऐसे रोगी के कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा सेवन कराएं या दूध के साथ गुलकन्द सेवन कराएं !!

*14. दाद !!*
~ गुलकन्द को दूध के साथ पीने से दाद खत्म हो जाता है !!

*15. ज्यादा पसीना आना व शरीर से दुर्गन्ध आना !!*

~ 10 ग्राम गुलकन्द को सुबह और शाम खाने से अधिक पसीना आना और शरीर से बदबू आने की शिकायत दूर हो जाती है !!

~ गुलाब की ताजी पत्तियां तथा शहद बराबर मात्रा चीनी के साथ मिलाकर किसी कांच के बर्तन में रखकर लगातार 3 हफ्तों तक धूप में रखें इससे गुलकन्द तैयार हो जायेगा। इस गुलकन्द का सेवन सुबह तथा शाम को करने से शरीर से अधिक पसीना आना तथा बदबू आने की शिकायत दूर होती है !!

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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

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