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सोमवार, 11 नवंबर 2019

लिसोड़ा पाक

🌹✍🏻   लिसोड़ा पाक      ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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योग -

लिसोड़ा के सूखे फल -1 kg
मिश्री 1kg
दाल चीनी 15gm
इलाइची 15 gm
कायफल 15 gm
लोंग 15 gm

बिधि - सबको महीन पीस कपड़छन कर  2kg शहद में अच्छी तरह मिला ले । ओर खूब घुटाई करे

सेवन विधि - 10 से 20 gm तक सुबह शाम सेवन करे ।

लाभ - इससे स्वांस , कफ की खुश्की , कमर दर्द , वीर्य का पतलापन , शारीरिक निर्बलता , पेट की गर्मी  दूर होती है

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
7985817113👌👌👌👌👍👍👍👍👍
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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
7985817113
🌳🕉🌺संजीवनी परिवार 🌺🕉🌳
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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

सुपारी पाक

🌹✍🏻     सुपारी पाक             ✍🏻🌹
जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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सुपारी पाक एक आयुर्वेदिक टॉनिक है जो स्त्री और पुरुष दोनों के प्रजनन अंगों या Re productive system पर असर करती है और स्त्री पुरुष के स्वास्थ को सुधारती है

हालाँकि यह औरत और मर्द दोनों के लिए फायदेमंद दवा है पर औरतों की बीमारी जैसे ल्यूकोरिया और गर्भाशय की प्रॉब्लम के अधिक इस्तेमाल की जाती है और इसी के लिए यह पोपुलर भी है

इसके इस्तेमाल से ल्यूकोरिया और गर्भाशय की प्रॉब्लम दूर होती है और संतान होने की सम्भावना बढ़ती है

महिलाओं के लिए यह दवा अमृत तुल्य है, इसका इस्तेमाल महिलाओं की डेलिवेरी के बाद भी गर्भाशय टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है

यह एक बेहतरीन टॉनिक है जो ल्यूकोरिया, शारीरिक कमज़ोरी, पीठ और कमर की दर्द, खून की कमी, चेहरे का पीलापन, थोड़ा काम करते ही थक जाना जैसे महिला रोगों के लिए बेहद असरदार दवा है

पुरुषों के नर्वस system की कमज़ोरी, infertility, शीघ्रपतन और वीर्य विकार में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है

सुपारी पाक का मुख्य घटक सुपारी है और इसके अलावा इसमें कई सारी जड़ी-बूटी और खनिज लवण मिलाये जाते हैं

तो आईये जानते हैं कि इसका कम्पोजीशन क्या है -

इसमें मिलाया जाता है सुपारी, गाय का दूध, गाय का घी और चीनी के अलावा ये सारी जड़ी-बूटियां
इलायची
बला
नागबला
पिप्पली
जायफल
जावित्री 
शिवलिंगी
तेजपात
तालिशपत्र
दालचीनी
सोंठ
उशीर
तगर
मोथा
हर्रे
बहेड़ा
आँवला
वंशलोचन
शतावर
शुद्ध कौंच बीज
मुनक्का
तालमखाना
गोक्षुर
खजूर
धनिया
कसेरू
मुलेठी
सिंघाड़ा
जीरा
बड़ी इलायची
अजवाइन
कुशुब के बीज
जटामांसी
सौंफ़
मेथी
विदारीकन्द
सफ़ेद मुसली
असगंध
कचूर
नागकेशर
काली मिर्च
चिरोंजी
सेमल के बीज
गज पीपल
कमलगट्टा
सफ़ेद चन्दन
लाल चन्दन और लौंग के अलावा

बंग भस्म, नाग भस्म, लौह भस्म, कस्तूरी और कपूर भी मिलाया जाता है
आप समझ सकते हैं कि इतनी सारी जड़ी-बूटी और भस्मों के मिश्रण से यह दवा कितनी असरदार बन जाती है

यह एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है हमदर्द से लेकर डाबर, बैद्यनाथ जैसी कई सारी आयुर्वेदिक और यूनानी कंपनियां बनाती हैं और यह हर जगह मिल जाती है

अब जानते हैं सुपारी पाक के फ़ायदे -

इसके इस्तेमाल से औरतों की बीमारी ल्यूकोरिया ठीक हो जाती है और इसके सेवन से गर्भाशय को ताक़त मिलती  है

प्रसव के बाद इसके इस्तेमाल से योनी संकुचित होती है और शरीर को बल मिलता है

ल्यूकोरिया और इस से होने वाले लक्षण जैसे ताक़त की कमी, कमज़ोरी, सर दर्द, पैर और कमर में दर्द, थकावट, चिंता, सर का भारीपन, थोड़े से काम से ही थक जाना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है

पेल्विक Inflammatory डिजीज या PID में भी इस से फ़ायदा होता है, इसके लिए इसे अशोकारिष्ट के साथ लेना चाहिए

बार-बार गर्भपात या मिस कैरज होने भी असरदार है, जिन महिलाओं को मिस कैरेज हो जा रहा हो उनको इसका इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए

पुरुषों के रोग जैसे वीर्य विकार, शीघ्रपतन और शुक्राणुओं की कमी में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है

अब जानते हैं सुपारी पाक के डोज़ के बारे में -

सुपारी पाक को 12 से 24 ग्राम तक दिन में दो बार दूध या पानी से खाना खाने के बाद लेना चाहिए

इसकी मात्रा का निर्धारण बल, आयु और पाचन शक्ति के मुताबिक करना चाहिए

यह पूरी तरह से आयुर्वेदिक दवा है जिसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है, लम्बे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है 

प्रेगनेंसी में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

तो दोस्तों, ये थी आज की जानकारी बहुत ही प्रचलित दवा सुपारी पाक के बारे में

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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अलसी के लड्डू

🌹✍🏻       अलसी के लड्डू           ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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अलसी के लड्डू के लाभ और विधि

अलसी औषधीय गुणों से भरपूर है जोकि कई तरह की बिमारियों का उपचार करने के लिए फायदेमंद है। सर्दी में अलसी के लड्डू खाना अत्यंत फायदेमंद है.


अलसी के लड्डू त्यार करने की विधि
अलसी के लड्डूयों को त्यार करने की विधि बहुत ही आसान है। लड्डूयों को त्यार करने के लिए आपके पास यह मह्त्बपूर्ण सामग्री होना जरूरी है।

अलसी – 400 से 500 ग्राम

गेंहू का आटा – 500 ग्राम

चीनी – 700 से 800 ग्राम


मेबा – 500 ग्राम

काजू – 200 से 250 ग्राम

बदाम – 100 ग्राम ( अधिक भी उपयोग कर सकते हैं )

पिस्ता – 2 से 3 चम्मच

गोंद – 100 ग्राम

इलायची – 10 ग्राम ( छील कर अच्छी तरह से पिस ले )


अलसी के लड्डू त्यार करने के लिए सबसे पहले आप अलसी को अच्छी तरह से साफ कर ले, ताकि उसमे किसी प्रकार का कंकर और मिट्टी न रह जाएँ। इसके बाद अलसी को किसी खुले बर्तन में ढाल कर 7 से 10 मिनट तक आग पर रख कर अच्छी तरह से बून लें। जब अलसी से टिक टिक की अबाज आने लगे तो उसे आग से निचे उतार लें। इसके बाद अलसी को अच्छी तरह से ठंडा होने दो। जब अलसी अच्छी तरह से ठंडी हो जाये तो उसे ग्रैंडर या मिक्सी में अच्छी तरह से पीछ लें।

अलसी को पीसने के बाद आप काजू, बदाम को देशी घी में अच्छी तरह से बून लें। जब काजू और बदाम का रंग हल्का लाल होने लगें तो उसे तुरन्त आग से उतार दे और इन्हें ठंडा होने के लिए रख दें। ठन्डे होने के बाद काजू और बदाम को चाकू के साथ इसके टुकड़े कर लें या फिर इनको मिक्सी में पीसलें।

इसके बाद गेहूँ के आटे ओर पिस्ते को भी देशी घी मे अच्छी तरह से बून लें।

सभी की तरह गोंद को भी देशी घी मे बून लें। गोंद को देशी घी मे डालने से पहले इसके छोटे छोटे टुकड़े कर लीजिएं ओर इसे धीरे धीरे गरम करें ताकि यह अच्छी तरह से बुन जाएँ।

सभी सामग्री को बुनने के बाद इनको अलग अलग बर्तन मे ढाल कर ठंडा करें। जब सभी चीज़े अच्छी तरह से ठंडी हो जाएं इसके बाद सभी सामग्री को इकठ्ठा करके किसी खुले बरतन मे अच्छी तरह से मिलाएँ।

सभी सामग्री को मिक्स करने के बाद अपने हाथों से छोटे छोटे लड्डू बना लें। ऐसे आपके अलसी के लड्डू त्यार हो जाएंगे और इनको 4 से 6 सप्ताह तक रखा जा सकता हैं।


अलसी के लड्डूयों से होने वाले लाभ
सर्दियों के मौसम में अलसी के लड्डू खाने से हमारे शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। सर्दियों के मौसम में आने वाले बुखार, जुकाम, खांसी को दूर करने के लिये अलसी के लड्डूयों को आयुर्वेदिक औषदि के रूप में माना जाता हैं। जो सभी प्रकार कि बिमारियों को खत्म करने में बहुत लाभकारी हैं।

शरीर में आने वाली कमजोरी और बच्चो के स्बास्थ को ठीक रखने के लिए अलसी के लड्डू बहुत लाभदायक है।

अगर कोई व्यक्ति दिल का रोगी हो तो उसे हर रोज दूध के साथ अलसी के लड्डूयों का सेवन करना चाहिए, अलसी दिल की बिमारियों को दूर करने के लिए भी लाभकारी है।

अलसी के लड्डूयों का सेवन करने से पथरी जैसे रोगों को भी खत्म किया जा सकता हैं।

पुराने से पुराने जोड़ों के दर्द को खत्म करने के लिए अलसी बहुत फायदेमंद है सर्दियों के मौसम में रोजाना अलसी के लड्डूयों का सेवन करने से आप अपने सभी प्रकार के जोड़ो के दर्द से मुक्ति पा सकते हैं।

डॉक्टरों का भी मानना है कि सर्दियों में अलसी का सेवन करके मनुष्य अपने शरीर को कई प्रकार की बिमारियों से दूर रख सकता हैं

आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
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रविवार, 22 अक्टूबर 2017

आयुर्वेदिक पाक/ अवलेह भाग २

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक पाक/ अवलेह भाग २ !!* 🌺🙏🏻🌺

         *!! च्यवनप्राशावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* च्यवनप्राशावलेह शरीर को बल व स्फूर्ति प्रदान करने वाला है ! यह बल, वीर्य, कान्ति व बुद्धि को बढ़ाता है ! यह वीर्य विकार, स्वप्नदोष, राजयक्ष्मा, खाँसी, श्वास, प्यास, वातरक्त, छाती का जकड़ना, वातरोग, पित्तरोग, शुक्रदोष व मूत्रदोष में उत्तम लाभ देता है ! यह फेफड़े मजबूत करता है, दिल को ताकत देता है, पुरानी खाँसी व दमा में लाभ करता है ! इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है ! यह वृद्धि व स्मरण-शक्तिवर्द्धक एवं मैथुन में आनन्द देने वाला है ! रोग के पश्चात् की दुर्बलता दूर करता है ! इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ‘सी’ होता है ! स्त्रियों के गर्भाशय व पुरूषों के वीर्य- दोष को मिटा कर उनको सन्तान सुख देने योग्य बनाता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दिन में दो बार दूध के साथ !!

         *!! चोपचीनी पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* चोपचीनी उपदंश, व्रण, कुष्ठ, वातव्याधि, भगन्दर, धातुक्षय से उत्पन्न खाँसी, जुकाम, सूजाक व उपदंश के कारण पेदा हुर्इ रस -ग्रन्थियों की सूजन, पुराना नजला, लकवा, हाथ- पैरों में सूजन व यक्ष्मा आदि में उत्तम होता है ! यह काम शक्तिवर्द्धक, बाजीकरण करने वाला व शरीर को पुष्ट करने वाला है ! यह रक्तशोधक है व खून को साफ कर फोड़े-फुंसियों का नष्ट करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १-१ लड्डू, दिन में दो बार !!

         *!! चित्रक हरीतकी !!*

*गुण व उपयोग : -* चित्रक हरीतकी पुराने श्वास, जुकाम, खाँसी, पीनस, कृमि रोग, गुल्म, उदावर्त, अर्श, मन्दाग्नि में श्रेष्ठ लाभ करती है ! इसके सेवन काल में नाक में दो बार षड़बिन्दु तेल डालने से विशेष लाभ मिलता है ! पुराने या बिगड़े हुए जुकाम में यह बहुत ही लाभकारी है ! इसके सेवन करते समय, इसमें अभ्रक भस्म १०० मिलीग्राम मिला ली जाए तो इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं !!

*मात्रा व अनुपान : -* ५ से ७ ग्राम, दिन में दो बार गाय के गर्म दूध के साथ !!

           *!! चन्दनादि अवलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* चन्दनादि अवलेह हृदय रोग, भ्रम, ‌‌मूर्च्छा, वमन व भंयकर का नाश करता है ! अम्लपित्त में इसे प्रवाल के भस्म चन्द्रपुटी २५० मिलीग्राम के साथ सेवन करने से विशेष लाभ मिलता है ! इससे पाचन शक्ति बढ़ती है व भूख खुलकर लगती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दिन में दो बार पानी या दूध के साथ !!

          *!! गोखरू पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* गोखरू पाक अर्श, प्रमेह, क्षय, मूत्रपिंड की सूजन, शरीर की दुर्बलता, बस्तिशोथ, शुक्रजनित व बलवर्द्धक है ! यह काम-शक्ति बढ़ाता है ! व गर्भाशय को शक्ति देता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ३ से ६ ग्राम तक दूध या ठण्डे पानी के साथ !!

             *!! गुलकन्द !!*

*गुण व उपयोग : -* गुलकन्द दाह, पित्तदोष, जलन, गर्भाशय की गर्मी, आन्तरिक गर्मी बढ़ना, मासिक धर्म में अधिक रक्त आना, हाथ- पैरों में जलन व कब्ज आदि रोगों में लाभदायक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम !!

        *!! खमीरे गावजवान !!*

*गुण व उपयोग : -* खमीरे गावजवान भूख बढ़ाने वाला, उदर शुद्धि करने वाला, दृष्टि में लाभदायक व दिल एवं दिमाग को पुष्ट बनाने वाला है !!

*मात्रा व अनुपान :-* १० ग्राम चाँदी का वर्क मिलाकर १२० ग्राम गावजवान अर्क या ताजे पानी के साथ !!

         *!! गुलकन्द - प्रवालमिश्रित !!*

*गुण व उपयोग : -* प्रवालमिश्रित गुलकन्द सामान्य गुलकन्द से अधिक गुणकारी होता है ! यह दाह, पित्तदोष, जलन, गर्भाशय की गर्मी, आन्तरिक गर्मी बढ़ना, मासिक धर्म में अधिक रक्त आना, हाथ- पैरों में जलन व कब्ज आदि रोगों में लाभदायक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, पानी या दूध के साथ !!

          *!! कुष्माण्ड (खण्ड) अवलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* कुष्माण्ड खण्ड शीतप्रधान है ! यह रक्त-पित्त, क्षय, खाँसी, श्वास, छर्दि, अधिक प्यास लगना, ज्वर, रक्तपित्त आदि में उत्तम लाभ करता है ! यह बलवर्द्धक, वर्णशोधक, उर:संधान कारक, वृंहण, स्वर को तीव्र करने वाला, अतिऊत्तम रसायन है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दूध के साथ !!

         *!! कुटजावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* कुटजावलेह अतिसार, दु:साध्य संग्रहणी व प्रवाहिका (पेचिश), मरोड़ के दस्तों, दस्तों के साथ खून आना, बवासीर, रक्तपित्त, प्रमेह, कामला, पुरानी आँव आदि में रोगों में उत्तम लाभ करता है ! रक्तातिसार में इसका विशेष उपयोग किया जाता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ४ से ६ ग्राम, दिन में दो बार शहद के साथ !!

           *!! कासकण्डनावलेह !!*

*गुण व उपयोग :-* कासकण्डनावलेह पुरानी खाँसी, मन्द ज्वर, मन्दाग्नि, रक्त की कमी, कफ का जमना, छाती में दर्द आदि मेंउत्तम लाभ करता है ! इसके सेवन से छाती में जमा हुआ कफ बाहर निकलता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* २ से ४ गाम, दिन में दो बार शहद या गर्म पानी के साथ !!

          *!! कामेश्वर मोदक !!*

*गुण व उपयोग : -* कामेश्वर मोदक बाजीकरण व कामाग्नि संदीपन है ! यह निर्बल पुरूषों को बल देता है ! व उर:क्षत, राजयक्ष्मा, कास, श्वास, अतिसार, अर्श, ग्रहणी, प्रमेह व श्लेष्मप्रकोप आदि व्यादियों को नष्ट करता है !!

*मात्रा व अनुपान :-* १ से ३ ग्राम, गो-दुग्ध के साथ, प्रात: काल !!

        *!! कल्याणावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* कल्याणावलेह याददाश्त बढ़ाने वाला व स्वर को कोकिल के समान बनाने वाला है ! इसका सेवन कुछ दिन तक लगातार करने से याददाश्त बढ़ती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* २ से ४ ग्राम, दिन में दो बार गोघृत के साथ !!

          *!! कंटकार्यवलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* कंटकार्यवलेह श्वास, कास, हिचकी, कफ का छाती में जमना, सूखी व गीली खाँसी आदि में लाभ प्रदान करता है ! भीतर जमे हुए कफ को बाहर निकलता है ! ज्वर में भी यह लाभकारी है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दिन में दो बार उचित अनुपान के साथ !!

          *!! एरण्ड पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* अरणड पाक लकवा, पंगुलवात, आमवात, ऊरूस्तम्भ, शिरागत वायु, कटिवात, बस्तिवात, कोष्ठगत वात, वृषणवृद्धि, सूजन, उदर शूल, अपेण्डीसाइटिस आदि रोगों में लाभदायक है ! इसके सेवन से कमजोरी दूर हो कर बलवृद्धि होती है ! स्त्रियों में दूध की मात्रा को बढ़ाता है ! इसके सेवन से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, गर्म दूध या पानी के साथ !!

          *!! आर्द्रक पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* ‌‌‌आर्द्रक पाक अरूचि, स्मरण- शक्ति कम कमी, सूजन, ग्रहणी, दर्द, उदर रोग, श्वास, कास, स्वरभंग, गुल्म आदि रोगों में लाभ करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दिन में दो बार !!

          *!! आरग्वद्यावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* आरग्वद्यावलेह औषधीउत्तम अग्निप्रदीपक, वातनुलोमक व मृदुसारक है ! यह अजीर्ण, के कारण कब्जियत आदि में लाभदायक है ! इसके सेवन से पेट साफ होता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, दोष, काल, बल व अवस्थानुसार गर्म पानी के साथ !!

           *!! आम्रपाक !!*

*गुण व उपयोग : -* आम्रपाक क्षय, संगहणी, श्वास, रक्तपित्त, वीर्यविकार, ग्रहणी, अम्लपित्त, अरूचि, रक्तपित्त, पांडु रोग, कब्ज, संग्रहणर, शुक्र-विकार आदि रोगों में यह विशेष लाभ करता है ! यह अत्यन्त बाजीकरण, पौष्टिक, बलदायक है ! अल्पशुक्र वाले व्यक्तियों को इसके सेवन से शुक्र की वृद्धि हो कर काम शक्ति जागृत होती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १ से २ ग्राम, भोजन से पहले, गो-दुग्ध या पानी के साथ !!

          *!! आमलक्याद्यवलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* आमलक्याद्यवलेह पांडु, कामला, रक्तपित्त, पित्तविकार, अम्लपित्त, अन्र्तदाह, बाह्यदाह, प्यास की अधिकता, हृदय की धड़कन बढ़ना आदि में विशेष लाभ देता है ! इसका उपयोग पांडु रोग में विशेष रूप से किया जाता है !!

*मात्रा व अनुपान: -* ६ से १० ग्राम, गोमूत्र या छाछ के साथ !!

         *!! आँवला मुरब्बा !!*

*गुण व उपयोग : -* आँवले का मुरब्बा दाह, सिर दर्द, पित्तकोप,, चक्कत, नेत्र जलन, बद्धकोष्ठ, अर्श, रक्तविकार, त्वचा दोष, प्रमेह व वीर्य के विकारों में लाभ कर शरीर को बलवान बनाता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १ से २ आँवले !!

         *!! अश्वगन्धा पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* अश्वगन्धा पाक पौष्टिक, बलवर्द्धक व अग्निप्रदीक है ! यह प्रमेह, धातु की दुर्बलता, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु आना, वात-विकार, वात के कारण दर्द आदि रोगों में विशेष लाभ करता है ! इसका असर वृक्क, शुक्राशय एवं वातवाहिनी नाड़ी पर विशेष होता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० ग्राम, दिन में दो बार शहद, गो-दुग्ध या पानी के साथ !!

          *!! अव्टांगावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* अव्टांगावलेह विशेष रूप से खाँसी, श्वास, कफ ज्वर, न्यूमोनिया में कफ का न आना आदि में लाभदायक है ! इसके सेवन से जमा हुआ कफ पिघल कर बाहर आता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १ से २ ग्राम, दिन में दो बार !!

         *!! अम्लपित्तहर पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* अम्लपित्तहर पाक में अभ्रकभस्म व लौहभस्म का सम्मिश्रण होने से यह अम्लपित्त में विशेष लाभ देता है ! यह अम्लपित्त, अरूचि, शूल, हृदय रोग, वमन, कण्ठदाह, हृदय की जलन, सिर दर्द आदि रोगों में लाभदायक है ! यह बलवर्द्धक व पौष्टिक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० ग्राम, दिन में दो बार गर्म दूध या पानी के साथ !!

        *!! अमृतभल्लातक !!*

*गुण व उपयोग : -* अमृत भल्लातक कफ, वातरोगों, जीर्ण प्रतिष्याय, पक्षाघात, कमर दर्द आदि में लाभदायक है ! यह वीर्यवर्द्धक व बाजीकरण है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० ग्राम, दिन में दो बार !!

         *!! अमृतप्राशावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* अमृतप्राशावलेह खाँसी, दमा, तृषा, रक्तपित्त व शुक्रक्षय में अच्छा लाभ प्रदान करता है ! कमजोरी से मुक्ति दिलाता है ! यह उत्तम पौष्टिक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ५ से १० ग्राम, बकरी के दूध के साथ !!

        *!! अभयादि मोदक !!*

*गुण व उपयोग : -* अभयादि मोदक कब्जियत, मन्दाग्नि, विषज्वर, उदर रोग, पांडु व वातरोग आदि में लाभदायक है ! यह विरेचक है !!

*मात्रा व अनुपान: -* १ से २ गोली, दिन में दो बार ठण्डे पानी के साथ !!

        *!! अगस्त्य हरीतकी !!*

*गुण व उपयोग : -* अगस्त्य हरीतकी दमा, क्षय, खाँसी, ज्वर, अर्श, अरूचि, पीनस, ग्रहणी, बदहजमी, अपचन, हृदय व रक्तवाहिनी सिराओं की शिथिलता, संग्रहणी, अतिसार आदि रोगों में लाभदायक है ! इसके सेवन से भूख खुलकर लगती है ! यह मृदु विरेचक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* वैद्य की सलाहनुसार !!

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शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

आयुर्वेदिक पाक/ अवलेह भाग १

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक पाक/ अवलेह भाग १ !!* 🌺🙏🏻🌺

           *!! हरिद्रा खण्ड !!*

*गुण व उपयोग : -* हरिद्रा खण्ड शीतपित्त, उदर्द, चकते, कण्डु, खुजली, ‌‌‌एग्जिमा-छाजन, जीर्णज्वर, कृमि, पांडुरोग, शाथ आदि रोगों में उत्तम लाभ करता है ! यह मृदु विरेचक भी है !!

*मात्रा व अनुपान : -*
६ से १० ग्राम, पानी के साथ !!

          *!! हरीतकी खण्ड !!*

*गुण व उपयोग : -* हरीतकी खण्ड अम्लपित्तजन्य दर्द व अम्लपित्त, अर्श, काष्ठगत विकार, वातरोग, कटिशूल में उत्तम लाभ करता है ! यह उत्तम विरेचक भी है !!

*मात्रा व अनुपान : -*
    ६ से १० ग्राम, बलानुसार गर्म दूध या पानी के साथ !!

          *!! सौभग्य शुण्ठीपाक !!*

*गुण व उपयोग : -* सौभग्य शुण्ठीपाक बल एवं आयु की वृद्धि करता है ! पुरूषों के लिए भी बल-वर्द्धक है ! स्त्रियों के लिए अमृत-तुल्य लाभकारी है ! इसके सेवन से योनिविकार, प्रदर, कष्टार्तव आदि रोग नष्ट होते हैं ! प्रसूता स्त्रियों के लिए विशेष लाभप्रद है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से २० ग्राम, दिन में दो बार !!

           *!! सुपारी पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* सुपारी पाक के सेवन से स्त्रियों की योनि से होने वाले विभिन्न प्रकार के स्राव (प्रदर) नष्ट होते हैं ! बन्ध्यत्व दोष को नष्ट करके उन्हे सन्तानोपत्ति योग्य बना देता है ! पुरूषों के शीघ्रपतन व शुक्रपतन एवं शुक्रमेह रोग में अत्यन्त गुणकारी है ! गर्भाशय को शक्ति देता है व योनि को संकुचित करता है !!
       विशेषतय: प्रसूता स्त्रियों के लिए अतिशय गुणकारी है ! इसके सेवन से प्रौढ़ा स्त्री भी कान्तियुक्त हो जाती है ! प्रदर रोग के कारण होने वाले कमर दर्द, सिर दर्द रहना, कमजोरी आदि में उत्तम लाभ करता है ! स्त्रियों में अमृततुल्य लाभ करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, सुबह-शाम, गाय के दूध के साथ !!

         *!! व्याघ्री हरीतकी !!*

*गुण व उपयोग : -* व्याघ्री हरीतकी खाँसी, श्वास रोग, बद्धकोष्ठ, गले की खराबी आदि में उत्तम लाभकारी है ! कफ व वात प्रधान रोगों में इससे विशेष लाभ होता है ! कास व श्वास रोगी के लिए यह अमृत के समान लाभ प्रदान करता है !!
*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, दिन में दो बार, पानी या दूध के साथ !!

         *!! वासाहरीतकी अवलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* वासाहरीतकी अवलेह खाँसी, क्षय, श्वास, रक्तपित्त, प्रतिश्याय, रक्तस्राव, रक्त मिश्रित दस्त, बवासीर, रक्तप्रदर, हृदय की कमजोरी, कब्ज आदि में लाभदायक है ! यह विशेष रूप से श्वास नलिका, खाँसी, कफ रोग आदि में लाभ करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम अवलेह चटाकर ऊपर से गाय का गर्म दूध पीना चाहिए !!

            *!! वासावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* वासावलेह के सेवन से खाँसी, श्वास, रक्तप्रदर, रक्तपित्त, खूनी बवासीर, रक्तमिश्रित दस्त, पुरानी कफज खाँसी, श्वास-नलिका की सूजन, न्यूमोनिया, प्लूरिसी, इन्फ्लुएन्जा के बाद की खाँसी आदि में लाभ मिलता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, दिन में दो बार शहद या रोगानुसार अनुपान के साथ !!

        *!! लऊक सपिस्ताँ !!*

*गुण व उपयोग : -* लऊक सपिस्ताँ के सेवन से कठिन से कठिन नजला, जुकाम आदि रोग शीघ्र नष्ट होते हैं ! कास-श्वास रोग में भी उत्तम ‌‌‌लाभकारी है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, ‌‌‌प्रात: शाम चाटकर ऊपर से सुखोष्ण पानी पी लें !!

          *!! मूसली पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* मूसली पाक अत्यन्त पौष्टिक, बल-वीर्य व कामशक्ति-वर्द्धक और नंपुसकता- नाशक है ! इसके सेवन से धातु- दौर्बल्य नष्ट होकर शरीर स्वस्थ, कान्तियुक्त व बलशाली बनता है ! स्त्रियों के प्रदर रोग व पुरूषों के वीर्य दोष को नष्ट करने में यह अतिउत्तम है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, दूध या पानी के साथ !!

        *!! माजनू फलासफा !!*

*गुण व उपयोग : -* माजनू फलासफा दिल, दिमाग, वातनाड़ियों व स्नायु मण्डल की कमजोरी में उत्तम लाभ प्रदान करता है ! इसके सेवन से वातरोगों में विशेष लाभ मिलता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ५ से ६ ग्राम !!

           *!! मदनानन्द मोदक !!*

*गुण व उपयोग : -* मदनानन्द मोदक के उपयोग से बल- वीर्य की वृद्धि, रति- शक्ति की वृद्धि व स्तम्भन शक्ति प्राप्त होती है ! यह अपस्मार, ज्वर, उन्माद क्षय, वातव्याधि, कासव्याधि, कासश्वास, शोथ, भगन्दर, अर्श, ग्रहणी, बहुमूत्र, प्रमेह, शिरोरोग, अरूचि व वातिक- पैतिज और कफज रोग आदि में लाभ प्रदान करता है ! यह संग्रहणी व मन्दाग्नि की उत्तम दवा है ! इसका सेवन वैद्य की देखेरख में ही करना चाहिए !!

*मात्रा व अनुपान : -* ३ से ६ ग्राम, दूध या पानी के साथ !!

             *!! भार्गी गुड़ !!*

*गुण व उपयोग : -* भार्गी गुड़ पुराने कास- श्वास वाले रोगी के लिए अमृत के समान लाभ करता है, क्योंकि इसका प्रभाव वातवाहिनी व कफवाहिनी नाड़ियों पर विशेष होता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दिन में दो बार !!

        *!! ब्राह्मी रसायन !!*

*गुण व उपयोग : -* ब्राह्मी रसायन खाँसी, दमा, क्षय, कब्जियत आदि में लाभ करती है ! इसके सेवन से शरीर व दिमाग की कमजोरी दूर हो कर आयु, बल, कान्ति व स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० ग्राम, गाय के दूध या पानी के साथ !!

         *!! नारिकेल खण्ड पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* नारिकेल खझउ पाक के सेवन से पुरूषत्व निद्रा व बल की वद्धि होती है ! और यह अम्लपित्त, परिणामशूल, शुक्र-क्षयादि, अपचन, उदरशूल, खट्टी डकारें व क्षय आदि रोगों मे विशेष लाभकारी है ! इसके सेवन से पौरूष की बढ़ोत्तरी हो कर शरीर को बल मिलता है ! यह शीतवीर्य, स्निग्ध व पौष्टिक है ! अम्लपित्त रोग में यह विशेष लाभकारी है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दिन में दो बार दूध या पानी के साथ !!

          *!! बाहुशाल गुड़ !!*

*गुण व उपयोग : -* बाहुशाल गुड़ के सेवन से बवासीर, गुल्म, पीनस, पांडु, हलीमक, उदर रोग, मन्दाग्नि, ग्रहणी, क्षय, आमवात, संग्रहणी, प्रमेह प्रतिश्याय आदि रोगों में उत्तम लाभ मिलता है ! यह बल, मेधा व कान्तिवर्द्धक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १०- १० ग्राम, दिन में दो बार, दूध या पानी के साथ !!

          *!! बादाम पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* बादाम पाक बल, वीर्य व औज की वृद्धि करता है ! यह रस- रक्तादि धातुओं को बढ़ाकर शरीर को कान्तियुक्त बना देता है ! ध्वजभंग, नंपुसकता, स्नायु दौर्बल्य में बहुत लाभदायक है ! मस्तिष्क, हृदय की कमजोरी व शुक्र- क्षय, पित्त-विकार, नेत्र और शिरोरोग में लाभकारी है ! इसके सेवन से शरीर पुष्ट होता है ! यह सर्दियों में सेवन करने योग्य उत्तम पुष्टर्इ है ! दिमागी काम करने वाले व सिर दर्द वाले को इस पाक का सेवन अवश्य करना चाहिए !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, गाय के दूध या पानी के साथ !!

         *!! धात्री रसायन !!*

*गुण व उपयोग : -* धात्री रसायन कास, श्वास, क्षय, दुर्बलता, फेफड़ों की दुर्बलता, खाँसी, स्नायविक दुर्बलता आदि में उत्तम लाभ करता है ! यह पौष्टिक, वीर्यवर्द्धक रसायन व उत्तम बाजीकरण है ! यह आमाशय, मस्तिष्क, हृदय व आँतों को बलवान बनाता है ! एवं जठराग्नि को प्रदीप्त करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ४ से ६ ग्राम, सुबह भोजन से ३ घण्टा पूर्व गाय के दूध के साथ, रात्रि को सोने से आधा घण्टा पहले !!

          *!! दाड़िमावलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* दाड़िमावलेह पित्त, क्षय, रक्तपित्त, प्यास, अतिसार, संगहणी, दुर्बलता, नेत्ररोग, शिरोरोग, दाह, अम्लपित्त, धातुस्राव, अरूचि आदि रोगों में लाभदायक है ! इसके सेवन से हृदय व मस्तिष्क को ताकत मिलती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, दिन में दो से तीन बार !!

            *!! जीवन कल्प !!*

*गुण व उपयोग : -* जीवन कल्प के सेवन से रक्ताल्पता, आल्स्य, कामला, श्वास, कास, शारीरिक क्षीणता आदि विकार नष्ट हो कर शरीर हृष्ट-पुष्ट व बलवान बनता है ! शीतकाल में इसका सेवन विशेष लाभकारी होता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* ६ से १० ग्राम, आवश्यकतानुसार दूध के साथ !!

          *!! जीरकादि अवलेह !!*

*गुण व उपयोग : -* जीरकादि अवलेह प्रमेह, प्रदर, ज्वर, दुर्बलता, मन्द-मन्द ज्वरांश बना रहना, भूख कम या बिल्कुल न लगना, अरूचि, श्वास, तृषा, दाह व यक्ष्मा आदि रोगों में लाभदायक है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० ग्राम, दिन में दो बार ठण्डे पानी या दूध के साथ !!

          *!! छुहारा पाक !!*

*गुण व उपयोग : -* छुहारा पाक शरीर को बल देने वाला है ! इसके सेवन से रति शक्ति में वृद्धि होती है ! व स्वप्नदोषादि रोग नष्ट होते हैं ! इससे शुक्रक्षीणता के कारण पुरूष की व रजोदोष के कारण स्त्री की कमजोरी दूर होती है !!

*मात्रा व अनुपान : -* १० से २० ग्राम, दूध या पानी के साथ !!

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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...