गुरुवार, 16 मई 2019

 दमा  

🌹✍🏻    दमा   ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

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दमा
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नौसादर 10 ग्राम पीसकर तवे के बीचोबीच रख दें और इसके चारों तरफ 3-4 इंच दूर 200 ग्राम पिसे हुए नमक को गोलाकार में रख दें। तवे को एकत्था बर्तन से ढक दें और तवे को चूल्हे पर चढ़ाकर करीब 1 घंटे तक धीमी आंच पर पका लें। यह एक चुटकी की मात्रा में चीनी के बताशे में रखकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे दमा के दौरे में आराम मिलता है।

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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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  खांसी, कफ इन्फेक्शन, पुरानी खांसी तथा कुकुर खांसी   

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खांसी, कफ इन्फेक्शन, पुरानी खांसी तथा कुकुर खांसी पर अनुभूत योग
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अक्सर कितने ही इलाज व दवाइयां खाने के बाद भी कुछ लोगों की खांसी कम होने का नाम नहीं लेती कम रोग प्रतिकारक शक्ति, किसी दवाई के साइड इफेक्ट, क्षतिग्रस्त फेफड़े, एलर्जी, धूम्रपान, तथा इन्फेक्शन जैसे कई कारण इसके पीछे हो सकते हैं पुरानी खांसी ना सिर्फ असाध्य होती है लेकिन कष्टदायक भी होती है-

कई बार खास्ते खास्ते रोगी के छाती पीठ व पेट दुखने लगता है और रोगी थकान महसूस करने लगता हैं तथा कफ कि वजह से रोगी अरुचि महसूस करता है तथा धीरे-धीरे रोगी कमजोर होने लगता है ऐसे में आज हम जो नुस्खा आपको बताने वाले हैं यह बहुत अनुभुत तथा अकसीर है-

खासकर के छोटे बच्चों की खांसी या कुकुर खासी में यह बेहद चमत्कारिक लाभ देने वाले नुस्खों में से एक है बच्चों को जब कुकुर खांसी (Whooping cough) हो जाती है तो बच्चे काफी देर तक खांसते रहते हैं व खांसते खांसते उनका दम घुटने लगता है आंखें लाल हो जाती है कई बार बच्चों को व खांसते खांसते उल्टी होने लगती है इससे बच्चों को काफी कष्ट होता है बच्चे हमेशा रोते व चिड़चिडे रहते हैं और उनका यह हाल देखा नहीं जाता ऐसे में यह नुस्खा बेहद लाभदायक है-

यह नुस्खा हमें मुंबई के जड़ी-बूटी शिविर में पिपरिया से आए हुए एक बुजुर्ग वैदजी ने लोक कल्याण हेतु बताया था यह उनका वर्षों से अनुभूत योग है तथा हमारा भी अब अनुभूत योग है-

यह नुस्खा बनाने में बेहद सरल, ससता, निरापद तथा अत्यंत लाभदायक है जिसे कोई भी आसानी से बना कर प्रयोग कर सकता है लोगों को एलोपैथिक दवाई लेकर भी ठीक ना होते हुए देखकर तथा लोगों का ऊर्जा तथा धन व्यय देखकर हमें अत्यंत दुख होता है और इसीलिए आज हम यह नुस्खा लोक कल्याण हेतु यहां लिख रहे हैं-

खांसी-कफ इन्फेक्शन-पुरानी खांसी तथा कुकुर खांसी (whooping cough) पर अनुभूत योग-

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सामग्री-
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कच्ची फिटकरी (Elm) का चूर्ण- 100 ग्राम
सोमलता (Ephedrine) का चूर्ण- 50 ग्राम

बनाने की विधि-
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दोनों चूर्णों को मिलाकर कपड़छन कर कर अच्छे से खरल में घोंट कर मिलाकर रख लें-पुरानी खांसी व कुकुर खांसी (whooping cough), की अवस्था में यह प्रयोग करने से 10 से 15 दिन में आराम हो जाता है-

मात्रा-
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1 से 2 वर्ष के बालक को 2 रत्ती
5 से 6 वर्ष तक के बालक को 3 से 5 रत्ती
बड़े बालों को को 7 से 10 रत्ती-तथा बड़ी उम्र की व्यक्तियों को 10 से 15 रत्ती तक दिन में तीन बार देवें

अनुपान-
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यह योग आप गर्म पानी अथवा शहद में मिलाकर ले सकते हैं छोटे बालों को को उनके उम्र के हिसाब से इस नुस्खे की मात्रा एक चम्मच शहद में अच्छे से मिलाकर चटा देने से 15 दिन में संपूर्ण लाभ हो जाता है-

यह नुस्खा कुत्ता खासी (whooping cough), पुरानी खांसी, कफ इन्फेक्शन (cough infection), अस्थमा, ब्रोंकैटीस (Bronchitis) छाती का भारीपन बढ़ा हुआ ESR (Eosinophilia) जैसी समस्याओं में भी बेहद लाभदायक है यह नुस्खा संपूर्ण निराप्रद है तथा इसे लेने से एलोपैथिक सिरप की तरह नींद नहीं आती और ना ही अन्य कोई साइड इफेक्ट होते हैं-

विशेष टिप-
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खांसी में गेंदे के फूल (Marigold flower) की सारी पंखुड़िया तोड़ कर रात को एक लिटर पानी में भिगो दे सुबह यह पानी पूरे दिन पिए इस प्रयोग से ना सिर्फ खांसी में आराम मिलता हैं बल्कि फेफड़ो को भी शक्ति मिलती हैं तथा जमा हुआ कफ आसानी से निसारण हो जाता हैं-छोटे बच्चो में यह दोनों प्रयोग अवश्य आजमाने चाहिए
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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सफेद दाग

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सफेद दाग काफी लोगों के हाथों पर चेहरे पर पग पर आपने देखा होगा रस माणिक्य 2 ग्राम बाकुची चूर्ण 5 ग्राम मिलाकर पीसकर भर्ती बना लें इसे गोमूत्र में मिलाकर लगाइए लगाने से पहले गाय के गोबर से सफेद दाग को साफ कर ले बाद में यह लेप लगाएं 3 दिन में दाग पर फफोला उठ जाएगा दवा बंद कर दें फफोले पर मक्खन या खोपरे का तेल लगाते रहे दो बार में दाग सामान्य चमड़ी जैसा हो जाता है हरि ओम नमः शिवाय

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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
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गन्धर्व हरीतकी क्या है कैसे बनायें

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गन्धर्व हरीतकी क्या है कैसे बनायें
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हरीतकी (Haritaki) उत्तम टॉनिक होने के साथ-साथ रेचक भी है यह आपके पेट के सभी रोगों में रामबाण है ये आपके लिए कब्ज, पेट दर्द, आफरा, गैस, बदहजमी, लिवर की तकलीफे तथा पाइल्स में यह बेहतरीन औषधि साबित होती है आचार्य भावमिश्र जी अपने भावप्रकाश का आरंभ हरीतकी से करते है-

गन्धर्व हरीतकी (Gandharva Haritaki) क्या है कैसे बनायें-
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आयुर्वेद के ऋषियों ने लिखा है-

    यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरीतकी ।
    कदाचिद् कुप्यते माता, नोदरस्था हरीतकी ॥

भावार्थ-

जिन मनुष्यों के घर माँ नहीं है हरीतकी उनकी माँ समान हित करने वाली है माता तो कभी-कभी नाराज़ भी हो जाती है परन्तु खायी हुई हरड़ कभी भी अपकारी नहीं होती है-

जिसके घर मे माता नहीं है उसकी माता हरीतकी है कभी माता भी कुपित (गुस्सा) हो जाती है परंतु पेट मे गई हुई हरीतकी (हरड़) कुपित नहीं होती है आयुर्वेद के सबसे पुराने व प्रतिष्ठित ग्रंथ चरक संहिता मे महर्षि पुनर्वसु आत्रेय जो औषधि लिखी है उसमे सबसे पहली औषधि हरितकी लिखी है-

आज हम आपको शास्त्रोक्त आयुर्वेद का एक ऐसा ही योग बनाना सीखा रहे है जो कि एक मृदु विरेचन है और पेट के समस्त रोगों तथा अजीर्ण, फ़टी एडिया, मुँह के छाले, जोड़ो के दर्द, कमर दर्द, एड़ी के दर्द, पाइल्स, फिशर और मस्सों पर अधिक लाभदायक है-

इस योग की विशेषता यह है कि यह वात विकार को संतुलित करता है आयुर्वेद के हिसाब से बड़ी आंत वायु शथल है जब वायू कुपित होता है तब बड़ी आंत में ड्रायनेस बढ़ जाती है जिससे जोड़ो के दर्द तथा पाइल्स ओर फिशर फिस्टुला जैसी बीमारी होती है तब यह योग पेट की गंदगी निकालता है और आपके आंतो की सफाई भी करता है ये पेट की गर्मी निकालता है आंतो को अंदर से नरम और इलास्टिसिटी को भी बरकरार रखता है-

गन्धर्व हरीतकी (Gandharva Haritaki) बनाने की विधि-
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बाल हरड़ या छोटी हरड़- 200 ग्राम
एरंडी का तेल- 250 ग्राम

सबसे पहले आप एरंडी के तेल में 5-6 छोटी हरड़ डालकर तल लें चूँकि तले जाने पर हरड़ फूल कर दुगनी हो जाएगी तब इसे कड़ाही से निकाल लें और ऐसे ही सारी हरड़ तल लें तथा अब ठन्ड़ी होने पर मिक्सर में पीस ले अब आप साथ मे 15 ग्राम सेंधा नमक और 15 ग्राम पिपली चूर्ण मिलाए ये आपका गन्धर्व हरीतकी चूर्ण तैयार हो गया है-

कैसे सेवन करें-
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आप इसे रोज रातको सोने से पहले 1-1 चम्मच गर्म पानी से ले।

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 उदर सूल पेट अफारा गैष तेजाब अपचय मंद अग्नि दीपचं पाचन

🌹✍🏻   उदर सूल पेट अफारा गैष तेजाब अपचय मंद अग्नि दीपचं पाचन    ✍🏻🌹
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उदर सूल पेट अफारा गैष तेजाब अपचय मंद अग्नि दीपचं पाचन के लिए इस से उत्तम योग आप को कही नही मिलेगा 5 मिंट में ये अपना प्रभाव दिखा देता है
घटक
गोड तुम्बा 15 ग्राम
अजवायन 20 ग्राम
सॉफ     20
सनाय 20
आक की जड़ की छाल 20 ग्राम
आक के फूल 20
धनिया 20I
पीपल 20
सौंठ  20
पिली हरड़ 20
लौंग 20
दालचीनी 20
काली मिर्च 40
नोसादर 40
सेंधा नमक 40
काला नमक 40
आंवला 40
हिरा हींग अछे वाला 40 ग्राम
सब को कूट पीस कर पॉवडर बना ले 200 से 300 ग्राम भाग का तजा रस निकाल के इस में भावना दे जब भांग रस सुख जाइए तो इस पॉवडर की 2 घण्टे माम् जिस्टे कुटे फिर 400 ग्राम नीबू कर रस में रगड़ाई करे जब रगड़ाई करते करते सूखने लगे तो चने बराबर गोली बना ले और सूखा ले खाना खाने के बाद 1 गोली के सब खाना हजम मात्र 30 मिंट में  इतने कमाल की चीज है किसी भी ग्रन्थ में ये योग नही मिलेगा
जय आयुर्वेद
ये मेहनत खुद करे खुद बनाये पूरी डिटेल दे दी है किसी को बनाने में दिक्कत हो तो फोन से पूछ ले हम हेल्फ करने को तैयार है व बना हुआ भी उपलब्ध है
9466623519

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विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ

🌹✍🏻     विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ  ✍🏻🌹
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विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ
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प्रकृति में मिलनेवाली हर चीज औषधीय व पौष्टिक गुणों से भरपूर है धान्य, सब्जियां, फल तथा पुष्प उत्तम पोषण का स्त्रोत है यह हमारे शरीर को ना सिर्फ पोषण व बल देते है किंतु मन को भी सुकून तथा आराम प्रदान करते है ज़्यादातर अन्न के बाद सब्जियां तथा फलो का ही भोजन में ज्यादा समावेश प्रचलित है लेकिन अगर आप फूलो की पौष्टिकता तथा औषधीय गुणों को जानेंगे तो बिना चुके हुए इसका प्रतिदिन सेवन करना अवश्य चाहेंगे-

आज इस पोस्ट में हम आपको विविध फूलो से बनते हुए गुलकंद (Gulkand) के बारे में जानकारी देंगे जिसे आप आसानी से घर पर बना कर पूरे साल पुष्पों के औषधीय गुणों का लाभ ले सकेंगे जैसा की हमने गुलाब की लेखनमाला के अंतर्गत गुलकंद बनाने की विधि, गुलकंद के गुण तथा उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी है-

आयुर्वेदनुसार फूलो और शर्करा के योग से बनने वाले पाक को गुलकन्द (Gulkand) कहा जाता है यह एक आयुर्वेदिक अवलेह कल्पना है किसी भी औषधि पुष्प का गुलकंद बनाया जा सकता है लेकिन सिर्फ गुलाब का ही गुलकंद आमतौर पर प्रचलित है-

आयुर्वेदानुसार गुलकंद शीतल, मधुर, रेचक, मूत्रल, तृषा नाशक, पित्त शामक, दाह नाशक तथा मन को शांति तथा ताजगी देनेवाला माना गया है पित्त तथा गर्मी से होनेवाली तकलीफें पाचन संस्था के रोग, अशक्ति, जीर्ण ज्वर, अनिंद्रा, शरीर की आंतरिक गर्मी तथा अन्य रोगों में विविध औषधीय पुष्पों के गुलकंद (Gulkand) बेहद लाभदायी है-

विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद (Gulkand) तथा उसके लाभ-
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सनाय का गुलकंद (Gulkand) -
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पीले सुनहरे रंग के सनाये के फूल कटु, शीतल,  मल निसारक तथा आंखों के लिए हितकर है-सनाये के फूलों का गुलकंद खाने से मूत्र रोगों में फायदा होता है मूत्र की रुकावट, यूरीन इन्फेक्शन, मूत्र दाह जैसी तकलीफें तथा पाचन सम्बन्धी रोग कब्ज, आँतो की सूजन, बवासीर जैसे रोगो में बेहद गुणकारी है यह गुलकन्द त्वचा रोगों में भी बेहद असरकारक है प्रतिदिन इस गुलकन्द के सेवन से त्वचा का रंग निखरता है तथा दाज खाज खुजली कील मुहाँसे तथा फोड़े फुंसी भी दूर होते है-

नारियल के फूलों का गुलकन्द (Gulkand)-
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नारियल मधुर, शीतल, बलवर्धक है नारियल के ताजे फूल ले कर शास्त्रोक्त विधि से उसका गुलकन्द (Gulkand) सिद्ध करे यह गुलकन्द चंदन के पानी के साथ पीने से उबकाई, वमन, अतिसार, मुँह के छाले तथा तृषा रोग मिटते है यह गुलकन्द प्रतिदिन खाने से लूं लगने से होने वाली तकलीफें चककर, उल्टी तथा शारीरिक दुर्बलता मिटती है-

महुआ के फूलों का गुलकन्द (मोहाकन्द)-
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आयुर्वेद के मत अनुसार महुआ के फूल स्वाद में मधुर पचने में भारी, शीतल, पुष्टिदायक, बल तथा वीर्य वर्धक, वायु और पित्त नाशक तथा पौष्टिक है महुआ के फूल तथा शक्कर समान भाग ले कर मिला कर हाथों से अच्छी तरह मसल लें अब इस मिश्रण को कांच की बरणी में भर कर 40 दिन तक कड़ी धूप में रखे-40 दिन बाद मोहाकन्द सिद्ध हो जाएगा-

प्रतिदिन 1-1 चम्मच  मोहाकन्द सुबह शाम लेने से मूत्र दाह, पुयमेह, पेशाब में पस जाना, मंदज्वर, आंतरिक गरमी, अग्नी मान्ध, रक्क्त विकार तथा मूत्रावरोध जैसी समस्याएं मिटती है-

इमली के फूलों का गुलकन्द-
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इमली के फूल तथा शक्कर समान भाग ले कर शास्त्रोक्त विधि से गुलकन्द सिद्ध कर ले प्रतिदिन 1-1चमच्च सुबह शाम इस गुलकन्द का सेवन करने से अपचन, अरुचि, मुँह का कड़वापन, खट्टी डकारें, उबकाई तथा एसिडिटी जैसी तकलीफों में राहत मिलती है-

नीम के फूलों का गुलकन्द-
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नीम के गुणो से तो हम सभी परिचित है नीम के फूलों से बनने वाले गुलकन्द को नीमकन्द कहा जाता है-

नीम के पुष्प- 1 किलो
शक्कर- 1किलो
शहद- 100 ml

एक किलो नीम के फूलों में एक किलो शक्कर मिला कर उसमे 100 ml शहद मिला कर 40 दिन तक धूप में रख कर नीमकन्द सिद्ध कर ले-यह नीमकन्द आंखों की जलन, छाती की जलन, हाथ पैर के तलवों की जलन, बार बार मुह में छाले आ जाना, रक्त विकार, फोड़े फुंसी, त्वचा रोग जैसी समस्याओं में खूब लाभदायक है मधुमेह के रोगियों को यह नीमकंद शहद में बना कर सुबह शाम खूब चबा-चबा कर खाने से मधुमेह में लाभ मिलता है-

जुही के फूलों का गुलकन्द-
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जुही के फूल तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को जुहीकन्द भी कहा जाता है जूही शीतल, पित्त नाशक, नेत्र रोग निवारक तथा दन्त रोग नाशक गुणों से भरपूर है जुहीकन्द हाइपर एसिडिटी, पित्त सम्बन्धी समस्याएं, पित्त बढनेसे होनेवाले सिर कनपटी तथा आंखों के दर्द व सूजन में बेहद गुणकारी है-पेट के अल्सर में भी जूही कंद एक उत्तम औषधि है-

जपाकन्द या कुसुमकन्द-
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जपाकुसुम या गुड़हल के फूल की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बन ने वाले गुलकन्द को जपाकन्द या कुसुमकन्द कहा जाता है जपाकुसुम के फूल मलरोधक, केशवर्धक, पित्त शामक तथा शीतल होते है जपाकन्द खाने से बालो का असमय सफेद होना, बाल झड़ना, बालो का पतला होना जैसी समस्याऐ मिटती है-

1 कप दूध आधा चम्मच घी तथा 1 चम्मच कुसुमकन्द खाने से महिलाओं में ज्यादा महावारी होना, रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर तथा महावारी सम्बंधित अन्य समस्याओं में लाभ मिलता है-

एक बड़ा चमच्च कुसुमकन्द एक ग्लास शीतल जल में घोल कर पीने से ऊबकाई, वमन,तथा अम्लपित्त में त्वरित लाभ होता है-

कमल कंद-
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कमलपुष्प की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को कमलकन्द या पद्मकन्द कहा जाता है कमल शीतल, मधुर तथा बलवर्धक व मानसिक ताजगी दायक पुष्प है यह ना सिर्फ शरीर को स्वास्थ्य व सौंदर्य देता है बल्कि मन की थकावट दूर कर के मानसिक शांति तथा स्थिरता देता है-

कमलकन्द बनाने के लिए कमल की पंखुड़ियां, मुलहठी व शर्करा को मिला कर चालीस दिन धूप में रखा जाता है व कमलकन्द सिद्ध किया जाता है-

यह कमलकन्द मूत्र संसर्ग, किडनी विकार, गैस, अस्थमा जैसे जटिल रोगों पर तथा मानसिक अवसाद, बेचैनी, उन्माद, हिस्टीरिया, अनिंद्रा तथा घबराहट जैसी  मानसिक समस्याओं पर बेहद उपयोगी है-

एक-एक चम्मच कमलकन्द सुबह शाम खाने से रक्तविकार दूर हो कर त्वचा का रंग निखरता है तथा त्वचा चमकीली व मुलायम बनती है-

कददू के फूलों का गुलकन्द-
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कददू के फूल शर्करा तथा इलायची व दालचीनी के योग से बन ने वाले कल्प को कुष्माकन्द कहा जाता है कुष्माकन्द पित्त सम्बन्धी समस्याएं, हार्मोनल गड़बड़ियां, रक्तचाप सम्बन्धी समस्याएं तथा ह्रुदयरोग में बेहद हितकारी उत्तम औषध है-

सुबह खाली पेट 1-2 चमच्च कुष्माकन्द खाने से ह्रदय रोग, पाचन सम्बंधित समस्याएं तथा शारीरिक दाह जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है-

अमलताश के फूलों का गुलकन्द-
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अमलताश की फूलो की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को अमलकन्द भी कहा जाता है यह अमलकन्द पेट सम्बन्धित समस्त रोगों में बेहद कारगर औषधि है जीर्ण ज्वर में  चिरायता के क्वाथ के साथ दो चम्मच अमलकन्द लेने से ज्वर में बेहद फायदा होता है-

पुरानी कब्ज की समस्याओं में तथा कब्ज से उत्पन्न हुई बादी बवासीर में अमलकन्द बेहद हितकारी है।
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  तिल के पुष्प का गुलकंद बनाने की विधि व लाभ    

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तिल के पुष्प का गुलकंद बनाने की विधि व लाभ
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भारतीय भोजन शैली में तिल (Sesame) का एक विशिष्ट स्थान है तिल से विविध प्रकार की मिठाई त्योहारों में बनाई जाती हैं तथा तिल के तेल से कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं धार्मिक दृष्टि से भारतीय संस्कृति में भी तिल को पवित्र स्थान दिया गया है वही प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद ने तो तिल (Sesame) को वात रोगों की विशिष्ट औषधि माना है तथा तिल के तेल को सर्वोत्तम तेल का दर्जा दिया गया है-इस तरह तिल अपने गुणों व स्वाद के चलते हर भारतीय घर की रसोई में विराजमान है-

आज हम आपको तिल के फूलों (Sesame flower) के गुलकंद के बारे में बताएंगे यह गुलकंद (Gulkand) आदिवासी तथा देहाती इलाकों में आज भी कई वैध्य जनों द्वारा उपयोग में है यह गुलकंद बनाने में बेहद आसान है तथा निरापद होने के साथ-साथ चमत्कारिक रूप से असरदार भी हैं-

तिल के पुष्प (Sesame flower) का गुलकंद-
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सामग्री-
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तिल के पुष्प की पंखुड़ियां- 1 किलो
शक्कर- 1 किलो

विधि-
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कांच के बरनी में तिल के पुष्प की पंखुड़ियों को अच्छे से साफ करके तिल के पुष्प (Sesame flower) की एक परत जमा दे उसके ऊपर शक्कर डालकर शक्कर की एक परत जमा दे अब शक्कर की परत के ऊपर फिर तिल के पुष्प की पंखुड़ियों की एक परत  फैला दें इसी तरह शक्कर और पंखुड़ियां खत्म होने तक यह क्रम दोहराए-

इसके बाद कांच के बर्तन को अच्छे से बंद करके ऊपर कपड़ा लपेट के धूप में रख दें 21 दिन में सूर्य तापित गुलकंद (Gulkand) तैयार हो जाएगा-

मात्रा और अनुपान-
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सुबह शाम एक-एक चम्मच गुलकंद (Gulkand) खाए ऊपर से गर्म दूध पी सकते हैं-

लाभ व उपयोग-
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1- तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद कैल्शियम की कमी, हड्डियों की कमजोरी, हाथ पैरों में दर्द, घुटनों के दर्द, कमर दर्द (Back ache) जैसी समस्याओं में उत्तम गुणकारी व स्वादिष्ट औषध है-

2- अगर नियमित रूप से इसका सेवन किया जाए तो बाजारु हेल्थ ड्रिंक प्रोटीन या कैल्शियम बढ़ाने वाली गोली या ड्रिंक पीने की जरूरत नहीं पड़ेगी-

3- आयुर्वेद के मुताबिक़ बालों का संम्बध भी हड्डियों से हैं इसीलिए तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद बालों का झड़ना (Hair fall), बालों का उड़ना (Baldness) या गंजापन, बालों का कम बढ़ना जैसी बालों संबन्धित समस्याओं में भी बेहद उपयोगी है इससे बाल घने व मजबूत बनते हैं-

4- बच्चों को नियमित रुप से अगर तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद सेवन करवाया जाए तो बच्चों की हड्डियां (Bones) मजबूत बनती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा याददाश्त (Memory) भी तेज रहती है-

5- तिल के पुष्पों का गुलकंद बच्चों को योग्य पोषण देने के साथ-साथ ही बच्चों की लंबाई (Height increment) बढ़ाने में भी सहायक है-

6- सूर्य तापित विधि से बना होने की वजह से तिल के पुष्पों (Sesame flower) का गुलकंद विटामिन डी से प्रचुर है आयुर्वेद में तिल को हड्डियों का उत्तम औषध माना गया है-

नोट-
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कई वैध जन इसमें शलगम भी कद्दूकस करके डालते हैं जिससे इसके रंग व पौष्टिकता में वृध्धि होती हैं तथा बच्चे इसे आसानी से खा लेते हैं-

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अल्सर

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अल्सर होने पर घरेलू प्रयोग अपनायें-
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अल्‍सर(Ulcer)होने पर छाती के पास दर्द होता है अगर दर्द छाती के पास हो तो इसे एसिडिटी रिफ्लेक्शन का असर समझना चाहिए इससे दिल के दर्द का शक होता है लेकिन दिल का दर्द छाती के ऊपरी हिस्से में होता है और कभी-कभी एसिडिटी की वजह से भी उसी जगह दर्द होता है इसलिए इन दोनों स्थिति के बीच में बिना जांच के अंतर समझ पाना आसान नहीं है-


अल्‍सर के मरीजों का वजन बहुत तेजी से घटने लगता है अल्‍सर(Ulcer)होने पर मरीज खाने के प्रति उदासीन हो जाता है जिसके कारण वजन कम होता है और खाना भी अच्‍छे से नही पच पाता जो वजन घटने का कारण है खासकर पेप्टिक अल्‍सर होने पर बिलकुल भूख नही लगती है सामने खाना होने पर भी खाने की इच्छा नहीं होती है-

उल्टी होना या उलटी जैसा महसूस होना अल्‍सर(Ulcer)का लक्षण माना जा सकता है ऐसी स्थिति में अक्‍सर मरीज को लगता है कि उलटी होने वाली है लेकिन जब अल्‍सर बढ़ जाता है तो हालत और भी खराब हो सकती है अल्‍सर बढ़ने पर तो खून की उलटी हो सकती है ऐसे में स्टूल(मल)का रंग काला हो जाता है-

चूँकि शरीर में विजातीय द्रव्यों(विष)का बढ़ना भी इस रोग का कारण है अतः मात्र आमाशय के घाव को निरोग करना इसका स्थायी निवारण नहीं क्योंकि शरीर की दूषित अवस्था में एक स्थान का घाव अच्छा होने पर उसकी दूसरे स्थान पर पुनः उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है अतः आहार चिकित्सा के साथ-साथ शरीर का शोधन करना अति आवश्यक है रोगी को कम-से-कम तीन सप्ताह तक प्राकृतिक उपचार एवं प्राकृतिक नियमों का पालन करना चाहिए रोगी को अल्सर की चिकित्सा में प्रतिदिन पेट की लपेट का प्रयोग करना चाहिए-

पेट की लपेट की विधि-

पेट की लपेट के लिए महीन सूती कपडा लगभग एक फिट चौड़ा एवं लम्बा इतना कि पेट पर तीन-चार लपेटे लग जाएँ इस कपडे कि पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें तत्पश्चात इसे पेडू से नाभि के ऊपर तक रखकर लपेट लें इस गीली पट्टी के ऊपर कोई गर्म कपडा जैसे शाल या चादर इस तरह लपेटें कि नीचे वाली गीली पट्टी पूरी तरह से ढक जाय इसके अतिरिक्त निम्नलिखित क्रम से चिकित्सा करनी चाहिए-

अल्‍सर(Ulcer)के लिए घरेलू उपाय-

1- अल्‍सर(Ulcer)के लिए पोहा बहुत फायदेमंद घरेलू नुस्खा है इसे बिटन राइस भी कहते हैं आप पोहा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लीजिए 20 ग्राम चूर्ण को 2 लीटर पानी में सुबह घोलकर रखिए तथा इसे रात तक पूरा पी जाएं यह घोल नियमित रूप से सुबह तैयार करके दोपहर बाद या शाम से पीना शुरू कर दें इस घोल को 24 घंटे में समाप्त कर देना है इससे आपको अल्सर में आराम मिलेगा-

2- सहजन(Drumstick)के पत्ते को पीसकर दही के साथ पेस्ट बनाकर लें और इस पेस्ट का सेवन दिन में एक बार करने से अल्सर में फायदा होता है-

3- अल्सर के रोगी को ऐसा आहार देना चाहिये जिससे पित्त न बने, कब्ज और अजीर्ण न होने पाये इसके अलावा अल्‍सर के रोगी को अत्यधिक रेशेदार ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिससे अल्‍सर को जल्‍दी ठीक किया जा सके-

4- पेप्टिक अल्सर के उपचार के लिए बकरी का दूध बहुत प्रभावी है यह छालों को भरने के लिए कारगर है इसे कच्चा लेने से भी अल्सर के रोगी को बेहतर नतीजे मिलते हैं एक गिलास ता़ज़ा और कच्चा दूध दिन में तीन बार लें-

5- बेलफल का गूदा अल्‍सर(Ulcer)में बहुत राहत पहुँचाता है इसका शरबत बनाकर भी पी सकते हैं यह फल लिसलिसा होता है और इसकी प्रकृति भी ठंडी होती है यह आपके पेट की अंदरुनी सतह पर सुरक्षा कवच की तरह काम करता है-

6- मेथीदाने को पानी में उबालकर पीने से पेप्टिक अल्सर में राहत मिलती है मेथीदाने को पानी में उबालने पर यह हल्के से लिसलिसे हो जाते हैं यह लैस पेट में पहुँचकर छालों पर जमकर सुरक्षाकवच के रुप में काम करता है जिससे मरीज़ को राहत मिलती है-

7- पेप्टिक अल्सर के लिए केला सबसे प्रभावी उपायों में से है केले में एसिडिटी कम करने वाला एक पदार्थ होता है जिसे विटामिन-यू कहा जाता है इसके प्रभाव से अल्सर से होने वाली जलन कम होती है पेप्टिक अल्सर से गंभीर रुप से प्रभावित रोगियों को एक गिलास दूध और दो केले दिनभर में तीन-चार बार लेना चाहिए इसके अलावा और कुछ नहीं खाना चाहिए-

8- पत्ता गोभी और गाजर को बराबर मात्रा में लेकर जूस बना लीजिए इस जूस को सुबह-शाम एक-एक कप पीने से पेप्टिक अल्सर के मरीजों को आराम मिलता है-

9- छाछ की पतली कढ़ी बनाकर रोगी को रोजाना देना चाहिये तथा अल्सर में मक्की की रोटी और कढ़ी खानी चाहिए-

10- दूध पीने से भी गैस्ट्रिक एसिड बनाता है लेकिन अगर आप आधा कप ठंडे दूध में आधा नीबू निचोड़कर पियें तो वह पेट को आराम देता है और जलन का असर कम होता है अल्सर ठीक होता है

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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
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