शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

!! पुत्रजीवक बीज एक अद्भुत बनस्पति !!* 🌺🙏🏻🌺

🌺🙏🏻🌺 *!! पुत्रजीवक बीज एक अद्भुत बनस्पति !!* 🌺🙏🏻🌺

   आयुर्वेद में एक अद्भुद औषधि है जिसका प्रभाव गर्भकर है ! इसका अर्थ है कि यह स्त्री को गर्भधारण करने में सहायक सिद्ध होती है और महिलायों के बाँझपन को दूर करती है ! बांझपन की चिकित्सा के लिए आयुर्वेद में इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही हो रहा है !!
जिन महिलाऔं को बार बार गर्भपात जैसी समस्या का सामना करना पड़ता हैं, उनके लिए पुत्रजीवक बीज सबसे असर कारक औषधि हैं ! जैसे की नाम से पता चल रहा हैं यह औषधि बीजो के रूप में बाजार में मिलती हैं जिससे गिरी को निकाल कर उनका चूर्ण बना कर उसका प्रतिदिन सेवन किया जाता है !!

*पुत्रजीवक बीज में निम्नलिखित औषधीय गुण है:-*

पौष्टिक – पोषण करने वाला
बल्य – शारीर और मन को ताकत देने वाला
शोथहर
तृषणा निग्रहण
वात-अनुलोमन
प्रजास्थापन – गर्भाशयगत दोषों को दूर कर गर्भधारण करावे
गर्भकर – गर्भधारण कारने में सहायक
गर्भाशय-बल्य – गर्भाशय को ताकत देता है !
वृष्य – पौरूषीय बल को बढाता है !
मूत्रल – इससे मूत्र की अधिक उपति होती है !
जीवनीय – जीवनीय शक्ति बढाता है !
शुक्रजनन – अल्पशुक्राणुता में लाभदायक !
शुक्रस्तम्भन – समह बढानें में उपयोगी !
दाहहर – जलन कम करे !
चक्षुष्य – आंखों के लिए  फायदेमंद !!

*!! चिकित्सकीय संकेत !!*
पुत्रजीवक बीज निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:-

१. बांझपन (वन्ध्यत्व)
२. बार बार गर्भपात होना
३. तृषणा – अधिक प्यास
४. शुक्रक्षय – अल्पशुक्राणुता
५. कब्ज – शुष्क और कठिन मल के साथ होने वाली कब्ज !!

*!! औषधीय लाभ एवं प्रयोग !!*

पुत्रजीवक बीजों का काम मुख्यतः गर्भाशय पर होता है ! यह गर्भाशय को बल प्रदान करता है और उस को गर्भधारण करने के लिए सक्षम बनाता है !!
प्राचीन काल से इसका प्रयोग बाँझपन के इलाज के लिए किया जाता रहा है और आज भी यह अनेक महिलाऔं को संतान सुख देने के लिए हितकारी सिद्ध हुआ है।
यह वृष्य औषधि है जो पुरुषों की शक्ति को भी बढ़ाने में सहायक है ! यह शुक्रक्षय अर्थात अल्प शुक्राणुता में लाभ करता है ! इसलिए इसका प्रयोग केवल महिलाऔं के लिए ही नहीं बल्कि पुरुषों के लिए भी लाभदायक है !!

*!! बांझपन (वन्ध्यत्व)!!*

    पुत्रजीवक बीजों का चूर्ण शिवलिंगी के बीजों के चूर्ण के साथ प्रयोग किया जाता है और यह योग स्त्रियों का बांझपन दूर करता है !!

     आयुर्वेद के सिद्धान्तों का यदि अनुसरण किया जाये तो पुत्र जीवक और शिवलिंगी का अलग अलग प्रयोग करना ज्यादा लाभदायक सिद्ध होगा !!

पुत्रजीवक शीत वीर्य और कफ वर्धक है ! इसलिए यह कमजोर और कम वजन वाले रोगी में अधिक हितकारी है ! जिन स्त्रियों को छाती में जलन, अम्लपित, माहवारी में रक्त का स्राव ज्यादा हो, माहवारी के दिनों कमजोरी महसूस हो, चक्र आते हो, आँखों के आगे अँधेरा आता हो, पैरो में से सेक निकलता हो, चिहरे पर छईयां हो, आँखों के निचे काले धब्बे हो, नींद कम आती हो, त्वचा का रंग पीला पड़ गया हो, पुत्रजीवक के बीज उनके लिए अति उपयोगी है ! ऐसे रोगी को पुत्रजीवक बीज चूर्ण को लगभग ३ ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह और शाम प्रयोग में लेना चाहिए. ऐसे रोगियों शिवलिंगी का प्रयोग या तो नहीं करना चाहिए या फिर शिवलिंगी को कम मात्रा में दूध लेना चाहिए !!

शिवलिंगी का प्रयोग ज्यादातर उन रोगियों के लिए हितकर है जिनका वजन सामान्य से ज्यादा हो, मोटे हो, भूख सामान्य लगती हो, नींद ज्यादा आती हो, आलस्य हो, बलगम आदि की शिकायत रहती हो, मुख का स्वाद मधुर रहता हो, या यह उन सभी रोगियों को दी जा सकती है जिन में पित्त दोष के बड़े हुए लक्षण न हो।
यदि पुत्रजीवक प्रयोग दोषों की शरीर में स्थिति को अच्छे से समज कर किया जाये तो यह हार्मोन्स को संतुलित रखने में भी मददगार हैं !!

*!! बार बार गर्भपात होना !!*

आयुर्वेद में गर्भाशय की कमजोरी ही बार बार होने वाले गर्भपात का मुख्य कारण होता है ! इसकी चिकित्सा के लिए पुत्रजीवक प्रयोग अतिहितकारी है ! यह गर्भाशय को बल देता है, उसका पोषण करता है और गर्भाशयगत दोषों को दूर कर गर्भाशय को गर्भधारण योग्य बनाता है ! ऐसे रोगी में पुत्रजीवक का प्रयोग अश्वगंधा के साथ करने से ज्यादा लाभ मिलता है !!
  पुत्रजीवक बीज चूर्ण १००ग्राम.
अश्वगंधा मूल चूर्ण १००ग्राम.
मिश्री १००ग्राम..
*!! मात्रा !!* १ चम्मच ( लगभग ४-५ ग्राम मिश्रण ) सुबह और शाम दूध के साथ लेना चाहिए !!

*!! शुक्रक्षय. अल्पशुक्राणुता !!*
पुत्रजीवक बीज चूर्ण का 3 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह और शाम प्रयोग करने से अल्पशुक्राणुता में लाभ मिलता है इस से संख्या में वृद्धि होती है और शुक्रक्षय दूर होता है !!

*!! कब्ज !!*
पुत्रजीवक का प्रयोग कब्ज के लिए प्रसिद्ध नहीं है ! पर इसे कब्ज से पीड़ित व्यक्ति दूध के साथ सुबह और शाम प्रयोग करके कब्ज से राहत पा सकता है ! शुष्क और कठिन मल के साथ होने वाली कब्ज में पुत्र जीवक ज्यादा लाभकारी है !!

*!! मात्रा एवं सेवन विधि !!*

    पुत्रजीवक बीज चूर्ण की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:-

*!! औषधीय मात्रा !!*
वयस्क ३ से ६ ग्राम !!

*सेवन विधि !!*

   पुत्रजीवक दिन में २ बार - सुबह और शाम खाना खाने के एक घंटा पहले या खाना खाने के तीन घंटा बाद में दूध के साथ लगभग तीन से छह माह तक या चिकित्सक की सलाह से लेना चाहिए !!

    पुत्रजीवक बीजों से सबसे पहले गिरी निकालें फिर पुत्र जीवक बीज गिरी को कूटकर व पीसकर चूर्ण बना लें और औषधीय मात्रा के अनुसार सेवन करें !!

*!! दुष्प्रभाव !!*

यदि पुत्रजीवक बीज चूर्ण का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो पुत्रजीवक बीज चूर्ण के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते। अधिक मात्रा में पुत्रजीवक के साइड इफेक्ट्स की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है !!

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