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गुरुवार, 16 मई 2019

 कासीस गोदन्ती भस्म    

🌹✍🏻    कासीस गोदन्ती भस्म      ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

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कासीस गोदन्ती भस्म के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

कासीस गोदन्ती भस्म (Kasis Godanti Bhasma) एक खनिज आधारित आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग मलेरिया, तीव्र ज्वर, जीर्ण ज्वर, प्लीहावर्धन, श्वेत प्रदर और भूख ना लगने पर किया जाता है।

कासीस गोदन्ती भस्म का मुख्य रूप से मलेरिया में उपयोग किया जाता है। इसके उपयोग से ज्वर का ताप और जाड़ा लगना कम हो जाता है। यह असामान्य मासिक धर्म और कष्टार्तव में भी लाभप्रद है।

घटक द्रव्य

इसमें मुख्यतः दो प्रमुख यौगिक हैं:

कासीस

गोदन्ती

इसे आक और एलो वेरा के पत्तों के साथ संसाधित किया जाता है।

औषधीय गुण

कासीस गोदन्ती भस्म में निम्नलिखित उपचार के गुण हैं।

ज्वरनाशक

हेमाटोजेनिक

पाचन उत्तेजक

आर्तवजनक

ऐंठन-नाशक

मलेरिया-रोधी

चिकित्सीय संकेत

कासीस गोदन्ती भस्म का उपयोग चिकित्सीय रूप से निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में किया जाता है।

ज्वर

मलेरिया ज्वर

श्वेत प्रदर

भूख ना लगना

प्लीहा वृद्धि

असामान्य मासिक धर्म

कष्टार्तव

औषधीय उपयोग और लाभ

कासीस गोदन्ती भस्म का उपयोग ज्वरों में किया जाता है, विशेषकर मौसमी संक्रामक ज्वर या ठण्ड के साथ आने वाले मलेरिया ज्वर में। इसमें सौम्य जीवाणुरोधी या विषाणु-विरोधी गुण होते हैं। यह मस्तिष्क के थर्मो-रेगुलेटरी केंद्र पर काम कर सकता है और ज्वर को कम कर सकता है। संक्रमण से लड़ने के लिए, रोगी को अन्य औषधियों की भी आवश्यकता होती है। यह ज्वरनाशक प्रभावों के लिए एसिटामिनोफेन का एक सुरक्षित आयुर्वेदिक विकल्प है।

ज्वरनाशक – ज्वर कम करता है

कासीस गोदन्ती भस्म में ज्वरनाशक गुण होते हैं, इसलिए इसका उपयोग सभी प्रकार के ज्वरों में शरीर के तापमान को कम करने के लिए किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बूढ़े और कमजोर लोगों में इसका उपयोग करते हैं। यह कोई तीव्र औषधि नहीं है और अगर इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में किया जाता है तो इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

मलेरिया में, यह ठंड और बुखार को कम कर देता है। इसमें मलेरिया विरोधी गुण भी होते हैं जिसके कारण यह मलेरिया परजीवी संक्रमण को भी कम कर देता है। इसे मलेरिया में ज्वर की वृद्धि को रोकने के लिए 4 घंटे के अंतराल पर दिया जाता है।

प्लीहा वृद्धि – (मलेरिया के बाद बढ़ा हुआ प्लीहा)

कासीस गोदन्ती भस्म (Kasis Godanti Bhasma) बढ़े हुए आकार की तिल्ली के आकार को कम करने में सहायक है। इस मामले में इसे अमृतारिष्ट के साथ दिया जाता है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

कासीस गोदन्ती भस्म की सामान्य औषधीय मात्रा  व खुराक इस प्रकार है:

औषधीय मात्रा (Dosage)

वयस्क125 मिलीग्राम से 375 मिलीग्रामअधिकतम संभावित खुराक1500 मिलीग्राम प्रति दिन (विभाजित मात्रा में)

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?)खाना खाने के तुरंत बाद लें

दिन में कितनी बार लें?2 बार – सुबह और शाम
अनुपान (किस के साथ लें?)अदरक के रस या शहद के साथ
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें)चिकित्सक की सलाह लें

सावधानी और दुष्प्रभाव

कासीस गोदन्ती भस्म अच्छी तरह सहनीय है और ज्यादातर लोगों के लिए संभवतः सुरक्षित है। हालांकि, कुछ लोगों में निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

मतली (दुर्लभ)

उल्टी (बहुत दुर्लभ)

चक्कर (बहुत दुर्लभ)

गर्भावस्था और स्तनपान

कासीस गोदन्ती भस्म गर्भावस्था और स्तनपान में संभवतः सुरक्षित है। आयुर्वेदिक चिकित्सक गर्भावस्था में ज्वर आने पर इसका उपयोग नियमित रूप से करते हैं।

विपरीत संकेत

हालांकि, कासीस गोदन्ती भस्म के कोई विपरीत संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन यकृत विकारों में आपको इसे अधिक मात्रा (प्रति दिन 1500 मिलीग्राम से अधिक) में नहीं लेना चाहिए।

औषधियों की पारस्परिक क्रिया

कासीस गोदन्ती भस्म के साथ अन्य औषधियों की पारस्परिक क्रिया की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। अधिक जानकारी के लिए आपको आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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     शंख भस्म

🌹✍🏻     शंख भस्म  ✍🏻🌹

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शंख भस्म के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

शंख भस्म (Shankh Bhasma) शंख (conch shell) से बनाई गयी एक आयुर्वेदिक औषधि है। आयुर्वेद में, शंख भस्म का उपयोग दस्त (पतले दस्त), मुहांसे, फुंसियां, यकृत वृद्धि, प्लीहा वृद्धि, पेट दर्द, अपच, भूख ना लगना, सीने में जलन, अम्ल प्रतिवाह, उदर विस्तार, शीघ्रकोपी आंत्र लक्षणों के उपचार में किया जाता है। इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ और औषधीय उपयोग भी हैं।

मूलभूत जानकारी

प्रयुक्त कच्चा मालशंखऔषधि का प्रकारभस्मआयुर्वेदिक नामशंख भस्मअंग्रेजी नामChank, Turbinella Pyrum, Chank Shell, Sacred Chank, Divine Conchशंख के अन्य नामShankh Calx, Chank Calx, Shankh Ash, Conch Shell Ashरासायनिक संरचनाकैल्शियम कार्बोनेट

घटक द्रव्य (संरचना)

शुद्ध शंख

नींबू का रस

रासायनिक संरचना

कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3)92 से 95% *जैविक पदार्थ (कोंचिओलिन)5% *जल (H2O)1 से 2% *अन्यनगण्य *

* यह एक अनुमान है। रासायनिक संरचना प्रजातियों और शंख शैल के संग्रह स्थान के अनुसार भिन्न हो सकती है।

औषधीय गुण

शंख भस्म में निम्नलिखित उपचार के गुण होते हैं।

अम्लत्वनाशक

मल बाँधने वाला घटक

डायरिया विरोधी

क्षुधा उत्तेजक और पाचन उत्तेजक

आक्षेपनाशक

दाह नाशक (इसका प्रभाव यकृत, तिल्ली और आंतों पर दिखाई देता है)

कैल्शियम पूरक (अकेले उपयोग नहीं किया जाता है)

प्रतिउपचायक

वमनरोधी

आयुर्वेदिक गुण

रस (स्वाद)कटुगुण (मुख्य गुणवत्ता)लघु, रूक्ष, तीक्ष्णवीर्यऊष्ण *विपाककटुचिकित्सीय प्रभावक्षारदोष कर्म (विकारों पर प्रभाव)तीनों दोषों (TRIDOSHA) को शांत करता है – मुख्यतः कफ (KAPHA)अंगों पर प्रभावपेट में सभी अंग

* उपरोक्त आयुर्वेदिक गुणों के अनुसार, आपके पास एक प्रश्न हो सकता है कि यह ऊष्ण होने पर भी अम्लता में क्यों कम करता है। आयुर्वेदिक गुणों के अनुसार, यह वात और कफ विकारों को शांत करता है,  लेकिन इसके अलावा, यह क्षार भी है, जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को बेअसर करता है और अम्लता से राहत प्रदान करता है। बिना पचे भोजन के कण AMA नामक विषाक्त पदार्थों में विक्सित हो जाते हैं, जो अम्लता के लिए उत्तरदायी होते हैं। शंख भस्म भोजन को पचाने और AMA को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।

चिकित्सीय संकेत

शंख भस्म (Shankh Bhasma) निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में मददगार है।

अति अम्लता

भूख में कमी

अपच

दस्त

यकृत वृद्धि

प्लीहा वृद्धि

वायु या पेट का फूलना

सूजन

उदर विस्तार

शीघ्रकोपी आंत्र सिंड्रोम

मुँहासे

हिचकी

लाभ और औषधीय उपयोग

शंख भस्म का प्रभाव यकृत, प्लीहा, पित्ताशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, बृहदान्त्र, आंखों और चेहरे सहित पेट पर दिखाई देता है।

दस्त या अतिसार

आयुर्वेद, दस्त को रोकने के लिए शुरू में किसी भी औषधि का उपयोग करने का सुझाव नहीं देता है। इसलिए, जब रोगी को कम से कम छह दस्त हो गए हों या दस्त सामान्य से गंभीर हो जाए तब शंख भस्म का उपयोग करना चाहिए। शंख भस्म उचित लाभ देता है जब रोगी को कम मात्रा में लगातार मल हो रहा हो, पेट में गंभीर ऐंठन हो और उदरीय वायु हो।

अपच, सीने में जलन और अम्ल प्रतिवाह

शंख भस्म एक उत्तम अम्ल निष्क्रियक है, जो पेट में अति अम्लता को कम करता है और अम्ल उत्पादन को संशोधित करता है।

पेट में अम्ल को निष्क्रिय करने के अतिरिक्त, यह विषाक्त पदार्थों को भी समाप्त करता है, जो सीने में जलन या अपच के साथ जुड़े हो सकते हैं।

शंख भस्म अधिक प्रभावी होता है जब रोगी को उदर विस्तार, पेट में भारीपन, वायु, खाये हुए भोजन के कारण मतली या गले या मुँह में खट्टेपन और जलन का एहसास हो।

पेट में ऐंठन या दर्द

शंख भस्म पेट की मांसपेशियों पर शक्तिशाली आक्षेपनाशक क्रिया करता है। यह दस्त या किसी अन्य अंतर्निहित कारण से होने वाली पेट की ऐंठन को कम करता है। हालांकि, ऐंठन वाले कष्टार्तव में प्रवाल पिष्टी और सूतशेखर रस के साथ शंख भस्म अच्छा काम करता है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

शंख भस्म (Shankh Bhasma) पेट के रोगों में अन्य औषधियों के साथ प्रयोग किये जाने पर 125 मिलीग्राम के साथ प्रभावी है।

औषधीय मात्रा (Dosage)

शिशु10 से 30 मिलीग्राम
बच्चे (5 वर्ष की आयु से ऊपर)60 मिलीग्राम

वयस्क125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम
अधिकतम संभावित खुराक1000 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में)

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?)खाना खाने के तुरंत बाद लेंदिन में कितनी बार लें?2 बार – सुबह और शामअनुपान (किस के साथ लें?)शहद के साथउपचार की अवधि (कितने समय तक लें)चिकित्सक की सलाह लें

दुष्प्रभाव

शंख भस्म के कारण जीभ पर विदर (पतली दरारें या घाव) हो जाते हैं यदि इसे बिना शहद या अन्य औषधि मिलाये जीभ पर रखा जाए। दूसरे, यदि इसको अकेले उपयोग किया जाए तो यह कुछ रोगियों में कब्ज भी पैदा कर सकता है।

इसलिए, शंख भस्म का उपयोग करने के लिए सह-औषध बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे अधिक लाभ लेने और दुष्प्रभाव रोकने के लिए सबसे उपयुक्त सहायक और संयोजन का उपयोग किया जाना चाहिए।

गर्भावस्था और स्तनपान

गर्भावस्था के दौरान जब गर्भवती महिला को कब्ज हो तो शंख भस्म का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए शंख भस्म संभवतः सुरक्षित है।

विपरीत संकेत (Contraindications)

शंख भस्म का मुख्य विपरीत संकेत कब्ज है। इसका बाहरी उपयोग बालों को निकालने और कील मुहांसों का उपचार करने के लिए किया जाता है। ऐसे मामलों में, शंख भस्म के बाहरी उपयोग का विपरीत संकेत दरारें, कटी या फटी त्वचा है।

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2000वाली से 4से 6 kg वकम होगा

3000 वाली से 6 से 10 kg तक कम होगा व पूरे शरीर की 72000 नाड़ियो का सोधन होगा

जॉइंट पैन -1600/ माह   कोर्स 3 माह

अस्थमा 2000/माह।           कोर्स 3माह

किडनी फेल / डायलिसिस - 4500 /माह    कोर्स 3 माह

बबासीर - 2000 रुपये कोर्स 30 दिन

लिकोरिया / सफेद पानी - 2000 फुल कोर्स

हार्ट ब्लॉकेज - 2000/ माह कोर्स 3 माह

हाइड्रोसील / हार्निया - 2000 /माह कोर्स 2 माह

Sexul कोर्स लिंग का पतलापन , ढीलापन, छोटापन 2500 प्रतिमाह कोर्स 2 से 3 माह

परिवार नियोजन 1000 फुल कोर्स

बाल झड़ना रोकना 1200 /तीन माह फुल कोर्स

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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

गोदन्ती भस्म

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गोदन्ती भस्म

गोदन्ती भस्म जिप्सम से बनाई गयी एक खनिज आधारित आयुर्वेदिक औषधि है। यह प्राकृतिक कैल्शियम और सल्फर सामग्री में समृद्ध है। आयुर्वेद के अनुसार, गोदन्ती भस्म तीव्र ज्वर (आयुर्वेद में इसे पित्तज ज्वर के रूप में भी जाना जाता है), सिरदर्द, जीर्ण ज्वर, मलेरिया, योनिशोथ, श्वेत प्रदर, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव, सूखी खाँसी और रक्तस्राव के विकारों के लिए लाभदायक है।आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, अनिद्रा, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, कब्ज, अपच, निम्न अस्थि खनिज घनत्व, ऑस्टियोपोरोसिस, खाँसी और दमा में भी करते हैं।

घटक और रचना

सामान्य नामवैज्ञानिक नामजिप्सम (गोदंति)कैल्शियम सल्फेट डायहाइडेटएलो वेरा रसजिप्सम पाउडर को बनाने, प्रसंस्करण और पीसने के लिए

गोदन्ती भस्म के निर्माण की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण सम्मिलित हैं:

जिप्सम की शुद्धिजिप्सम का महीन चूर्ण बनाने के लिए पीसना और घोंटनाजिप्सम चूर्ण को एलो वेरा रस के साथ पीसना और घोंटनाछोटे और पतले केक बनानालगभग 200 से 500 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान के पर मिट्टी के बर्तनों में पतले केक को ताप देना और राख बनाना

नोट:

कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक ऐलो वेरा रस के स्थान पर नींबू रस, पत्तियों या आक और नीम के पत्तों का उपयोग करते हैं।नीम के पत्तों के रस के साथ बनाई गयी गोदन्ती भस्म को नीम गोदन्ती के रूप में जाना जाता है। यह टाइफाइड ज्वर और जीर्ण ज्वर में लाभदायक है।

रासायनिक संरचना

गोदन्ती एक मृदु कैल्शियम और सल्फर खनिज यौगिक है। रासायनिक रूप से, यह कैल्शियम सल्फेट डायहाइडेट है।

रासायनिक सूत्र: CaSO4•2H2O

औषधीय गुण

गोदन्ती भस्म में उपचार के निम्नलिखित गुण हैं।

ज्वरनाशक (ज्वर को कम करता है और पेरासिटामोल के रूप में काम करता है)दाहक नाशकपीड़ाहरकैल्शियम अनुपूरक

गोदन्ती भस्म के संकेत

गोदन्ती भस्म निम्नलिखित स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों सहायक हैं:

ज्वरमलेरियाटायफायड ज्वर (नीम गोदन्ती का प्रयोग किया जाता है)सिरदर्दजीर्ण ज्वरशरीर में सामान्य दर्द एवं पीड़ाकैल्शियम पूरकभयानक सरदर्दअधकपाटीत्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूलतनाव सिरदर्दउच्च रक्तचाप (हल्का प्रभाव)उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्दह्रदय के लिए शक्तिवर्धक औषधहृदय रोग के कारण साँस लेने में परेशानीनिम्न अस्थि खनिज घनत्वऑस्टियोपोरोसिसअस्थिमृदुताजोड़ों में सूजनजोड़ों में दर्द (हल्का प्रभाव)संधिशोथ गठिया के कारण जोड़ों पर जलन का एहसाससूखी खाँसीदमा (लेकिन तीव्र स्थिति में लाभकारी नहीं)ऊपरी श्वसन संक्रमणयोनिशोथश्वेत प्रदरगर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव (प्रवाल पिष्टी के साथ)प्रसव के बाद ज्वरमसूड़े की सूजनदाँत की मैल

कुछ जड़ी-बूटियों विशेषज्ञ और चीनी चिकित्सक जिप्सम राख के रूप जिप्सम का उपयोग सव्रण बृहदांत्रशोथ के उपचार में करते हैं। लेकिन इसके लिए हमारे पास लाभकारी परिणाम नहीं हैं, इसलिए हमने इस संकेत को यहां शामिल नहीं किया है।

लाभ और औषधीय उपयोग

आयुर्वेदिक चिकित्सा में गोदन्ती भस्म की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह पेरासिटामोल के रूप में कार्य करती है और बुखार को तुरंत कम करती है। बुखार और सिरदर्द में इसका प्रभाव 30 मिनट से 2 घंटे तक दिखाई देता है।

गोदन्ती भस्म की मुख्य क्रिया मस्तिष्क, रक्त वाहिकाओं और फेफड़ों पर होती है। आयुर्वेद में यह ज्वर और संक्रमण के प्रबंधन के लिए दुनिया में अच्छी तरह से जाना जाता है। आइए हम इसके औषधीय उपयोगों और स्वास्थ्य लाभों के बारे में चर्चा करें।

ज्वर (विभिन्न मूल)

ज्वर के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन शरीर के ताप को कम करने के लिए प्रत्येक रोगी को गोदन्ती भस्म दिया जाता है। इसे आमतौर पर ज्वर को कम करने के लिए महासुदर्शन चूर्ण या महासुदर्शन घन वटी के साथ प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी, तुरंत परिणाम पाने के लिए प्रवाल पिष्टी की भी आवश्यकता होती है, खासकर तब जब मरीज़ शरीर में भयंकर दर्द और बेचैनी की शिकायत करे।

टायफायड ज्वर

नीम की पत्तियों के रस के साथ बनाई हुई गोदन्ती भस्म टाइफाइड ज्वर में लाभदायक होती है। कठिन स्थिति में, जब रोगी को तेज बुखार होता है, तो इसका उपयोग अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के साथ सात दिनों के लिए किया जा सकता है।

यह टाइफाइड ज्वर की स्थाई स्थिति में भी लाभदायक होता है, जब रोगी को हल्का बुखार होता है। इस मामले में, निम्नलिखित संयोजन मददगार है।

घटकएकल खुराकनीम गोदन्ती500 मिलीग्रामप्रवाल पिष्टी500 मिलीग्रामसितोपलादि चूर्ण1.5 ग्रामगिलोय सत्त250 मिलीग्राम

रोगी इस खुराक को शहद के साथ दिन में दो बार या तीन बार दोहरा सकते हैं। यह सूखी खांसी में भी लाभदायक है।

हाइपोकैल्शिमिया

हाइपोकैल्शिमिया सीरम कैल्शियम के न्यून स्तर की स्थिति होती है। गोदन्ती भस्म से कैल्शियम अत्यधिक अवशोषित होता है। गोदन्ती भस्म अकेले ही कैल्शियम सीरम के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसके प्रभाव को मजबूत करने के लिए, निम्न संयोजन अधिक लाभकारी हो सकता है।

उपचारखुराकगोदन्ती भस्म500 मिलीग्रामप्रवाल पिष्टी250 मिलीग्राममुक्ता शुक्ति पिष्टी250 मिलीग्राम

सिरदर्द

गोदन्ती भस्म सिरदर्द को कम करती है और यह अधकपाटी और त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल होने पर भी लाभदायक है। सिरदर्द में, इसका उपयोग अकेले या मिश्री (चीनी) के साथ किया जा सकता है।

उपचारखुराकगोदन्ती भस्म500 मिलीग्रामगिलोय सत्त500 मिलीग्राममिश्री (चूर्ण)2 ग्राम

उपरोक्त उपचार को बताई गयी खुराक के अनुसार मिलाकर दिन में दो बार पानी के साथ लेना चाहिए। तेज दर्द में, यह मिश्रण को दिन में 3 से 4 बार भी लिया जा सकता है।

अधकपाटी और त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल

अधकपाटी और त्रिपृष्ठी तंत्रिकाशूल में, गोदन्ती भस्म को गाय के घी और मिश्री (चीनी) के साथ लिया जाना चाहिए। इन रोगों के उचित उपचार के लिए रोगी को अन्य आयुर्वेदिक औषधियों की भी आवश्यकता हो सकती है। इन औषधियों में सूतशेखर रस और शिर शूलादि वज्र रस शामिल हैं।

श्वेत प्रदर और योनिशोथ

गोदन्ती भस्म सफ़ेद निर्वहन और महिलाओं के प्रजनन अंगों की सूजन को कम कर देता है। निम्न उपचार का प्रयोग इस रोग के लिए किया जाता है।

घटकएकल खुराकनीम गोदन्ती500 मिलीग्रामजीरा चूर्ण1 ग्राममजूफल चूर्ण500 मिलीग्रामसुपारी पाक2 ग्राम

गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव

इस स्थिति में, गोदन्ती भस्म मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। इस मिश्रण में शामिल हैं:

घटकएकल खुराकनीम गोदन्ती500 मिलीग्रामआंवला चूर्ण2 ग्रामइसबगोल की भूसी2 ग्राम

खुराक और प्रबंधन

गोदन्ती भस्म की खुराक रोगी की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर 125 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक हो सकती है।

खुराक तालिका

आयुएकल खुराक0 से 3 महीने65 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम3 महीने से 1 वर्ष125 मिलीग्राम ते 175 मिलीग्राम1 वर्ष से 5 वर्ष125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम5 वर्ष से ऊपर250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्रामवयस्क500 मिलीग्राम से 1 ग्राम

गोदन्ती भस्म की कुल खुराक वयस्कों में 2 ग्राम और बच्चों में 1 ग्राम प्रति दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए।

सुरक्षा प्रोफाइल

अल्पकालिक उपयोग (4 सप्ताह से कम) संभवतः सुरक्षित है। अल्पकालिक उपयोग में किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है।

सावधानी और दुष्प्रभाव

गोदन्ती भस्म के दीर्घकालिक उपयोग के कारण यकृत विकार हो सकता है। इसलिए, आपको इसका उपयोग लगातार एक महीने से अधिक नहीं करना चाहिए।

गर्भावस्था और स्तनपान

अल्पकालिक उपयोग (4 सप्ताह से कम) के लिए गोदन्ती भस्म का उपयोग गर्भावस्था और स्तनपान कराते समय संभवतः सुरक्षित है। दीर्घावधि उपयोग की सुरक्षा अभी तक स्थापित नहीं हो पाई है, इसलिए इसका उपयोग लंबे समय तक या लगातार 4 सप्ताह से अधिक करने से बचें।

मतभेद

गोदन्ती भस्म का उपयोग यकृत विकारों और अतिकैल्शियमरक्तता में नहीं करना चाहिये

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शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

यूरिक एसिड

🌺🙏🏻🌺 *!! यूरिक एसिड का गड़बड़ होना !!* 🌺🙏🏻🌺

आज हम आपको यूरिक एसिड के लिए दो अनुभूत नुस्खे बता रहे हैं ! आजकल यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है !!
       इलाज के नाम पर डॉक्टर लोग केवल आपकी जेब खाली करने में लगे हुए हैं ! हमारे सदियों पुराने आयुर्वेद में इसका इलाज बहुत ही आसानी से घरेलु नुस्खों द्वारा बताया गया है ! आज हम आपको उन्ही नुस्खों में से हमारे द्वारा अनुभूत दो नुस्खे बता रहे हैं !!

*!! यूरिक एसिड क्या होता है !!*

      यदि किसी कारणवश गुर्दे की छानने की क्षमता कम हो जाए तो यह यूरिया- यूरिक एसिड में बदल जाता है ।जो बाद में हड्डियों में जमा हो जाता है जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति को जॉइंट में दर्द रहने लगता है !!
        यूरिक एसिड प्यूरिन के टूटने से बनता है ! वैसे तो यूरिक एसिड शरीर से बाहर पेशाब के रूप में निकल जाता है ! परन्तु यदि किसी कारण वश जब यूरिक एसिड शरीर में रह जाए तो धीरे-धीरे इसकी मात्रा ही आपके शरीर के लिए नुकसान दायक हो जाती है।यह अधिकांश आपके हड्डियों के जोड़ो में इकठ्ठा होने लगता है जिसके कारण आपको ज्वाइंट पैन होने लगते हैं !!

*!! उच्च यूरिक एसिड के नुकसान !!*

*१ :-* इसका सबसे बड़ा नुकसान है शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द जिसे गाउट रोग के नाम से जाना जाता है !!

*२ :-* पैरो-जोड़ों में दर्द होना !!

*३ :-* पैर एडियों में दर्द रहना !!

*४ :-* गांठों में सूजन !!

*५ :-* जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना !!

*६ :-* एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द ! फिर दर्द सामन्य हो जाना !!

*७ :-* पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना !!

*८ :-* शर्करा लेबल बढ़ना !!

    उपर्युक्त निम्न तरह की समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें !!

*!! युरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा !!*

*नुस्खा नम्बर १ :-*
त्रिफला- २५० ग्राम,
गिलोय चूर्ण - २०० ग्राम !
कलोंजी- १००ग्राम,
मैथी पीसी - १०० ग्राम,
अजवायन - १०० ग्राम,
अर्जुन छाल चूर्ण - १०० ग्राम,
चोबचीनी - १०० ग्राम,
२००ग्राम एलोवेरा रस में सभी चूर्ण को मिलाकर छावं में सुखाए ! व चूर्ण कर लें !!

*सेवन की विधि :-*
     २१ दिन से ९० दिन तक दिन में ३ बार २ से ५ ग्राम चूर्ण सेवन करें !!

*नुस्खा नम्बर २ :-*
छोटी हरड का पावडर - १०० ग्राम,
बड़ी हरड का पावडर - १०० ग्राम,
आवंला का पावडर - १०० ग्राम,
जीरा का पावडर -१०० ग्राम,
गिलोय का पावडर - २०० ग्राम,
अजवायन - १०० ग्राम,
        इन सभी को आपस में मिला लीजिये !!
         प्रतिदिन ५ ग्राम सुबह और ५ ग्राम शाम को पानी से निगल लीजिये ! यूरिक एसिड नार्मल होते देर नहीं लगेगी !!
        लेकिन सावधान आपको लाल मिर्च का पावडर और किसी भी अन्य खटाई, अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना है !!

*!! हाई यूरिक एसिड में क्या खाये और नहीं खाना चाहिए !!*

       प्यूरिन की वजह यूरिक एसिड हाई होता है ! इसलिए खाने पीने ऐसी चीजों के सेवन से दूर रहे जिनसे प्यूरिन बनता है ! जेसे रेड मीट, ऑर्गन मीट, फिश और सी फुड !!

*१ :-*  दूध कम फैट वाला ही पिए !!

*२ :-* जैतून के तेल में खाना बनाये !!

*३ :-*  डिब्बा बंद खाना खाने से बचे ! पता नही कब का पैक है !!

*४ :-*  विटामिन सी युक्त चीजों का सेवन करे !!

*५ :-*  बियर और शराब के सेवन से परहेज करे !!

*६ :-* जिन चीजों में फाइबर की मात्रा अधिक हो ऐसी चीज खाये !!

*७ :-* ओमेगा -3 फैटी एसिड का यूरिक एसिड में परहेज करे !!

*८ :-* नींबू पानी शरीर को साफ़ करता है ! और क्रिस्टल्स घोलता है !!

*९ :-* पेस्ट्री, केक और पैनकेक जैसे बेकरी उत्पादों के सेवन से बचे !!

*१० :-* जामुन, चेरी और स्ट्रॉबेरी जैसे फल गठिया का इलाज करने और यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करते है !!

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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...