गुरुवार, 16 मई 2019

 सिद्ध मकरध्वज

🌹✍🏻    सिद्ध मकरध्वज  ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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सिद्ध मकरध्वज 
(इसके बराबर दुनिया में कोई दूसरी दवा नहीं)

आज हम आपको आयुर्वेद की एक ऐसी बेजोड़ औषधि के बारे में बता रहे हैं जिसकी शक्ति बेजोड़ है.. जिसका नाम है सिद्ध मकरध्वज और मकरध्वज. और हमारी हर दवाई में इसका प्रयोग होता है.. इसे ध्यान से पढ़े और जानकारी ले.

मकरध्वज आयुर्वेद की महौषधि है इसके समान सर्व रोग नाशिनी कोई दवा संसार में किसी भी पैथी में नहीं है. बड़े बड़े डॉक्टर्स ने भी यह बात मान ली है के मकरध्वज के बराबर दुनिया में कोई दूसरी दवा नहीं है. इसके द्वारा अनगिनत प्राणी काल के मुंह से बचते है. बंगाली डॉक्टर्स सबसे ज्यादा इसका ही व्यव्हार करते हैं.

एक ही मकरध्वज से बहुत सारे रोगों में आराम

यह कोई विज्ञापन नहीं है, युक्तिसंगत और हज़ारों डॉक्टर्स और लोगों का अनुभव है. मकर ध्वज के सेवन से मनुष्य की ताक़त बहुत बढती है.

यह हृदय और स्नायुमंडल (दिमाग) को इंजेक्शन कि तरह पांच मिनट में ताक़तवर बनाता है. मकरध्वज खाने से शरीर का वजन निश्चित रूप से बढ़ता है. यह बल वीर्य कान्ति शक्ति

पुरुषार्थ आदि के लिए सर्व श्रेष्ठ है. शीघ्रपतन की तो ये अजूबा दवा है. नपुंसकता के लिए मकरध्वज महा गुणकारी है. गोद के बच्चे से लेकर 100 वर्ष तक के आदमी को मकर ध्वज एक सा फायदा करती है.

लोगों में ग़लतफ़हमी है के मकर ध्वज या चंद्रोदय सिर्फ मरते समय ही दी जाती है जिस से व्यक्ति के प्राण बचने के चांस बन जाते हैं. यह तो सही है के सबसे अच्छी दवा होने के नाते यह मरते व्यक्ति को भी जिंदा कर देती है.

अब जो दवा मरते व्यक्ति को जिंदा कर प्राण दान दे सकती है वो दवा साधारण दिखने वाले रोगों में तो जादू मन्त्र की तरह फायदा करती है. बंगाल में इसका बहुत प्रयोग होता है. वहां के धनी व्यक्ति बारहों महीनों बिना रोग के मकर ध्वज को खाते हैं और बहुत ही तंदुरुस्त बने रहते हैं.

भैषज्य रत्नावली में लिखा है

एतदभ्यासतश्चैव जरामरण नाश्नामः
अनुपान विधानेन निहन्ति विविधान गदान

अर्थात – इसके सेवन से बुढापा चला जाता है और अचानक मौत (जैसे हार्ट फेल) नहीं होती. अनुपान भेद से मकरध्वज बहुत सी बीमारियों को दूर करता है.

मकरध्वज के लाभकारी अनुपान –

नए बुखार में अदरक का रस या परवल का रस और शहद.

मियादी बुखार में पान का रस या शहद.

सन्निपात में ब्राह्म रस के साथ.

निमोनिया में अडूसे का रस और शहद.

मोतीझरा में शहद और लौंग का काढ़ा.

मलेरिया बुखार में करंज का चूर्ण और शहद.

पुराने बुखार में पीपल का चूर्ण या शेफाली का रस और शहद.

ज्वारातिसर में शहद और सौंठ का पानी.

आंव के दस्तों में बिल्व (बेल) कि गिरी का चूर्ण और शहद

खून के दस्त में कुडे की छाल का काढ़ा और शहद.

पतले दस्त में जीरे का चूर्ण और शहद के साथ मकरध्वज

पुराने दस्त में चावल का धोवन और शहद के साथ मकरध्वज

संग्रहणी में जीरा का चूर्ण और शहद के साथ मकरध्वज

बवासीर में जिमीकंद का चूर्ण या निमोली का चूर्ण और शहद के साथ मकरध्वज

खूनी बवासीर में नागकेशर का चूर्ण और शहद के साथ मकरध्वज

हैजे में प्याज का रस और शहद के साथ मकरध्वज

कब्जियत में त्रिफला का पानी और शहद के साथ मकरध्वज

अमल्पित्त में आंवले का पानी और शहद के साथ मकरध्वज

पांडू (पीलिया) में पुराने गुड के साथ के साथ मकरध्वज

राजयक्ष्मा में सितोपलादि चूर्ण, गिलोय का सत्व अथवा बासक (अडूसे) का रस और शहद के साथ मकरध्वज

खांसी में कंटकारी का रस या पान का रस और शहद के साथ मकरध्वज

दमे में बेल के पत्तों का रस या अपामार्ग का रस और शहद के साथ मकरध्वज

स्वरभंग में मुलेठी चूर्ण और शहद के साथ मकरध्वज

अरुचि में निम्बू का रस और शहद के साथ मकरध्वज

मिर्गी में बच का चूर्ण और शहद के साथ मकरध्वज

पागलपन में कुष्मांडाव्लेह या ब्राहम रस और शहद के साथ मकरध्वज

वातव्याधि में अरंड की जड़ का रस और शहद के साथ मकरध्वज

वातरक्त में गिलोय का रस और शहद के साथ मकरध्वज

आमवात में शहद से खाकर ऊपर से सने, बड़ी हरड और अमलतास का काढ़ा लें.

वयुगोले में भुनी हुई हींग का चूर्ण और गर्म पानी .

हृदय रोग में अर्जुन की छाल का चूर्ण और शहद.

मूत्रकच्छ और मुत्रघात में गोखरू का काढ़ा और शहद.

सुजाक में जवाखार और गर्म पानी.

पथरी में कुल्थी की दाल का काढ़ा और शहद.

प्रमेह (धातु स्त्राव) में कच्ची हल्दी का रस या आंवले का रस अथवा नीम गिलोय का रस और शहद.

मधुमेह में जामुन की गुठली का चूर्ण और शहद.

दुर्बलता में असगंध का चूर्ण और शहद.

उदर रोग और शौथ में शहद और शुद्ध रेंडी का तेल.

गर्मी में अनंतमूल का काढ़ा और शहद.

शीतला (चेचक) में करेले की पत्ती का रस और शहद.

मुख रोग में गिलोय का रस और शहद.

रक्तप्रदर में अशोक की छाल का चूर्ण या उससे पकाया हुआ दूध और शहद.

सफ़ेद प्रदर में चावल का धोवन (मांड) या राल का चूर्ण और शहद.

सूतिका रोग में शहद और दशमूल का काढ़ा.

नाडी छूटने पर तुलसी का रस शहद.

कफ रोग में अदरक का रस और शहद.

पित्त रोग में शहद, सौंफ और धनिये का पानी.

ताक़त बढ़ाने के लिए वेदाना का रस, मलाई मक्खन, अंगूर का रस, शतावर का रस या पान का रस और शहद.

स्तंभक शक्ति के लिए माजूफल तथा जायफल का चूर्ण और शहद.

विशेष

इतनी  गुणकारी  होने  की  वजह से मकरध्वज थोड़ी महंगी होती है, और लोग इसमें मिलावट भी कर देते हैं, इसलिए जब भी मकरध्वज खरीदना हो तो बैद्यनाथ कंपनी की ही लीजिये.

बैद्यनाथ कई दशकों से क्वालिटी और सही दाम में ये सब चीजें मुहैया करवाता है. बैद्यनाथ की मकर ध्वज एक ही खुराक में अपना असर दिखा देती है. रोगों में इसके सही उपयोग की विधि आप वैद के परामर्श से ही करें. और बिना रोग के अगर आप इसको लेना चाहें तो भी आप इसको नियमित सेवन कर सकते हैं.

मकरध्वज की सेवन की मात्रा

मकरध्वज आधी रत्ती से  एक रत्ती (62 से 125 मि. ग्रा.) तक आवश्यकतानुसार दें.

सिद्ध मकरध्वज

राजा महाराजा और धनी व्यक्ति ही इसका व्यव्हार करते हैं. मकरध्वज के सम्पूर्ण गुण सिद्ध मकरध्वज में पाए जाते हैं. यह मकरध्वज से अधिक शक्तिशाली होती है.

सिद्ध मकरध्वज स्पेशल

सिद्ध मकरध्वज स्पेशल अष्ट दश संस्कारित एवं षडगुण बलिजारित पारद से निर्मित मकर ध्वज, स्वर्ण भस्म, कस्तूरी और मोती भस्म आदि से निर्मित किया जाता है.

यह औषध शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता को मिटा कर शरीर में नवीन शक्ति एवं स्फूर्ति को उत्पन्न करती है. इसके अतिरिक्त ज्वर, निमोनियां, सर्दी, जुकाम खांसी, कफ, श्वांस, फेफड़ों के रोग, राजयक्ष्मा, उर:क्षत, नाडी क्षीणता, शीतांग, आदि रोगों में इस औषध का सफल प्रयोग होता है. शरीर में किसी भी कारण वश खून की कमी हो जाए तो इसके सेवन से अमृत के समान लाभ होता है. बालक, वृद्ध, युवा, स्त्री, पुरुष सबके लिए समान रूप से लाभकारी है. शीतकाल में इसका निरंतर सेवन किया जा सकता है.

सिद्ध मकरध्वज स्पेशल मात्रा और अनुपान

1-1 रत्ती (125 मि.ग्रा.) सिद्ध मकरध्वज दिन में दो बार सुबह और शाम. बच्चो को उनकी आयु के अनुसार कम मात्रा में दें. आवश्यकतानुसार दिन में दो से अधिक बार भी दिया जा सकता है. अनुपान में मधु, मक्खन मिश्री, मलाई मिश्री, दूध या पान का रस और मधु, या अदरक का रस और शहद के साथ या रोगानुसार उचित अनुपान के साथ रोगी को दें.

मधु मकरध्वज

मकरध्वज को शहद के साथ अच्छी तरह घोंट कर बनाया जाए तो यह मधु मकरध्वज कहलाता है. मकरध्वज को असली शहद के साथ एक घंटा खूब अच्छी तरह घोंटना चाहिए, नहीं तो पूरा फायदा नहीं करती. यह बना बनाया मिल जाता है.

मकरध्वज षडगुणबलिजारित (भैषज्यरत्नावली)

मकरध्वज षडगुणबलिजारित में गंधक ६ गुणा ज्यादा डाली जाती है, इसलिए ये साधारण मकरध्वज से अधिक प्रभावशाली होती है. इस मकरध्वज के निर्माण में उपयोग किये जाने वाले पारद को अष्ट संस्कारित कर, इसके बाद में षड्गुण गंधक जारित किया जाय और इसके बाद षड्गुणबलजारित मकरध्वज तैयार किया जाए तो बहुत ही श्रेष्ठ चमत्कारिक गुणों से पूर्ण मकरध्वज तैयार होता है.

विशेष नोट

आपको यह सब मकरध्वज बैद्यनाथ स्टोर से मिल जाएँगी. और किसी रोग के उपचारार्थ अनुभवी वैद का परामर्श ज़रूर लेवें. यह जानकारी सिर्फ आपको मकरध्वज के फायदों से अवगत करवाने के लिए है.

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
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 नागफनी का शर्बत

🌹✍🏻   नागफनी का शर्बत     ✍🏻🌹
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नागफनी के फलों को तोड़कर उनके कांटे तोड़कर गूदा को मथ कर कपड़े से निचोड़कर उसका रस निकाल ले और उसमें मिश्री मिलाकर  शहद की तरह गाढ़ा सरवत बना ले ।

सेवन बिधि - 10 gm शर्बत दूध से सुबह शाम दे ।

लाभ - इससे प्रमेह , प्रदर , स्वांस , कास , शीघ्रपतन , व जिन स्त्रियों को दूध कम उतरता हो इसके सेवन से खूब दूध उतरता है ।

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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नपुंसकता

🌹✍🏻      नपुंसकता  ✍🏻🌹
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नमस्कार दोस्तो आज मैं गुरुवेन्द्र सिंह शाक्य संजीवनी परिवार के सौजन्य से नपुंसकता के ऊपर ये योग दे रहा हूँ इसके लाभ यहाँ लिखना सम्भव नही है । योग निम्न है -

योग -
रस सिंदूर
अफीम
लौह भस्म
अभ्रक भस्म  (100 पुटी)
वंग भस्म
कपूर
गुर्च का सत
मुक्ताशुक्ति भस्म

सभी  दवाओं को हम बजन लेकर ग्वार पाठे के रस में जोरदार हाथो से 3 दिन तक खरल करे और 3-3रत्ती की गोली बना ले ।

सेवन विधि - एक एक गोली सुबह शाम दूध से दे ।

लाभ - इससे स्वप्नदोष , प्रमेह ,नपुंसकता में विशेष लाभ होता है ।

note - ये दवा खुद की बनी हुई हो ओर पूर्ण शुद्ध हो तभी लाभ मिलेगा ।
पेट साफ होना चाहिए अगर नही होता है तो अरंड तेल या कोई चूर्ण का सेवन कर पेट साफ रखें ।

मौषम व रोगी के अनुसार खुराक , अनूपान बदले जा सकते है इसलिए बैद्य की सलाह से ही सेवन करे ।

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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कुछ अमूल्य नुक्से

🌹✍🏻  कुछ अमूल्य नुक्से      ✍🏻🌹
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बेल इन्द्रयव मोचरस ,मोथा सम घृत खाय ।
अतिसार संग्रहणी अरु , रुधिर आँव मिटजाय ।।

कूटि आमले काढ़ि रस, मधु अरु हरदी मिलाय ।
मिटे बीस प्रमेह दुःख , यह थोरे दिन जो खाय ।।

शहद संग गुरच को , खाय प्रात दिन सात ।
मिटे बीस प्रमेह दुःख नर सुख पावे गात ।।

आम मिगी अरु जायफल ,कुड़ा अफीम मंगाय ।
लेपै जल घिस नाभि पर , अतिसार थम जाय ।।

जवाखार सम सोंठ लै, प्रातः घी सों खाय ।
भूख लगे अति रुचि बड़े , अन्न तुरत पच जाय ।।

आक पत्र लहसुन मिले, बाँटि काढ़ि रस लेय।
तातो डारे कान में , पीर बिदा कर देय ।।

आक पत्र तिलपत्र पुनि , लहसुन घृत सब संग ।
मीजि निचोड़े कान में , पीर बधिरता भंग ।।

त्रिफला कटू चिरायतो, बांसा नीम गिलोय ।
या काढ़े के पियत ही , नाश पांडु को होय ।।

वच मुलेठी सारिवा , कूट पिपरै आनि।
कांजी सो लेपन करे , अर्धशीश दुख हानि ।।

मिश्री शीतल नीर सों , घोर पियावे कोय।
आधा शीशी पीर पुनि , ताको कबहु न होय ।।

शहद संग वच लीजिए,खुरासान दो टंक ।
दूध भात पथ दीजिए , मृगी रहे नहि अंग ।।

सेहुड में  मिर्चे धरे , दिन इक्कीस बिचारि ।
नास दीजिए नीर सों, मृगी रोग को टारि ।।

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किसी को भी बाल उगाने की दवा , झड़ने की दवा , गठियावाय , साइटिका , सेक्स संमस्या , शुगर, bp , नीद न आना , हैड्रोशील , हर्निया , पथरी कही भी हो , दाद खाज खुजली , लिकोरिया , दमा , अस्थमा की दवा मंगाने के लिए संपर्क करे ।
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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  दाद की दवा 

🌹✍🏻   दाद की दवा    ✍🏻🌹

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अमलासार गन्धक
सिंदूर
मुर्दासंख
फिटकरी
मैनसिल
इन सभी दवाओं को लेकर पीस के कपड़छन चूर्ण तैयार कर दाद खाज खुजली पर लगाये सरसो के तेल में या तेल में मिला के । ये दवा हजारो बार की अनुभूत है खुद बनाये ऒर लाभ दे पोस्ट को शेयर कर अन्य लोगो को भी लाभांवित करे ।

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निम्बादि चूर्ण  

🌹✍🏻 निम्बादि चूर्ण       ✍🏻🌹
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नमस्कार दोस्तो  आज बैद्य गुरुवेन्द्र सिंह जी आपको निम्बादि चूर्ण   बनाने की बिधि दे रहे है बनाये ओर लाभ ले

सामिग्री -
नीम 40 gm
गिलोय -40 gm
हरड़ 40 gm
आमला 40gm
बावची 40 gm
सोंठ 10 gm
वायबिडंग 10 gm
कसोंधि के बीज 10 gm
पीपरी 10 gm
अजबाइन 10 gm
बच 10 gm
कुटकी 10 gm
जीरा 10 gm
सफेद खैर 10gm
सेंधा नमक 10 gm
जवाखार 10 gm
हल्दी 10 gm
दारुहल्दी 10 gm
नागर मोथा 10 gm
देवदारु 10 gm

बिधि - समस्त बुटियों को अलग अलग खरल में डाल के कपड़छन चूर्ण बना के कांच की शीशी में रख ले ।

सेवन बिधि - गुर्च के काढ़े से प्रतिदिन 4 से 5 gm ले दिन में दो बार ।

लाभ - एक माह में शरीर सोने के समान चमकने लगता है और अतिउग्र महा  असाध्य वातरक्त व सफेद कोड व उदुम्बर और चर्मदल कोढ से हुआ दाद , खाज , खुजली , विचर्चिका, मंडल , चकत्ता ,आमबात की शूजन , जलोदरादि आठो उदर रोग पीड़ा बायु गोला , पांडुरोग , कामला , सर्व व्रण इतने रोगों का नास होता है । ये निम्बादि चूर्ण   रुधिर बिकार के नाश के लिए सर्वोत्तम दवा है ।

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  तंदुलादि वटिका

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योग -

चावल - 10 gm
चूना कलई 10gm
गंधक  10 gm
नोसादर 10gm
मूली के बीज 10 gm
भुनी हुई हींग 1 gm

निर्माण विधि - सबको पीसकर ऐलोवेरा के रस में अच्छी तरह खरल करे और लगभग 100gm रस खपा दे फिर चने बराबर गोली बना ले ।

सेवन विधि - एक एक गोली सुबह शाम जल से सेवन करे ।

लाभ - इससे पित्त की ठंडी कै ठीक होती है, पेट दर्द ,उबकाई , छाती की जलन ठीक होती है

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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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लिसोड़ा पाक

🌹✍🏻   लिसोड़ा पाक      ✍🏻🌹

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योग -

लिसोड़ा के सूखे फल -1 kg
मिश्री 1kg
दाल चीनी 15gm
इलाइची 15 gm
कायफल 15 gm
लोंग 15 gm

बिधि - सबको महीन पीस कपड़छन कर  2kg शहद में अच्छी तरह मिला ले । ओर खूब घुटाई करे

सेवन विधि - 10 से 20 gm तक सुबह शाम सेवन करे ।

लाभ - इससे स्वांस , कफ की खुश्की , कमर दर्द , वीर्य का पतलापन , शारीरिक निर्बलता , पेट की गर्मी  दूर होती है

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 ब्लड प्रेशर , रक्त चाप 

🌹✍🏻  ब्लड प्रेशर , रक्त चाप     ✍🏻🌹

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आज हम आपसे -रक्तचाप को नष्ट करने वाले नुस्खे के बारे में बात करते है ये सभी अनुभूत नुस्खे आपके Ideal Blood Pressure (आदर्श उच्च रक्तचाप) पूर्णतया सहायक है और आसानी से आप घर पर प्रयोग करके इसका लाभ ले सकते है..

शायद आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि आज हमारे देश में बीस करोड़ से भी जादा स्त्री-पुरुष Blood Pressure (ब्लड प्रेशर) के घातक रोग से ग्रसित है जबकि इसके पीछे मुख्य कारण हमारा बिगड़ता खान पान है Hypertension (उच्च रक्तचाप) की ख़ास वजह आपका Mental stress (मानसिक तनाव) भी हो सकता है क्युकि आधुनिक परिवेश में जादा से जादा धन कमाने की दौड़ में आपका संतोष रूपी धन तो खोता ही जा रहा है यही असंतुष्टि हमारे मानसिक तनाव का आधार है और ब्लड-प्रेशर के बढ़ने का मूल कारण भी है-

मानसिक तनाव  के कारण मनुष्य अनेक व्याधियों से भी घिरता जा रहा है। परिणाम स्वरूप High blood pressure (उच्चरक्तचाप) की ज्वलंत समस्या आज हमारे सामने है। जब रक्त संवहन करने वाली धमनी में बाधा के कारण या अन्य कई कारणों से मानसिक तनाव, मोटापा, गुर्दे की खराबी, शरीर के अंदर नमक का संचय, ह्रदय की विकृति, अहितकर आहार-विहार के कारण होते है-

उच्च रक्तचाप में बैचेनी, धडकनों का तेज होना, जलन, चीटियों से चलने का आभास होना आदि मुख्य लक्षण है-

Blood Pressure (रक्तचाप) नाशक कुछ अनुभूत Prescriptions (नुस्खे )-

1- Blood Pressure की अवस्था में सूर्योदय से पहले आपको आठ अंजुल या दो गिलास लगभग जल पीना चाहिए और प्रतिदिन टहलने अवश्य जाना आपके हितकर है-

2- प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार 10-10 ग्राम सेवन करे प्याज का रस Cholesterol (कोलेस्ट्रोल) को कम करता है तथा दिल के दौरे को भी रोकता है तथा आपके Nerve fibers (स्नायुतंत्र) को भी बल प्रदान करता है-
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      
3- तरबूज के बीज और खसखस बराबर की मात्रा में पीसकर रख ले और इसमें से 3-3 ग्राम की मात्रा प्रात:काल खाली पेट सेवन करे इससे Cholesterol (कोलेस्ट्रोल) पिघलता है और आपका High Blood Pressure (उच्च-रक्तचाप) भी नियंत्रित रहता है-

4- मेथी दाना का चूर्ण बनाए और इसे 3-3 ग्राम की मात्रा सुबह खाली पेट 15 दिन ले इससे आपको काफी लाभ मिलेगा-

5- रक्तचाप सामान्य रहे इसके लिए जब भी आप खाना खाए खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक या दो फांक को टुकड़े करके मुनक्का में लपेट कर खा ले इस प्रयोग से आपका रक्तचाप सामान्य ही रहेगा-

6- अगर आप थोडा सा आलस छोड़ कर बराबर मात्रा में Wheat and Chana (गेहूं और चना) लेकर पिसवाये और बिना चोकर निकाले ही इस आंटे का सेवन करेगे तो फिर आपका ब्लड-प्रेशर सामान्य रहेगा और कब्ज से भी मुक्ति मिलेगी-पहले लोग जो मोटा अनाज खाते थे आज के लोग उनको पागल समझने की भूल कर रहे है वो आज की अपेक्षा आप लोगो से जादा स्वस्थ हुआ करते थे लेकिन अभी कुछ नहीं बिगड़ा है बाजार में थैली में बिकने वाले आटे का पिंड छोड़ दे और खुद के स्वास्थ के लिए पिसवा कर ही आंटे का सेवन शुरू कर दे-आपको पता है कब्ज कई रोगों को जन्म देता है बाजार का आटा फाइबर निकाला होता है जो आपकी आँतों में चिपक जाता है और कब्ज होने का कारण भी बनता है घर में गेहूं घो कर सुखा कर पिसवाने से कीटाणु नाशक रसायन से भी आपके शरीर को नुकसान नहीं होगा-

7- बजार से असली सात पीस पांच मुखी रुद्राक्ष (Rudraksh) ले आये असली रुद्राक्ष पानी में डूब जाता है अब आप इन रुद्राक्ष को रात को एक गिलास जल में डालकर रख दे और सुबह-सुबह इन रुद्राक्ष के दानो को निकालकर जल को पी ले और दूसरे दिन के लिए फिर इन्ही रुद्राक्ष को जल में डालकर रख दे इस प्रकार नियमित करते रहे तो आपका ब्लड-प्रेशर सामान्य होने लगेगा-

8- चलो आपको गरीबों का भी एक नुस्खा बता देता हूँ जिनके पास अमीरी नुस्खे प्रयोग करने के भी पैसे नहीं है वो निराश न हो गेहूं की बासी रोटी प्रात:काल दूध में भिगो कर खा ले आपका उच्च-रक्तचाप सामान्य रहेगा और डॉक्टर की फीस नहीं लगेगी-

9- बादाम रोगन असली की चार-पांच बूंद रात को सोते समय नाक में डाले ये परीक्षित नुस्खा है आपका रक्त चाप सामान्य रहेगा और सिर दर्द आदि सभी नाक के रोग भी ठीक हो जायेगे तथा दिमाग में भी ताजगी बनी रहेगी-

10- आइये आपको तीन चीजो को एक साथ सामान्य रखने के लिए एक नुस्खा बताते है आपके ही घर में है और बहुत ही सस्ती चीज है लेकिन आप उसे नियमित करे आप दस से पन्द्रह ग्राम मेथी दाना रोज रात को थोड़े पानी में भिगों दे और सुबह दाना निकाल कर सिर्फ पानी को पी ले इसे आप लगातार आठ दिन करके देख ले आपका रक्तचाप-कोलेस्ट्रोल-मोटापा-मधुमेह तीनो ही सामान्य पे आ जाएगा-

11- नीम के दो पत्ते और चार-पांच तुलसी के पत्ते सुबह लिया करे तथा नाश्ता में खाली पेट पपीता एक माह खा ले रक्त चाप सामान्य हो जाएगा-

12- यदि सर्दी का मौसम है तो प्रतिदिन एक कली लहसुन को छील कर खाया करे रक्तचाप सामान्य रहेगा-

13- आंवला का स्वरस बाजार से लायें एक से दो चम्मच नित्य ले यह ह्रदय के आसपास की चर्बी हटाकर ये भी आपके रक्तचाप को सामान्य करता है-

14- क्या आप जानते है कि जो लोग जादा नंगे पाँव रहते है या चलते है उनको कभी उच्च रक्त नहीं होता है शायद आपको यकीन न हो तो आजमा कर देख ले-उच्च-रक्तचाप रोगी को गाजर का रस भी काफी फायदेमंद है-

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
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नाखून सड़ना ,पेरोनिसिया ,हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना.

  पेरोनिसिया  हात पैर के नाखून सडणा/ खराब होना. आयुर्वेदिक  मुलेठी 50ग्राम बडी सोफ 50 ग्राम  अच्छी हळदी 50 ग्राम  नीम पत्ते चुर्ण 50 ग्राम  ...