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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

*बच्चे के सिर से महिला के स्तन में चोट या सूजन हो जाये*

*बच्चे के सिर से महिला के स्तन में चोट या सूजन हो जाये*

*अगर बालक के दूध पीते पीते माथे की चोट मारने से सूजन आ गयी हो तो महिला को चाहिए कि कंघी जिससे बाल खींचते है को ऊपर से नीचे धीरे-धीरे  स्तन पर फेरती जाए और ऊपर से दूसरी औरत या स्त्री का पति या कोई भी सुहाता सुहाता गर्म जल स्तन पर डालती जाए । कंघी नीचे से ऊपर नही लानी चाहिए , बार बार ऊपर से नीचे फेरनी चाहिए और ऊपर से गर्म जल जिससे जल न जाये इतना गर्म हो डालना चाहिए तीन दिन में निश्चय ही लाभ होता है अनुभूत है ।*

*डॉ. गुरुवेन्द्र सिंह*
*9466623519*
*7985817113*

*स्त्री बाँझ होना चाहे*

*स्त्री बाँझ होना चाहे*

अगर कोई स्त्री बाँझ होना चाहे तो  बो थूहर की लकड़ी लेकर छाया में सुखा कर जला के कोयला बना ले और उसे पीस के राख कर ले फिर इस राख के बराबर शक्कर या मिश्री मिला ले और फिर 2 gm ये दवा रोज रात को ले अगर 21 दिन ले लेती है तो उसकी गर्भ धारण की शक्ति खत्म हो जाती है । और गर्भ नही ठहरता है ।

Note- काफी लोगो के निवेदन के बाद लिखा हूँ। इस प्रयोग को गलत उद्देश्य से प्रयोग करने बालों का सर्वनाश होते मैंने देखा है इसलिए कोई भी किसी की जिंदगी और परिवार के साथ न खेले नही यो भगवान फिर उसके साथ खेलेगा।

डॉ. गुरुवेंद्र सिंह
7985817113
9466623519

शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

*मोटापा व गर्भाशय में रसौली के कारण माहवारी न होना*

*मोटापा व गर्भाशय में रसौली के कारण माहवारी न होना*

इसके साथ मेरा छोटा नुक्सा और करवा लें
*सुबह शाम* -हिंग्वादि चूर्ण आधा चम्मच , सेंधा नमक 1 ग्राम ताजा पानी के साथ दे । 2से 3 दिनों में पेट साफ होने लगेगा तथा इलाज के 7से 10 दिन में खुलकर मासिक आने लगेगा ।

*रात*- पंचसकार चूर्ण आधी चम्मच तथा एक ग्राम लवड़भास्कर चूर्ण पानी के साथ दे इस नुस्खे से पेट का मल साफ होता है और वायु निकलती है इसके अतिरिक्त जाम नलिया भी खुलती है कुछ दिनों में मोटापा होगा बो भी खत्म होगा ।

*हिंग्वादि चूर्ण का नुक्सा*- भुनी हींग 2 भाग , वच 4 भाग , कूठ 6 भाग , काला नमक 8 भाग , बायबिडंग 10 भाग सबको मिला कूट पीस कपड़छन कर रख ले । 2 से 3 gm मात्रा गर्म जल से ले ।

*अनुभव*- एक स्त्री को पिछले 2 - 3 वर्षों से माहवारी नही आ रही थी इसलिए महिला को संतान भी नही हो पा रही थी इसलिए रुग्णा काफी मोटी भी थी डॉक्टर महिला ने रुग्णा का पेट टटोला तो गर्भाशय में रसौली का आभास हुआ डॉक्टर का कहना था कि *हिंग्वादि चूर्ण और नमक दोनों मिलकर गाँठो को काटते है* इसलिए रुग्णा के पेट की गांठे गल गयी और रुका मासिक शुरू हो गया । रोग का धरातल पेट की गांठ थी ।

*नोट*- रोगी की अगर कब्ज है तभी पंचसकार चूर्ण दे । अगर हिंग्वादि चूर्ण से कोई दिक्कत होती है तो बंद कर दे ।

बैद्य गुरुवेन्द्र सिंह
9466623519

*रसौली के कारण लगातार भयंकर रक्तस्राव (bleeding), गर्भ न ठहर रहा हो,काफी इलाज के बाद ठीक न हो रहा हो , और डॉक्टर गर्भाशय बाहर निकालने के लिए बोले हो*

*महिला संजीवनी परिवार की एक और पेशकश*

*रसौली के कारण लगातार भयंकर रक्तस्राव (bleeding), गर्भ न ठहर रहा हो,काफी इलाज के बाद ठीक न हो रहा हो , और डॉक्टर गर्भाशय बाहर निकालने के लिए बोले हो*

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दवा -
चंद्रप्रभा वटी 2 गोली
कांचनार गुग्गुल 2 गोली
आरोग्य वर्धनी वटी 1 गोली

(ये एक खुराक है )

अनुपान - दारुहल्दी,रसौंत,नागरमोथा,लाल चंदन ,बेल गिरी,अडूसे के पत्ते चिरायता, सभी समान भाग ले और जौ कुट करके रख ले ।

अब इस जौकुट से 25 gm लेकर 200 gm पानी मे उबाले 100 gm बचने पर छान लें इसी  क्वाथ से 50 gm सुबह 50 gm शाम उपरोक्त दवा के साथ ले । 3 माह में ट्यूमर यानी रसौली छटेगी और यही दवा कम से कम 5 माह दे ।

अनुभव-
एक महिला को 15 सालो से bleeding हो रही थी मासिक 20 दिन चलता था इस क्वाथ से  बो अब बिल्कुल ठीक है।

एक महिला को रसोली थी मात्र 2 माह में ठीक हो गयी।

एक महिला के गर्भाशय में मल्टीपल रसोलिया थी इस नुक्से से सभी पिघल गयी ।

🙏🏻जय माता दी 🙏🏻
🙏🏻जय गुरुदेव🙏🏻

इस पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुचाये ।शेयर करे ताकि किसी माँ , बहिन, बेटी की गोदी सूनी न रहे , किसी को गर्भाशय न निकलवाना पड़े,किसी भी समस्या के लिए सम्पर्क करें
दवा बनी  बनाई मंगाने के लिए सम्पर्क करें ।

दवा लेने के बाद अनुभव जरूर बताएं । ताकि कुछ फेर बदल की जरूरत पड़े तो बो भी किया जाए ।

बैद्य गुरुवेंद्र सिंह
7985817113
9466623519

अगर किसी महिला को हमारे महिला ग्रुप का सदस्य बनना हो तो सम्पर्क करें 7985817113, 9466623519

धन्यवाद 🙏🏻

गुरुवार, 16 मई 2019

बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार 

🌹✍🏻    बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार    ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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मेरा you tube चेनल लिंक

https://youtu.be/o44hMuMc7K4

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बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार
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कई बार महिलाओं की बच्चेदानी(Uterus)में सूजन आ जाती है बदलते वातावरण या मौसम का प्रभाव गर्भाशय(Uterus)को अत्यधिक प्रभावित करता है जिससे प्रभावित होने पे महिलाओं को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है इसके प्रभाव से भूंख नही लगती है सर-दर्द-हल्का बुखार या कमर-दर्द-और पेट दर्द की समस्या रहती है-

गर्भाशय(Uterus)की सूजन क्या कारण है-
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1- पेट की मांसपेशियों में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण तथा व्यायाम न करने के कारण या फिर अधिक सख्त व्यायाम करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-

2- पेट में गैस तथा कब्ज बनने के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो जाती है-

3- औषधियों(Medicine)का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन हो सकती है-

4- जरुरत से जादा अधिक सहवास(Sexual Intercourse)करने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है-

5- भूख से अधिक भोजन सेवन करने के कारण स्त्री के गर्भाशय में सूजन आ जाती है तथा अधिक तंग कपड़े पहनने के कारण भी गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो सकती है-प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने के कारण भी गर्भाशय में सूजन हो सकती है-

गर्भाशय में सूजन(Swelling)का उपचार-
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1- गर्भाशय(Uterus)में सूजन से पीड़ित महिला को चटपटे मसालों-मिर्च-तली हुई चीजें और मिठाई से परहेज रखना चाहिए-

2- पीड़ित स्त्री को दो तीन बार अपने पैर कम से कम एक घंटे के लिए एक फुट ऊपर उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए-

3- गर्भाशय(Uterus)में सूजन(Swelling)हो जाने पर महिला रोगी को चार-पांच दिनों तक फलों का जूस पीकर उपवास करना चाहिए- उसके बाद बिना पका हुआ संतुलित आहार लेना चाहिए-

4- निर्गुण्डी को किसी भी प्रकार के बाहरी भीतरी सूजन के लिए इसका उपयोग किया जाता है यह औषधि वेदना शामक और मज्जा तंतुओं को शक्ति देने वाली है वैसे आयुर्वेद में सुजन उतारने वाली और भी कई औषधियों का वर्णन आता है पर निर्गुण्डी इन सब में अग्रणी है और सर्वसुलभ भी-नीम,(निर्गुन्डी) सम्भालु के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर जननांग में लगाने से सुजन ख़त्म हो जाती है-

5- बादाम रोगन एक चम्मच, शरबत बनफ्सा तीन चम्मच और खांड पानी में मिलाकर सुबह पीयें तथा बादाम रोगन का एक रुई का फोया जननांग के मुह पर रखें-इससे गर्मी के कारण गर्भाशय(Uterus)में सूजन ठीक हो जाती है-

6- अरंड के पत्तों का रस छानकर रुई में भिगोकर जननांग में लगाने से भी सूजन ख़त्म हो जाती है-

7- अशोक की छाल 120 ग्राम, वरजटा, काली सारिवा, लाल चन्दन, दारूहल्दी, मंजीठ प्रत्येक को 100-100 ग्राम मात्रा, छोटी इलायची के दाने और चन्द्रपुटी प्रवाल भस्म 50-50 ग्राम, सहस्त्रपुटी अभ्रक भस्म 40 ग्राम, वंग भस्म और लौह भस्म 30-30 ग्राम तथा मकरध्वज गंधक जारित 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी औषधियों को कूटछानकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं फिर इसमें क्रमश: खिरेंटी, सेमल की छाल तथा गूलर की छाल के काढ़े में 3-3 दिन खरल करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं फिर इसे एक या दो गोली की मात्रा में मिश्रीयुक्त गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए-इसे लगभग एक महीने तक सेवन कराने से स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है-इससे गर्भाशय में सूजन(Swelling)जलन, रक्तप्रदर, माहवारी के विभिन्न विकार या प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता इससे नष्ट हो जाती है-

8- एरण्ड(अंडी)के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर तीन-चार दिनों तक रखने से गर्भाशय में सूजन मिट जाती है-

9- कासनी की जड़, गुलबनफ्सा और वरियादी 6-6 ग्राम की मात्रा में, गावजवां और तुख्म कसुम 5-5 ग्राम, तथा मुनक्का 6 या 7 को एक साथ बारीक पीसकर उन्हें 250 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम को छानकर पिला देते हैं यह उपयोग नियमित रूप से आठ-दस दिनों तक करना चाहिए-इससे गर्भाशय(Uterus)में सूजन रक्तस्राव, श्लैष्मिक स्राव(बलगम, पीव)आदि में पर्याप्त लाभ मिलता है-

10- चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय(Uterus)की सूजन(Swelling) नष्ट हो जाती है-

11- रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए-इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है-
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
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पत्रांगासव

🌹✍🏻    पत्रांगासव ✍🏻🌹

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पत्रांगासव
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यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो ख़ासकर महिलाओं के रोग ल्यूकोरिया में इस्तेमाल की जाती है. सफ़ेद प्रदर, रक्त प्रदर, धात गिरना या सफ़ेद पानी-लाल पानी आना, एक्सेस ब्लीडिंग, एनीमिया, भूख की कमी और कमज़ोरी जैसी प्रॉब्लम के लिए इसका प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

यह आसव यानि लिक्विड है जो सिरप की तरह होती है. पत्रांगा नाम की बूटी मिला होने से इसका नाम पत्रांगासव रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई सारी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं जैसे -

पत्रांगा या पतंग काष्ठ, खैरसार, वासामूल, सेमल के फूल, बला, भिलावा, गुड़हल, शारिवा, आम्र बीज मज्जा, दारूहल्दी, रसौत, चिरायता, सफ़ेद जीरा, बेल, भांगरा, दालचीनी, केसर, लौंग सभी एक-एक भाग

द्राक्षा बीस भाग, धातकी सोलह भाग, शहद पचास भाग, चीनी सौ भाग और पानी 512 भाग का मिश्रण होता है. आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव निर्माण विधि से इसका आसव या सिरप बनता है. रिष्ट से आसव बनाना आसान होता है, तो आईये संक्षेप में जान लेते हैं कि इसका आसव कैसे बनता है? -

आसव बनाने के लिए बताई गयी मात्रा में मिट्टी के बर्तन में पानी डालकर द्राक्षा, धातकी, चीनी और शहद सब मिक्स कर लें उसके बाद दूसरी जड़ी बूटियों का मोटा चूर्ण मिला देना होता है. अब बर्तन का ढक्कन सील कर 30 दिनों तक बाहर खुले आसमान में धुप में रख दिया जाता है. तीस दिनों के बाद इसे फ़िल्टर कर लिक्विड को काँच की बोतल में पैक कर रख लिया जाता है. यही आसव होता है.

पत्रांगासव के गुण -

पित्त, वातदोष नाशक, प्रदर नाशक, दीपन, पाचन, सुजन दूर करने वाला(Anti-inflammatory), Antimicrobial, रक्त स्तम्भक, Blood Purifier यानि खून साफ़ करने वाले गुणों से भरपूर होता है.

पत्रांगासव के फ़ायदे-

हर तरह के ल्यूकोरिया के लिए यह अच्छी दवा है. इसके अलावा पीरियड्स की प्रॉब्लम या Mestrual Disorder के लिए भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

Dysmenorrhea, Excessive bleeding, एनीमिया और भूख की कमी में फ़ायदेमंद है.

यह पाचन शक्ति को ठीक करती है, खून साफ़ करती है और सफ़ेद पानी की समस्या और Menstrual प्रॉब्लम को दूर करती है.

यह एक बेहतरीन Uterine Tonic है, गर्भाशय की बीमारियों को दूर कर महिलाओं के स्वास्थ को इम्प्रूव करती है.

पत्रांगासव की मात्रा और सेवन विधि -

15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर खाना खाने के तुरंत बाद लेना चाहिए. इसे रोज़ तीन बार भी लिया जा सकता है डॉक्टर की सलाह से. इसके  साथ में 'पुष्यानुग चूर्ण' 'सुपारी पाक' 'मुक्ताशुक्ति भस्म' 'प्रवाल पिष्टी' के अलावा योगराज गुग्गुल, चंद्रप्रभा वटी जैसी ल्यूकोरिया में काम करने वाली दवा भी ले सकते हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से. इसका इस्तेमाल करते हुवे खट्टी चीज़े, मिर्च-मसला, सॉफ्ट ड्रिंक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. प्रेगनेंसी में स्तनपान कराने वाली महिलायें इसका इस्तेमाल न करें. डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि, सांडू जैसी अनेकों कम्पनियाँ इसे बनाती हैं. आयुर्वेदिक दवा दुकान से  खरीद सकते है

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

पत्रांगासव

🌹✍🏻         पत्रांगासव         ✍🏻🌹

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यह एक क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो ख़ासकर महिलाओं के रोग ल्यूकोरिया में इस्तेमाल की जाती है. सफ़ेद प्रदर, रक्त प्रदर, धात गिरना या सफ़ेद पानी-लाल पानी आना, एक्सेस ब्लीडिंग, एनीमिया, भूख की कमी और कमज़ोरी जैसी प्रॉब्लम के लिए इसका प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं इसका कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

यह आसव यानि लिक्विड है जो सिरप की तरह होती है. पत्रांगा नाम की बूटी मिला होने से इसका नाम पत्रांगासव रखा गया है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई सारी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं जैसे -

पत्रांगा या पतंग काष्ठ, खैरसार, वासामूल, सेमल के फूल, बला, भिलावा, गुड़हल, शारिवा, आम्र बीज मज्जा, दारूहल्दी, रसौत, चिरायता, सफ़ेद जीरा, बेल, भांगरा, दालचीनी, केसर, लौंग सभी एक-एक भाग

द्राक्षा बीस भाग, धातकी सोलह भाग, शहद पचास भाग, चीनी सौ भाग और पानी 512 भाग का मिश्रण होता है. आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव निर्माण विधि से इसका आसव या सिरप बनता है. रिष्ट से आसव बनाना आसान होता है, तो आईये संक्षेप में जान लेते हैं कि इसका आसव कैसे बनता है? -

आसव बनाने के लिए बताई गयी मात्रा में मिट्टी के बर्तन में पानी डालकर द्राक्षा, धातकी, चीनी और शहद सब मिक्स कर लें उसके बाद दूसरी जड़ी बूटियों का मोटा चूर्ण मिला देना होता है. अब बर्तन का ढक्कन सील कर 30 दिनों तक बाहर खुले आसमान में धुप में रख दिया जाता है. तीस दिनों के बाद इसे फ़िल्टर कर लिक्विड को काँच की बोतल में पैक कर रख लिया जाता है. यही आसव होता है.

पत्रांगासव के गुण -

पित्त, वातदोष नाशक, प्रदर नाशक, दीपन, पाचन, सुजन दूर करने वाला(Anti-inflammatory), Antimicrobial, रक्त स्तम्भक, Blood Purifier यानि खून साफ़ करने वाले गुणों से भरपूर होता है.

पत्रांगासव के फ़ायदे-

हर तरह के ल्यूकोरिया के लिए यह अच्छी दवा है. इसके अलावा पीरियड्स की प्रॉब्लम या Mestrual Disorder के लिए भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

Dysmenorrhea, Excessive bleeding, एनीमिया और भूख की कमी में फ़ायदेमंद है.

यह पाचन शक्ति को ठीक करती है, खून साफ़ करती है और सफ़ेद पानी की समस्या और Menstrual प्रॉब्लम को दूर करती है.

यह एक बेहतरीन Uterine Tonic है, गर्भाशय की बीमारियों को दूर कर महिलाओं के स्वास्थ को इम्प्रूव करती है.

पत्रांगासव की मात्रा और सेवन विधि -

15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर खाना खाने के तुरंत बाद लेना चाहिए. इसे रोज़ तीन बार भी लिया जा सकता है डॉक्टर की सलाह से. इसके  साथ में 'पुष्यानुग चूर्ण' 'सुपारी पाक' 'मुक्ताशुक्ति भस्म' 'प्रवाल पिष्टी' के अलावा योगराज गुग्गुल, चंद्रप्रभा वटी जैसी ल्यूकोरिया में काम करने वाली दवा भी ले सकते हैं आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से. इसका इस्तेमाल करते हुवे खट्टी चीज़े, मिर्च-मसला, सॉफ्ट ड्रिंक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. प्रेगनेंसी में स्तनपान कराने वाली महिलायें इसका इस्तेमाल न करें. डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि, सांडू जैसी अनेकों कम्पनियाँ इसे बनाती हैं. आयुर्वेदिक दवा दुकान से  खरीद सकते है

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एम 2 टोन सिरप और एम 2 टोन टेबलेट

🌹✍🏻 एम 2 टोन सिरप और एम 2 टोन टेबलेट  ✍🏻🌹

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एम 2 टोन सिरप और एम 2 टोन टेबलेट (M2 Tone Syrup And Tablet)

M2 tone syrup and tablet Composition, Benefits and Side Effects
आयुर्वेदिक प्रोप्राइटरी मेडिसिन

एम 2 टोन सिरप और एम 2 टोन टेबलेट (M2 Tone Syrup and Tablet) आयुर्वेदिक औषधि है जिसे मासिक अनियमितताओं, भारी रक्तस्राव, गर्भाशय की शिथिलता, अनार्तव (Amenorrhea), डिंबक्षरण (anovulation) और बांझपन के लिए उपयोग किया जाता है।


एम 2 टोन गोलियों और सिरप के रूप में उपलब्ध है। दोनों में लगभग सभी घटक समान हैं और समान लाभ प्रदान करते हैं। चरक फार्मा प्राइवेट लिमिटेड एम 2 टोन सिरप और टेबलेट का निर्माण करता है।

चिकित्सकीय संकेत (Indications)
एम 2 टोन को मादा प्रजनन प्रणाली की निम्नलिखित बीमारियों के लिए निर्दिष्ट और उपयोग किया जाता है।

Anovulation – डिंबक्षरण की अनुपस्थिति या अंडाशय अंडे का उत्पादन नहीं कर रहा है) – एम 2 टोन गोलियों या सिरप को क्लोमिफेन साइट्रेट (Clomiphene citrate) के साथ उपयोग किया जा सकता है।
स्त्री में बांझपन (विशेष रूप से अज्ञात मूल का बांझपन)
Oligomenorrhea (असामान्य या हल्का मासिक स्राव)
मासिक धर्म अनियमितताएं
गर्भाशय रक्त स्राव (DUB)
एआरटी (Assisted Reproductive Techniques protocols) के साथ सहायक चिकित्सा
एमटीपी के बाद (गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन) और डी एंड सी (डिलेटेशन एंड क्युरेटेज) जैसी प्रक्रियाएं
रक्तप्रदर (Metrorrhagia) – असामान्य अत्यधिक रक्तस्राव
कष्टार्तव – मासिक धर्म के दौरान दर्द
श्वेतपदर (leukorrhea)
निष्क्रिय गर्भाशय (Sluggish uterus)
गर्भाशय की ऐंठन (Uterine spasms)
एम 2 टोन के लाभ
एम 2 टोन से मासिक धर्म में असामान्यताओं जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, अनियमितताओं, एनोव्यूलेशन, अस्पष्टीकृत बांझपन और गर्भाशय संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है। यह मासिक धर्म के दौरान प्राकृतिक माहवारी को बहाल करने और मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है।

एम 2 टोन के लाभ के साथ एम 2 टोन के कुछ उपयोग यहां दिए गए हैं:


गर्भाशय टॉनिक

एम 2 टोन एक प्रसिद्ध गर्भाशय टॉनिक है। यह गर्भाशय को पौष्टिक सहायता प्रदान करता है और अन्तर्गर्भाशयकला को स्वास्थ्य रखता है।

यह दबाव, चिंता और तनाव में राहत देता है क्योंकि इसमें जड़ी बूटी होती है जो मन से तनाव और चिंता को छोड़ने में मदद करती है। ये जड़ी-बूटियाँ हैं अश्वगंधा (Ashwagandha) और जटामांसी (Nardostachys jatamansi)।

शतावरी, देवदारु और नागकेसर ग्रंथियों के सामान्य कार्यों को बढ़ाता है और महिला हार्मोन के प्राकृतिक संतुलन को बहाल करने में मदद करता है।

कष्टार्तव या डिसमेनोरीया
(माहवारी के दौरान गर्भाशय की ऐंठन या दर्द)

एम 2 टोन में जटामांसी है, जो एक प्रसिद्ध एंटीस्पास्मोडिक (आक्षेपनाशक) है। इसलिए, एम 2 टोन मासिक धर्म के दर्द और गर्भाशय के ऐंठन में फायदेमंद है।

हीमोग्लोबिन स्तर में सुधार करता है


एम 2 टोन में कसीस भस्म नामक लोहे का पूरक है। यह एक अच्छा हीमेटिनिक है।

एस्ट्रोजेनिक अपर्याप्तता (Estrogenic Insufficiency)
एम 2 टोन को विशेष रूप से मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए तैयार किया गया है। इसमें जड़ी-बूटियाँ और खनिज यौगिक शामिल हैं जैसे अशोक और लोध्र, जो प्रो-एस्ट्रोजेनिक एजेंट के रूप में काम करते हैं। ये तत्व एस्ट्रोजन हार्मोन की अपर्याप्तता में सुधार करने में सहायता करते हैं।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)
एम 2 टोन पीसीओएस में भी प्रभावी है। लाभकारी आयुर्वेदिक संयोजन इस प्रकार है:

एम 2 टोन गोलियां या सिरप खुराक के अनुसार
हाइपोनिड गोलियाँ 2 पानी के साथ एक दिन में तीन बार
चंद्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati) 2 दूध के साथ दिन में दो बार
एम 2 टोन पीसीओडी अन्य आयुर्वेदिक दवाओं जैसे कि चंद्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati) के साथ भी मदद करता है। यदि आवश्यक हो तो आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini Vati) को भी शामिल किया जा सकता है।

अनियमित मासिक धर्म
एम 2 टोन मासिक धर्म अनियमितताओं में मदद करता है। एम 2 टोन फार्मूला आमतौर पर मासिक धर्म प्रवाह को सुधारने में अच्छी तरह से काम करता है और मासिक धर्म चक्र को सामान्य बनाता है। इस मामले में, एम 2 टोन गोलियाँ या सिरप को कम से कम 3 से 6 महीने के लिए नियमित रूप से लेना चाहिए। जैसे कि इसमें अशोक एक प्रमुख घटक होता है, इसलिए यदि आपको कम सम(य के लिए भारी रक्तस्राव हो रहा हो तो यह अधिक उपयोगी होगा।

अनार्तव (Amenorrhea) – अनुपस्थित मासिक
एम 2 टोन गोलियां और सिरप दोनों माध्यमिक अमनोरिया में फायदेमंद होते हैं। इन दोनों में अन्य घटकों के साथ कसीस भस्म भी होती है। यह मासिक धर्म प्रवाह को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। निम्नलिखित आयुर्वेदिक संयोजन इस मामले में मदद कर सकते हैं:


एम 2 टोन गोलियां या सिरप खुराक के अनुसार
राजा प्रवर्तीनी वटी 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम
वंग भस्म 125 मिलीग्राम
* दिन में दो बार

डिंबक्षरण (Anovulation)
डिंबक्षरण तब होता है जब अंडकोष फैलोपियन ट्यूबों में परिपक्व अंडे मुक्त नहीं करता है। यह 30% बांझ महिलाओं में एक मुख्य कारण है। डिंबक्षरण का मुख्य कारण हार्मोन असंतुलन है। एम 2 टोन के कई घटक शरीर में हार्मोन असंतुलन को सामान्य बनाने में मदद करते हैं और अंडे को छोड़ने के लिए अंडाशय को प्रोत्साहित करते हैं।

एम 2 टोन खुराक के अनुसार
कुमार्यासव 4 चम्मच दिन में दो बार
गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने के लिए पूरक सहायक चिकित्सा के रूप में क्लॉम्फेनी साइट्रेट के साथ एम 2 टोन का भी प्रयोग किया जा सकता है।

निष्क्रिय गर्भाशय (Sluggish Uterus)
एम 2 टोन का मुख्य घटक अशोक है जो गर्भाशय की निष्क्रियता के लिए एक पसंदीदा दवा है।

एम 2 टोन गोलियां या सिरप खुराक के अनुसार
अश्वगंधा (विथानिआ सोनिफेरा) दूध के साथ 2 ग्राम पाउडर
या

अशोक (सरका इंडिका) दूध के साथ 2 ग्राम पाउडर
अश्वगंधा (विथानिआ सोनिफेरा) दूध के साथ 2 ग्राम पाउडर
* दिन में दो बार


बांझपन
बांझपन के कुछ मामलों में, अंतर्निहित कारण अज्ञात रहता है और उपचार असंभव हो जाता है। एम 2 टोन इन मामलों में मदद कर सकता है क्योंकि एम 2 टोन में सभी अवयव, विशेषकर अशोक महिला प्रजनन प्रणाली के प्राकृतिक कार्य को बहाल करने में मदद करता है।

निम्नलिखित संयोजन इस मामले में उपयोगी है।

एम 2 टोन गोलियां या सिरप खुराक के अनुसार
अश्वगंधा दूध के साथ 2 ग्राम पाउडर दिन में दो बार
श्वेतपदर (ल्यूकोरिया)

एम 2 टोन की गोलियाँ श्वेतपदर या ल्यूकोरिया में फायदेमंद होती हैं। अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के साथ, यह ल्यूकोरिया में अच्छे परिणाम देता है। कुछ महिलाऐं अकसर आधुनिक उपचार के बाद ल्यूकोरिया की आवृत्ति और पुनरावृत्ति से पीड़ित हो जाती हैं। निम्नलिखित आयुर्वेद संयोजन इन मामलों में मदद कर सकते हैं। सभी संयोजनों में एकल खुराक शामिल है। संयोजन एक दिन में दो बार लिया जाना चाहिए।

यदि सफेद निर्वहन और कमजोरी हो:
एम 2 टोन टैबलेट 2 टैबलेट
सुपारी पाक 2 ग्राम
कुक्कुटाण्डत्वक  भस्म 250 मिलीग्राम
गोदान्ती भस्म 250 मिलीग्राम

कमजोरी, सफेद निर्वहन और पीठ दर्द
एम 2 टोन टैबलेट 2 टैबलेट
मधु मालिनी वसंत रस 500 मिलीग्राम
गोदान्ती भस्म 250 मिलीग्राम

पीले निर्वहन के साथ बदबूदार गंध
एम 2 टोन टैबलेट 2 टैबलेट
आरोग्यवर्धिनी वटी 1 ग्राम (2 टेबलेट)
गोदान्ती भस्म 250 मिलीग्राम
वंग भस्म 125 मिलीग्राम
अन्य लाभ
एम 2 टोन एंडोमेट्रियम (अन्तःगर्भाशय) के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
यह मासिक धर्म रक्त प्रवाह मात्रा को सामान्य बनाता है।
यह हाइपोथैलमिक – पिट्यूटरी – ओवेरियन (HPO) एक्सिस फ़ंक्शंस को पुनर्स्थापित करने में मदद करता है।
यह एंडोमेट्रियम की मोटाई में सुधार करके आरोपण के लिए गर्भाशय को तैयार करने में मदद करता है।
यह गर्भावस्था के परिणामों में सुधार करता है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
एम 2 टोन गोलियों की सामान्य खुराक 2 गोली दिन में दो बार है और एम 2 टोन सिरप की खुराक 2 चम्मच दिन में दो बार है, इस लेख के लक्षण अनुच्छेद के लक्षणों के आधार पर। एम 2 टोन के साथ इलाज की अवधि कम से कम 3 महीने होनी चाहिए। अधिक विवरण नीचे दिया गया है।

एम 2 टोन टेबलेट की खुराक
मासिक धर्म की समस्याएँ (मासिक धर्म अनियमितता और भारी रक्तस्राव) दो गोलियाँ दिन में दो बार 3 से 6 महीने के लिए
महिला बांझपन या एनोव्यूलेशन (डिंबक्षरण) दो गोलियाँ दिन में दो बार गर्भधारण होने तक
अधिकतम संभावित खुराक (प्रति दिन या 24 घंटों में) 6 गोलियां (विभाजित मात्रा में)
एम 2 टोन सिरप की खुराक
मासिक धर्म की समस्याएँ (मासिक धर्म अनियमितता और भारी रक्तस्राव) 2 – 3 चम्मच दिन में दो बार 3 से 6 महीने के लिए
महिला बांझपन या एनोव्यूलेशन (डिंबक्षरण) 2 – 3 चम्मच दिन में दो बार गर्भधारण होने तक
अधिकतम संभावित खुराक (प्रति दिन या 24 घंटों में) 6 चम्मच (विभाजित मात्रा में)
एम 2 टोन कैसे लें
ऊपर वर्णित खुराक के अनुसार, अधिकतम लाभ के लिए एम 2 टोन को भोजन के एक घंटे बाद दिन में दो बार सामान्य पानी से लेना चाहिए।

अनुशंसित उपचार अवधि
आम तौर पर, आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे 3 से 6 महीनों तक उपयोग करने की सलाह देते हैं। कुछ मामलों में, जैसे बांझपन और अंडाशय से अंडा उत्पादन की समस्याओं में, आपको सामान्य से अधिक लंबी अवधि के लिए नियमित रूप से एम 2 टोन लेना पड़ सकता है, जो कि 6 से 12 महीनों तक हो सकता है।

एम 2 टोन दुष्प्रभाव
एम 2 टोन में मुख्य घटक अशोक है। कुछ लोगों में इसके बंधनकारी गुणों के कारण कब्ज हो सकती है, लेकिन इस दुष्प्रभाव को एम 2 टोन के उपयोग के कारण नहीं बताया जाता है क्योंकि इसमें हरीतकी भी होता है, जो कब्ज को रोकता है।

एम 2 टोन दीर्घकालिक उपयोग के लिए सुरक्षित हो सकता है। मासिक धर्म के दौरान भी इसे सुरक्षित रूप से लिया जा सकता है यह गर्भावस्था के नतीजे में सुधार कर सकता है।

एम 2 टोन हार्मोन थेरेपी के मुकाबले सुरक्षित है, क्योंकि इससे मतली, उल्टी, सिरदर्द, और स्तन की संवेदनशीलता नहीं होती है।

एम 2 टोन टेबलेट के घटक द्रव्य (Ingredients)
प्रत्येक एम 2 टोन टेबलेट में शामिल है:

घटक का नाम मात्रा
सत्व निम्नलिखित द्रव्यों से निकालें हुए: –
अशोक 800 मिली ग्राम
लोध्र 100 मिली ग्राम
हरीतकी 40 मिली ग्राम
शिवलिंगी – Shivlingi Beej 40 मिली ग्राम
आमलकी 20 मिली ग्राम
देवदारु 20 मिली ग्राम
कोकिलाक्ष (तालमखाना) 20 मिली ग्राम
शतावरी (Shatavari) 20 मिली ग्राम
अडूसा (वासा) – Adhatoda vasica 20 मिली ग्राम
वट 20 मिली ग्राम
चूर्ण: –
कमल 40 मिली ग्राम
उशीर 40 मिली ग्राम
जटामांसी 20 मिली ग्राम
जीरा – Cuminum cyminum 20 मिली ग्राम
कंकोल (शीतलचीनी या सुगंध मरिच) 20 मिली ग्राम
लौंग (लवंग) 20 मिली ग्राम
नागकेसर 20 मिली ग्राम
शाल्मली 20 मिली ग्राम
सोंठ (शुंठी) 20 मिली ग्राम
खनिज: –
अभ्रक भस्म – Abhrak bhasma 4 मिली ग्राम
गैरिक 10 मिली ग्राम
कुक्कुटाण्डत्वक भस्म – Kukkutandatvak bhasma 10 मिली ग्राम
मंडूर भस्म – Mandur bhasma 10 मिली ग्राम
शुद्ध कसीस 10 मिली ग्राम
सोनागेरु 10 मिली ग्राम
वंग भस्म – Vang bhasma 10 मिली ग्राम
यशद भस्म – Yashad bhasma 10 मिली ग्राम

एम 2 टोन सिरप के घटक द्रव्य (Ingredients)
5 मिली लीटर एम 2 टोन सिरप में शामिल है:

घटक का नाम मात्रा
कसीस भस्म – Kasis Bhasma 10 मिली ग्राम
अशोक 400 मिली ग्राम
दशमूल 100 मिली ग्राम
शतावरी – Asparagus racemosus 100 मिली ग्राम
मुस्तक (नागरमोथा) 60 मिली ग्राम
जामुन – Jamun 40 मिली ग्राम
बिभीतकी 30 मिली ग्राम
कमल चूर्ण 30 मिली ग्राम
आमलकी 20 मिली ग्राम
अश्वगंधा – Withania somnifera 20 मिली ग्राम
हरीतकी 20 मिली ग्राम
लोध्र 20 मिली ग्राम
अम्र 10 मिली ग्राम
बला 10 मिली ग्राम
भृंगराज 10 मिली ग्राम
बिल्व 10 मिली ग्राम
जटामांसी 10 मिली ग्राम
जीरक (जीरा) 10 मिली ग्राम
खदिर 10 मिली ग्राम
शाल्मली 10 मिली ग्राम
शुंठी 10 मिली ग्राम
वट 10 मिली ग्राम
देवदारु 7 मिली ग्राम
लौंग (लवंग) 5 मिली ग्राम
नागकेसर 5 मिली ग्राम
पिप्पली 5 मिली ग्राम
सारिवा 5 मिली ग्राम
त्वक (दालचीनी) 5 मिली ग्राम
विडंग 5 मिली ग्राम
गुडूची (गिलोय) – Tinospora cordifolia 2 मिली ग्राम
निशोतर 2 मिली ग्राम
शिवलिंगी – Shivlingi Beej 2 मिली ग्राम
वच (Vacha) 2 मिली ग्राम
कंकोल (शीतलचीनी या सुगंध मरिच) 1 मिली ग्राम
किराततिक्त 1 मिली ग्राम
दारुहरिद्रा (दारुहल्दी) 1 मिली ग्राम
सिरप बेस
Q.S.
एम 2 टोन के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या मैं अपनी ऋतुस्रव (मासिक स्राव) के दौरान एम 2 टोन टेबलेट / सिरप ले सकती हूं?

हां, आप मासिक धर्म (अवधि) के दौरान एम 2 टोन गोलियां या सिरप ले सकते हैं। इसके आपके मासिक धर्म चक्र को किसी भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करने की संभावना नहीं है।

एक बार मासिक स्राव नियमित हो जाने पर, रोगी को कितने समय तक एम 2 टोन लेना चाहिए?

एक बार मासिक धर्म नियमित होने पर, एम 2 टोन को लेना बंद किया जा सकता है। लेकिन एम 2 टोन का न्यूनतम तीन महीने का कोर्स पूरा किया जाना चाहिए।

क्या एम 2 टोन पीसीओएस का इलाज करता है?

अकेले एम 2 टोन पीसीओएस के इलाज में मदद नहीं कर सकता है। हालांकि, यह पीसीओएस में लक्षणों को कम करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। अन्य उपचारों के साथ, यह पीसीओएस का इलाज करने में भी मदद कर सकता है।

मुझे मासिक के समय भारी रक्तस्राव होता है। आयुर्वेद में एम 2 टोन के साथ सबसे अच्छी दवाएं क्या हैं?

हालांकि, आयुर्वेद में स्वास्थ्य स्थिति और दोष के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग अलग दवाएँ हो सकती हैं। आम तौर पर, एम 2 टोन के साथ अशोकारिष्ट, चंद्रप्रभा वटी, प्रवाल-पिष्टी आदि सबसे अच्छे विकल्प होंगे।

मैं एम 2 टोन ले रही हूँ, लेकिन अभी भी भारी रक्तस्राव हो रहा है। क्या यह सामान्य है?

यह सामान्य नहीं है यदि आप इसे एक महीने से अधिक समय से ले रहे हैं। आपको अन्य उपायों की आवश्यकता हो सकती है जैसे अशोकारिष्ट, रक्तपदर ऋतू चूर्ण, प्रवाल पिष्टी, आमलकी रसायन और लिकोरिस पाउडर। कृपया आगे सहायता के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करें।
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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...