🌺🙏🏻🌺 *सामान्य पानी से रोगोपचार !!* 🌺🙏🏻🌺
प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सक पानी के द्वारा जिन महारोगों सहित अनेक हठी व व्यापक प्रसार वाले रोगों की आसान चिकित्सा का हवाला देते दिखते हैं उनमें मुख्य हैं :-
लकवा, बेहोशी, ब्लड कोलेस्ट्रॉल, आधे सिर का व सामान्य किन्तु हठी सिरदर्द, रक्तचार (ब्लड-प्रेशर), बलगम, खांसी, दमा, टी.बी., एसिडिटी, लिवर व पेशाब की बीमारियाँ, कब्ज, डायबिटीज, बवासीर, आँखों की बीमारियां, नाक व गले की बीमारियां और बच्चेदानी के कैंसर तक पर भी सिर्फ पानी के निम्न तरीके से नियमित सेवन करते रहने पर आसानी से काबू पाया जा सकता है !!
इन बीमारियों से दूर रहने और यदि हों तो उनका उपचार करने के लिये पानी पीने का प्रचलित तरीका यह है कि प्रातः नींद से उठते ही बिना मुँह धोएं अथवा कुल्ला करे बगैर ही 1250 मि. ली. (लगभग 4 गिलास) पानी नित्य पालथी लगाकर बैठने की मुद्रा में पीने की आदत बनालें और इसके बाद अगले 45 मिनीट बाद ही कुछ भी चाय-दूध या कॉफी का सेवन जो भी आपकी आदत या दिनचर्या में हो वह करें !!
यदि प्रारम्भ में आपको 4 गिलास पानी पीने में कठिनाई लगे तो दो-गिलास प्रतिदिन पीने की आदत से इस क्रम की शुरुआत करें और इसे 4 गिलास की मात्रा पर लाने तक अपना प्रयास जारी रखें ! पुराने जानकार लोग इसे उषापान के नाम से जानते हैं !!
इसके चिकित्सकों की राय में इस उषापान के नियमित प्रयोग से -
कब्ज (2 दिन), गैस व अपच (2 दिन),
डायबिटीज (शुगर) (8 से 10 दिन), हाई ब्लड प्रेशर (1 महिना),
कैंसर (1 से 2 महिना) और टी.बी. (3 महिने)
की समयावधि में ये रोग न सिर्फ पूरी तरह से नियंत्रण में आ सकते हैं बल्कि कई रोगियों में जड से समाप्त होते भी देखे जा सकते हैं !!
नित्य प्रातः 4 बडे गिलास पानी एक साथ पीने से हमारे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता । पेट भरपूर भर जाने का आभास अवश्य होता है जो अगले 45 मिनिट बाद फिर सामान्य भूख के जागरण जैसा हो जाता है !!
शुरुआती 2-3 दिनों तक आपको पेशाब ज्यादा आने की अनुभूति हो सकती है जो इस अवधि के बाद उसके सामान्य क्रम में आ जाती है !!
अतः बिना पैसे के इस इलाज के द्वारा अपने शरीर को अनावश्यक रोगों व डॉक्टरों व दवाखानों के चक्करों से बचाये रखने के लिये इस उषापान को अपनी आदत में शुमार करें और स्वस्थ व प्रसन्न जीवन जिएँ !!
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