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शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

यूरिक एसिड

🌺🙏🏻🌺 *!! यूरिक एसिड का गड़बड़ होना !!* 🌺🙏🏻🌺

आज हम आपको यूरिक एसिड के लिए दो अनुभूत नुस्खे बता रहे हैं ! आजकल यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है !!
       इलाज के नाम पर डॉक्टर लोग केवल आपकी जेब खाली करने में लगे हुए हैं ! हमारे सदियों पुराने आयुर्वेद में इसका इलाज बहुत ही आसानी से घरेलु नुस्खों द्वारा बताया गया है ! आज हम आपको उन्ही नुस्खों में से हमारे द्वारा अनुभूत दो नुस्खे बता रहे हैं !!

*!! यूरिक एसिड क्या होता है !!*

      यदि किसी कारणवश गुर्दे की छानने की क्षमता कम हो जाए तो यह यूरिया- यूरिक एसिड में बदल जाता है ।जो बाद में हड्डियों में जमा हो जाता है जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति को जॉइंट में दर्द रहने लगता है !!
        यूरिक एसिड प्यूरिन के टूटने से बनता है ! वैसे तो यूरिक एसिड शरीर से बाहर पेशाब के रूप में निकल जाता है ! परन्तु यदि किसी कारण वश जब यूरिक एसिड शरीर में रह जाए तो धीरे-धीरे इसकी मात्रा ही आपके शरीर के लिए नुकसान दायक हो जाती है।यह अधिकांश आपके हड्डियों के जोड़ो में इकठ्ठा होने लगता है जिसके कारण आपको ज्वाइंट पैन होने लगते हैं !!

*!! उच्च यूरिक एसिड के नुकसान !!*

*१ :-* इसका सबसे बड़ा नुकसान है शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द जिसे गाउट रोग के नाम से जाना जाता है !!

*२ :-* पैरो-जोड़ों में दर्द होना !!

*३ :-* पैर एडियों में दर्द रहना !!

*४ :-* गांठों में सूजन !!

*५ :-* जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना !!

*६ :-* एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द ! फिर दर्द सामन्य हो जाना !!

*७ :-* पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना !!

*८ :-* शर्करा लेबल बढ़ना !!

    उपर्युक्त निम्न तरह की समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें !!

*!! युरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवा !!*

*नुस्खा नम्बर १ :-*
त्रिफला- २५० ग्राम,
गिलोय चूर्ण - २०० ग्राम !
कलोंजी- १००ग्राम,
मैथी पीसी - १०० ग्राम,
अजवायन - १०० ग्राम,
अर्जुन छाल चूर्ण - १०० ग्राम,
चोबचीनी - १०० ग्राम,
२००ग्राम एलोवेरा रस में सभी चूर्ण को मिलाकर छावं में सुखाए ! व चूर्ण कर लें !!

*सेवन की विधि :-*
     २१ दिन से ९० दिन तक दिन में ३ बार २ से ५ ग्राम चूर्ण सेवन करें !!

*नुस्खा नम्बर २ :-*
छोटी हरड का पावडर - १०० ग्राम,
बड़ी हरड का पावडर - १०० ग्राम,
आवंला का पावडर - १०० ग्राम,
जीरा का पावडर -१०० ग्राम,
गिलोय का पावडर - २०० ग्राम,
अजवायन - १०० ग्राम,
        इन सभी को आपस में मिला लीजिये !!
         प्रतिदिन ५ ग्राम सुबह और ५ ग्राम शाम को पानी से निगल लीजिये ! यूरिक एसिड नार्मल होते देर नहीं लगेगी !!
        लेकिन सावधान आपको लाल मिर्च का पावडर और किसी भी अन्य खटाई, अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना है !!

*!! हाई यूरिक एसिड में क्या खाये और नहीं खाना चाहिए !!*

       प्यूरिन की वजह यूरिक एसिड हाई होता है ! इसलिए खाने पीने ऐसी चीजों के सेवन से दूर रहे जिनसे प्यूरिन बनता है ! जेसे रेड मीट, ऑर्गन मीट, फिश और सी फुड !!

*१ :-*  दूध कम फैट वाला ही पिए !!

*२ :-* जैतून के तेल में खाना बनाये !!

*३ :-*  डिब्बा बंद खाना खाने से बचे ! पता नही कब का पैक है !!

*४ :-*  विटामिन सी युक्त चीजों का सेवन करे !!

*५ :-*  बियर और शराब के सेवन से परहेज करे !!

*६ :-* जिन चीजों में फाइबर की मात्रा अधिक हो ऐसी चीज खाये !!

*७ :-* ओमेगा -3 फैटी एसिड का यूरिक एसिड में परहेज करे !!

*८ :-* नींबू पानी शरीर को साफ़ करता है ! और क्रिस्टल्स घोलता है !!

*९ :-* पेस्ट्री, केक और पैनकेक जैसे बेकरी उत्पादों के सेवन से बचे !!

*१० :-* जामुन, चेरी और स्ट्रॉबेरी जैसे फल गठिया का इलाज करने और यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद करते है !!

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श्वासचिन्तामणि रस (बृहत्)*

🌺🙏🏻🌺 *!! श्वासचिन्तामणि रस (बृहत्)* 🌺🙏🏻🌺

*गुण व उपयोग :-* इसके सेवन से पुराने और कठिन श्वास रोग, खाँसी, जुकाम, ज्वर आदि में उत्तम लाभ मिलता है ! इसमें स्वर्ण भस्म, लौह भस्म, शुद्ध गन्धक, अभ्रक भस्म, मुक्तापिष्टी, स्वर्ण माक्षिक भस्म आदि घटक द्रव्य होते हैं ! यह श्वास संस्थान की विकृति एवं फेफड़ों की दुर्बलता को नष्ट कर श्वास और खाँसी रोग को निर्मूल कर देता है !!

*मात्रा व अनुपान :-* १ से २ गोली, सुबह-शाम शहद के साथ या चिकित्सक के परामर्श अनुसार !!

*विशेष :-* श्वासचिन्तामणि रस (बृहत्) के साथ च्यवनप्राश का सेवन करने से लाभ में वृद्धि होती है !!

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शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

गोदंती भष्म !

🌺🙏🏻🌺 *!! गोदंती भष्म !!* 🌺🙏🏻🌺

गोदंती भस्म एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जिसे कई तरह की बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है ! इसके इस्तेमाल से तेज़ बुखार , सर दर्द , मलेरिया , टाईफाइड , जीर्ण ज्वर या पुराना बुखार , ल्यूकोरिया , वैजीनल ब्लीडिंग , कैल्शियम की कमी , हड्डियों की कमज़ोरी , प्रेशर जैसे कई तरह के ब्लड रोग दूर होतें हैं !!

गोदंती एक तरह का खनिज है , इसे आयुर्वेद में गोदंती इस लिए कहा गया है ! क्यूंकि यह गो यानि गाय के दांत की तरह दीखता है !! गोदंती को अंग्रेज़ी में जिप्सम कहते हैं ! एक तरह का सॉफ्ट पत्थर यह की तरह होता है !
इसे गोदंती हरताल और हरताल गोदंती भस्म भी कहा जाता है !!
गोदंती भस्म बनाने के लिए गोदंती को पीसकर पाउडर बनाकर घृत कुमारी के रस घोटकर टिकिया बनाकर सुखा लिया जाता है ! और इसके बाद मिट्टी के बर्तन में रखकर तेज़ आँच देकर भस्म बनाया जाता है ! इसकी भस्म सफ़ेद रंग की पाउडर होती है !!

इसकी भस्म  थोड़ा अलग तरीके से बनाते हैं !!
सबसे पहले इसे अच्छी तरह धोकर मिटटी के बरतन में डालकर तेज़ आँच देते हैं ! इसके बाद इसे चूर्ण करने के बाद घृतकुमारी या नीम के पत्तों के रस की भावना देकर टिकिया बनाकर सुखाकर दुबारा अग्नि देकर भस्म बनाते हैं , तरह से इसकी भस्म बहुत इस ही सॉफ्ट और वाइट बनती है !!

*गोदंती भस्म के गुण !!*

गोदंती भस्म के गुणों की बात करें तो यह अंग्रेज़ी दवा पेरासिटामोल की तरह ज्वरनाशक होता है !! बुखार और सर दर्द को कम करने वाला , विरोधी भड़काऊ , दर्द नाशक यानि एनाल्जेसिक कैल्शियम से भरपूर होता है और
गोदंती भस्म क फ़ायदे - नया पुराना बुखार , खासकर पित्तज ज्वर या पित्त बढ़ने से होने वाली बुखार और सर दर्द के लिए इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है !!

इसके इस्तेमाल .. पुराना बुखार , मलेरिया और टाइफाइड में दूसरी दवाओं के साथ इसका इस्तेमाल करना चाहिए नेचुरल कैल्शियम होने से यह हड्डियों की सुजन , हड्डियों की कमज़ोरी , Osteoprosis, कम अस्थि खनिज घनत्व जैसे रोगों में फ़ायदा करती है ! ल्यूकोरिया , योनिशोथ अधीक ब्लीडिंग होने में दूसरी और दवाओं के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है ! मुँह के छालों में भी इसके प्रयोग से फ़ायदा होता है , इसके अलावा सूखी खांसी, ब्लडप्रेशर और हार्ट के लिए भी फायदेमंद है !!

*!! मात्रा और सेवन विधि !!*

२५० मिलीग्राम से १. ग्राम तक शहद के साथ या फिर रोगानुसार दूसरी दवाओं के साथ ले सकते हैं !!
यह हानिरहित दवा है , सही मात्रा में लेने से किसी तरह का कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है ! इसे नवजात शिशु से लेकर बड़ों तक में इस्तेमाल किया जा सकता है !!

इसे बैद्यनाथ या डाबर की आयुर्वेदिक दवा दुकान से खरीद सकते हैं !!

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लौह भष्म के प्रयोग

🌺🙏🏻🌺 *!! लौह भष्म के प्रयोग !!* 🌺🙏🏻🌺

*!! एनीमिया यानी खून की कमी को दूर करें !!*

लौह भस्म एक तरह का आयरन ऑक्साइड होता है ! लौह भस्म के इस्तेमाल से शरीर को ताक़त मिलती है ! और खून की कमी दूर होती है ! लोहा या आयरन की कमी से होने वाले हर तरह के रोगों के अलावा कई दुसरे रोग भी इसके इस्तेमाल से दूर होते हैं ! यह भस्म पाउडर के रूप में लौह लाल रंग का होता है !!

*लौह भस्म के गुण -*

   यह कफ़ - पित्त नाशक , रक्तवर्धक , शक्ति वर्धक और बाजीकारक गुणों से भरपूर होती है !!

*लौह भस्म के फ़ायदे :-*

     किसी भी वजह से होने वाले खून की कमी को दूर करने की यह पावरफुल दवा है , यह एक नेचुरल हीमैटिनिक यानि हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाती है एनीमिया , कमज़ोरी, लीवर बढ़ जाना , तिल्ली या स्प्लीन बढ़ जाना , ब्लड में बिलीरुबिन बढ़ जाना , कमज़ोर पाचनशक्ति और भूख की कमी जैसे रोगों को दूर करना इसका मेन काम है !!
    इसके अलावा यह ब्लीडिंग वाले रोग जैसे ब्लीडिंग पाइल्स , हर्निया , स्वप्नदोष, नपुंसकता और पुरुष यौन और महिला रोगों में भी फ़ायदेमंद है !!

*!! लौह भस्म की मात्रा और सेवन विधि !!*

१५ मिलीग्राम से लेकर १२५ मिलीग्राम तक रोज़ दो बार शहद या मक्खन - मलाई के साथ मिक्स लेना चाहिए ! इसकी मात्रा रोग और रोगी की उम्र पर निर्भर करता है ! सही मात्रा में डॉक्टर की सलाह से लेने पर किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है ! प्रेगनेंसी में और स्तनपान कराने वाली महिलायें भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं  ! विश्वसनीय कंपनी का ही लौह भस्म स्तेमाल  करना चाहिए, अगर लौह भस्म सही से बना हुआ नहीं हो तो नुकसान कर सकता है !!

*सावधानियां :-*
पेट और आँतों के अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस और थैलेसीमिया जैसे रोगों में इसका इस्तेमाल न करें !!
   कुछ अंग्रेजी दवाओं के साथ भी इसे नहीं लेना चाहिए नहीं तो नुकसान कर सकता है !!

मृगश्रंग भस्म !!

🌺🙏🏻🌺 *!! मृगश्रंग भस्म !!*🌺🙏🏻🌺

*!! सर्दी खांशी व न्युमोनिया नाशक !!*

     मृगश्रृंग भस्म को श्रृंग भस्म भी कहा जाता है ! जो ख़ासकर न्युमोनिया , बलगमी खांसी, प्लूरिसी , इन्फ्लुएंजा, सर्दी जुकाम , सीने का दर्द , हार्ट का दर्द , बुखार, टी बी का बुखार, रिकेट्स और हड्डी के रोगों जैसे कई तरह की बीमारियों में असरदार है !!

  *इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की विधि :-*

    मृगश्रृंग भस्म जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है ! मृगश्रृंग यानि हिरण के सींग का भस्म !!
इसे बनाने के लिए बारह सिंघा के टूटे हुवे सींग का इस्तेमाल किया जाता है !!
आयुर्वेद किसी जानवर को मारकर उसका प्रयोग करने की इजाज़त नहीं देता !!
भस्म बनाने का तरीका यह होता है कि सींग के छोटे - छोटे टुकड़े कर मिट्टी के बर्तन में डालकर अग्नि दी जाती है ! उसके बाद आक या अकवन के दूध की भावना देकर गजपुट की अग्नि दी जाती है ! इसी तरह से तीन भावना और तीन पुट की अग्नि देने पर सफ़ेद रंग की भस्म तैयार होती है !!

*!! भस्म के गुण !!*

यह एक बेहतरीन Expectorant या कफ़ नाशक है ! कासरोधक , जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी जैसे गुण पाए जाते हैं !!

    मृगश्रृंग भस्म  स्वसन तंत्र या श्वसन प्रणाली के रोगों के लिए बेहतरीन दवा है !!
हड्डी और जॉइंट को मज़बूती देता है ! हार्ट और लंग्स को ताक़त देता है ! न्युमोनिया और बलगमी खाँसी में यह अंग्रेज़ी दवा की तरह तेज़ी से काम करता है ! बच्चों के न्युमोनिया में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग करते हैं ! ३० से ६० मिलीग्राम तक शहद में मिलाकर दिन में तीन - चार बार देने से बच्चों का न्युमोनिया या पसली चलना दूर होता है ! कफ़ वाली बलगमी खाँसी या में इसे सितोपलादि चूर्ण और टंकण भस्म के साथ लेने से तेज़ी से फ़ायदा होता है ! इसके अलावा टीबी  का बुखार , प्लूरिसी , हार्ट का दर्द , ब्रोंकाइटिस, इन्फ्लुएंजा जैसे रोगों में दूसरी सहायक औषधियों के साथ लेने से लाभ मिलता है !!

*!! श्रृंग भस्म की मात्रा !!*

      २५० से १२५ मिलीग्राम मिलीग्राम तक यह बड़े लोगों की मात्रा है। बच्चों को २० मिलीग्राम से ६० मिलीग्राम तक उनकी आयु के अनुसार शहद में मिक्स कर या फिर रोगानुसार अनुपान के साथ देना चाहिए !!

    नवजात शिशु से लेकर उम्रदराज़ लोगों तक इस्तेमाल कर सकते हैं ! बस इसकी मात्रा सही हो इसका ख्याल रखना चाहिए !!
इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है !!
चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें और सुखी खाँसी में भूलकर भी इसका इस्तेमाल न करें !!

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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...