शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

रोजगार प्राप्ति साधना.(नौकरी)

रोजगार प्राप्ति साधना.(नौकरी)
जब बात पूर्णता की हो रही हो तो उसका अर्थ जीवन के दोनों पक्षों से होता है. अध्यात्मिक क्षेत्र में जहा हम विविध साधनाओ का अभ्यास करते हुए गुरु चरणों में लिन हो जाए उस तरह जीवन में
यह भी जरूरू है की भौतिक पक्ष भी मजबूत हो. हमें मान सन्मान यश कीर्ति ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सके. भौतिक जीवन में सफलता के बिना आध्यात्मिक पक्ष में सम्पूर्णता को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील होने पर अत्यधिक संघर्षो का
सामना करना पड़ता है, वरन उत्तम तो ये है की हम गृहस्थ और आध्यात्म दोनों को साथ में लेके अपनी मंजिल की तरफ आगे बढे. साधनाओ के अंतर्गत सभी प्रकार की गृहस्थ समस्याओ के निराकरण के लिए
उपाय है, इसका सीधा अर्थ यही बनता है की साधना मार्ग सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति के लिए नहीं है लेकिन भौतिक पक्ष में भी पूर्ण सफलता प्राप्त करने के लिए साधनाओ का सहारा लिया जा सकता है. आज के इस युग में जहाँ एक तरफ द्रव्य
का ही बोलबाला है, जीवन के लिए एक उत्तम आय का स्त्रोत होना अत्यधिक जरुरी हो चूका है. लेकिन कई बार यु होता है की व्यक्ति विशेष को अपनी काबिलियत होने पर भी अपने कार्य क्षेत्र में योग्य पद या काम नहीं मिल पता है. या फिर काम
मिलने पर भी कई प्रकार की बाधाए अडचने आने लगती है. कई बार योग्य जगह काम मिलने पर भी वेतन की समस्या होती है. कई लोगो की, खास कर
के वह विद्यार्थी जो की अपनी पहली नौकरी की तलाश में हो उन्हें भी यह चिंता बराबर बनी रहती है की उन्हें यथायोग्य काम मिले जो की भविष्य में उनकी प्रगति के लिए एक आधार स्तंभ बने.
साबर साधनाओ में एसी कई साधनाए प्राप्त होती है जो की इस प्रकार के उद्देश्य में पूर्णता प्राप्त करने के लिए साधको का मार्ग प्रसस्त करती है. आगे की पंक्ति में भी एक एसी ही अद्भुत साधना दी जा रही है. इस साधना को करने पर साधक को योग्य
काम मिलने में जोभी अडचने हो दूर हो जाती है, योग्य मनोकुलित व् प्रगति वर्धक स्थान पर नौकरी मिलती है. अगर किसीको अपनी नौकरी में किसी प्रकार की समस्या भी हो तो भी यह साधना से
वह दूर होती है. संस्क्षेप्त में कहा जाए तो यह साधना काम व् नौकरी की हर समस्याओ को दूर करने क लिए ही बनी है.
इस साधना को साधक सोमवार शुरू करे,
समय रात्रि के 10 बजे बाद का रहे, दिशा उत्तर रहे. रात्रि में स्नान करने के बाद सफ़ेद वस्त्र को धारण करे. इसके बाद अपने पूजा स्थान में बैठ कर के गुरु पूजन
सम्प्पन करे (जीवन मे अब तक गुरू ना हो तो "ओम नम शिवाय" का जाप करके मानसिक गुरूपुजन करे) और सफलता प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे. उसके बाद निम्न मंत्र का 3 माला जाप करे,जिसमे 50-60 मिनिट का समय लगेगा,साधना हेतु माला रुद्राक्ष या सफेद हकिक की ले सकते है .इस आर्टिकल मे और बाकी लोगो के आर्टिकल मे आपको फर्क देखने मिलेगा और जो विधान मैने समझाया है इससे 100% आपको सफलता मिल सकती है जब के अन्य लोगो के विधान से सफलता का परिणाम कम मिलेगा.

मंत्र:-
ll ओम सोमावती भगवती बरगत देहि उत्तीर्ण सर्व बाधा स्तम्भय रोशीणी इच्छा पूर्ति कुरु कुरु कुरु सर्व वश्यं कुरु कुरु कुरु हूं तोशिणी नमः ll

यह जाप रुद्राक्ष/सफ़ेद हकीक माला से हो और उस माला को मंत्र जाप के बाद धारण कर ले. यह क्रम पुरे 21 दिन तक रहे. इस साधना में रात्रि में भोजन करने से पहले थोडा खाध्य पदार्थ गाय को खिलाना चाहिए. ऐसा करने के बाद ही भोजन करे.
अगर यह संभव न हो तो रात्रि में भोजन न करे. इस साधना पूरी होने पर माला को विसर्जित नहीं करना चाहिए तथा गले में धारण करे रखना चाहिए. यह साधना का करिश्मा है की यह साधना करने पर कुछ ही दिनों में यथायोग्य परिणाम प्राप्त होने
लगते है.

रोजगार एवं धन प्राप्ति.

रोजगार एवं धन प्राप्ति.
रोजगार के प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में सफलता पाना उत्तरोत्तर कठिन होता जा रहा है। विद्या और पुरूषार्थ के होते हुए भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे में यहां दिए गये कुछ सरल उपायों, टोटकों और मंत्रों से सफलता मिलने की संभावना बन सकती है।
यदि बेरोजगारी का घटाटोप हो रहा हो तो रोजगार का प्रकाश पाने के लिए इन टोटकों को कर के देखें।
सात्त्विक टोटका : तीन सौ ग्राम काले उड़द का आटा लेकर, बिना छाने इसको गूंथकर खमीर उठा लें। तत्पश्चात् इसकी एक-एक रोटी तैयार करके मामूली-सी आंच पर सेंक लें, ताकि इसकी आसानी से गोलियां बन सकें। इस रोटी में से एक चौथाई भाग तोड़कर काले रंग के कपड़े में बांध लें, शेष पौन रोटी की 101 छोटी-छोटी गोलियां बनाकर, किसी ऐसे जलाशय के पास जायें, जिसमें मछलियां हों। जलाशय में एक-एक कर सारी गोलियां मछलियों को खिला दें। अब कपड़े में बंधी रोटी को मछलियों को दिखाते हुए एक साथ पानी में प्रवाहित कर दें। इस प्रकार 40 दिनों तक नियमित रूप से यह क्रिया करें। इससे बेरोजगारी अवश्य दूर होगी तथा कोई नौकरी, व्यापार अथवा उदर-पूर्ति के लिए कुछ न कुछ व्यवस्था जरूर हो जायेगी।
दूसरा टोटका : बृहस्पतिवार (जुमेरात) को एक नर कौए को पकड़कर कर ले आयें, पिंजरे में बंद कर दें। खाने के लिए दाना-पानी दें। रविवार की सुबह उसे दही में चीनी मिलाकर खिलाएं और दोपहर को चावलों के भात में दूध व दही मिलाकर खाने को दें। इसके बाद सोमवार के दिन, जहां से काम हासिल करने का खयाल हो, वहां जायें। उस जगह के मुखय दरवाजे में दाखिल होते वक्त दायें पांव को पहले रखें। इस तरह से वहां पहुंचने के साथ ही आपको काम मिल जायेगा।
इंटरव्यू (साक्षत्कार) में सफलता प्राप्त करने की साधना :
सामग्री : स्फटिक मणिमाला (108 मनकों की)
माला : उपर्युक्त
समय : दिन का कोई भी समय
आसन : सफेद आसन
दिशा : पूर्व दिशा, इक्कीस बार प्रतिदिन
अवधि : ग्यारह दिन
मंत्र :-
।।ॐ ह्रीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्यसिद्धि करि करि फट् स्वाहा ।।
प्रयोग : यह प्रयोग स्फटिक मणिमाला पर किया जाता है। सामने पीला वस्त्र बिछाकर उस पर 108 मनकों की मंत्र सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठा युक्त स्फटिक मणिमाला रख दें और केसर से उसका पूजन करें। सामने अगरबत्ती या दीपक जला दें। यह दीपक शुद्ध घृत का हो। फिर उपर्युक्त मंत्र का इक्कीस बार उच्चारण करें। इस प्रकार 11 दिन तक करने से वह माला 'विजय माला' में परिवर्तित हो जाती है। जब किसी इंटरव्यू या साक्षात्कार में जायें तो उस माला को बुशर्ट अथवा कुर्ते के नीचे पहनकर जायें, ऐसा करने पर साक्षात्कार में अवश्य ही सफलता प्राप्त होती है।

नौकरी प्राप्त करने का सुलेमानी मंत्र :-
सामग्री : जलपात्र, तेल का दीपक, लोवान, धूप आदि।
माला : मूंगे की माला
समय : दिन का कोई भी समय
आसन : किसी भी प्रकार का आसन
दिशा : पूर्व दिशा
जप संखया : नित्य ग्यारह सौ
अवधि : चालीस दिन
मंत्र :-
।। या मुहम्मद दीन हजराफील भहक अल्लाह हो।।
यह मुसलमानी प्रयोग है तथा किसी भी शुक्रवार को प्रारंभ किया जा सकता है। प्रातः उठकर बिना किसी से बातचीत किये सवा पाव उड़द के आटे की रोटी बनायें और उसे आंच पर अपने हाथों से सेकें इसके बाद रुमाल पर रोटी के चार टुकड़े करके रख दें। उसमें से एक टुकड़े को नदी या तालाब में ले जाकर डाल दें, जिससे कि मछलियां उनको खा जायें। शेष रोटी के जो तीन भाग बचेंगे, उनमें से एक भाग कुत्ते को खिला दें, दूसरा भाग कौवे को खिला दें और तीसरा भाग रास्ते में फेंक दें। इस प्रकार चालीस दिन नित्य प्रयोग करें, तो मनोवांछित नौकरी या रोजी प्राप्त होती है और आगे जीवन में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती है।

कुछ शक्तिशाली टोटके :-
दान करने से धन घटता नहीं, बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना ईश्वर हमें दे देता है।
आयुर्वेद में वर्णित 'त्रिफला' का एक अंग 'बहेड़ा' सहज सुलभ फल है। इसका पेड़ बहुत बड़ा, महुआ के पेड़ जैसा होता है। रवि-पुष्य के दिन इसकी जड़ और पत्ते लाकर पूजा करें, तत्पश्चात् इन्हें लाल वस्त्र में बांधकर भंडार, तिजोरी या बक्से में रख दें। यह टोटका भी बहुत समृद्धिशाली है।
पुष्य-नक्षत्र के दिन शंखपुष्पी की जड़ घर लाकर, इसे देव-प्रतिमाओं की भांति पूजें और तदंतर चांदी की डिब्बी में प्रतिष्ठित करके, उस डिब्बी को धन की पेटी, भंडार घर अथवा बक्स व तिजोरी में रख दें। यह टोटका लक्ष्मीजी की कृपा कराने में अत्यंत समर्थ प्रमाणित होता है।
धन प्राप्ति के लिए दस नमस्कार मंत्र :-
इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात्रि को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका स्तवन करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी।
ऊँ धनाय नमः, ऊँ धनाय नमो नमः, ऊँ लक्ष्मी नमः, ऊँ लक्ष्मी नमो नमः, ऊँ लक्ष्मी नारायण नमः, ऊँ नारायण नमो नमः, ऊँ नारायण नमो नमः, ऊँ नारायण नमः, ऊँ प्राप्ताय नमः, ऊँ प्राप्ताय नमो नमः, ऊँ लक्ष्मी नारायण नमो नमः
।। ॐ नमो आदेश गुरुजी को,काली कंकाली महाकाली मुख सुंदर जिये व्याली चार बीर भैरों चौरासी शत तो पूजूं मानये मिठाई अब बोलो काली की दुहाई,सत नमो आदेश ।।
इस मंत्र की सिद्धि करने के बाद मंत्र का प्रयोग किया जाये तो नौकरी अथवा व्यापार की व्यवस्था हो जाएगी। उसमें आने वाले विघ्न दूर हो जायेंगे। धूप-दीप आदि से पूजन करके प्रातः, दोपहर और सांयकाल तीनों संध्याओं में एक-एक माला मंत्र जप करें।

।।ॐ  नमः भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्वकार्य वरदायिनी मम विकट संकटहारिणी मम मनोरथ पूरणी मम शोक विनाशिनी नमः पद्मावत्यै नमः।।
इस् मंत्र का रोज 21 माला जाप करने से भी रोजगार प्राप्त होता है।

धन प्राप्ति हेतु तांत्रिक मंत्र :-
यह मंत्र महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का जप अर्द्धरात्रि को किया जाता है। यह साधना 22 दिन की है और नित्य एक माला जप होना चाहिए। यदि शनिवार या रविवार से इस प्रयोग को प्रारंभ किया जाये तो उचित रहता है। इसमें व्यक्ति को लाल वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा में प्रयुक्त सभी सामान को रंग लेना चाहिए।
दीपावली के दिन भी इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है और कहते हैं कि यदि दीपावली की रात्रि को इस मंत्र की 21 माला जप करें तो उसके व्यापार में उन्नति एवं आर्थिक सफलता प्राप्त होती है।
जब अनुष्ठान पूरा हो जाये तो साधक को चाहिए कि वह नित्य इसकी एक माला फेरे। ऐसा करने पर उसके आगे के जीवन में में निरंतर उन्नति होती रहती है।
।।ॐ  नमो पदमावती पद्मालये लक्ष्मीदायिनी वांछाभूत प्रेत विन्ध्य वासिनी सर्व शत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी ऋद्धि-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा। ॐ क्लीं श्रीं पद्मावत्यै नमः।।

धन प्राप्ति के लिए टोटके-
जीवन में आर्थिक समस्याओं के निदान हेतु तथा लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से प्रयोग किये जाने वाले टोटकों में कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके इस प्रकार हैं-
दालचीनी के पाउडर को लेकर उस पर से सात बार अगरबत्ती को एन्टी क्लाॅक वाइज घूमा कर उमसें अपनी कल्पना से ईश्वर की प्रार्थना से धन की बरकत के बारे में सोचें और फिर उसे अपने पर्स में छिड़क लें। बची हुई दालचीनी पाउडर को घर के मंदिर में ही रख दें और हर दूसरे तीसरे दिन यही क्रिया दोहरायें। आपका पर्स ईश्वर की कृपा से भरा रहेगा।
एक साबुत दालचीनी का रोल ले लें। उसके अंदर कोई भी एक नोट रोल करके डाल दें तथा उसके ऊपर से 3 बार मौली लपेटकर गांठ लगा दें तथा ईश्वर से प्रार्थना करें कि आपके कार्यालय या घर में धन की कमी न रहे। ऐसा करने के बाद उसे कार्यालय या घर के बाहर लटका दें। इसे पर्स या धन स्थान में भी रख सकते हैं। ये टोटका आपको गुरुवार को करना है।
साबुत सूखा धनिया शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार अथवा गुरुवार को एक मिट्टी के बर्तन में इक्कीस रुपये के सिक्के डालकर ऊपर से मिट्टी डालें फिर धनिया डालकर हल्के हाथ से मिक्स कर दें और थोड़ा सा पानी डाल दें। ऐसा करने के बाद बर्तन को उत्तर दिशा में रख दें और रोज थोड़ा पानी डालें। जब धनिया उसमें से पूरी तरह निकल आये तब उसे तोड़कर उपयोग में ले आएं तथा सिक्के निकाल कर लाल कपड़े में बांधकर घर या कार्यालय कहीं भी लटका दें। धन का आगमन शुरू हो जाएगा।
किसी भी शुक्रवार को मां लक्ष्मी के मंदिर में झाड़ू दान करने से भी मां लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
किसी भी शुभ दिन शुभ मुहूर्त या शुक्रवार को अशोक की जड़ को लाकर गंगाजल से पवित्र करें तत्पश्चात उसे धन स्थान में रखें।
ये कुछ लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए सरल व सुगम हैं तथा जीवन में सुख समृद्धि ला सकते हैं। इन लक्ष्मी प्राप्ति के टोटकों के द्वारा हम अपनी तथा दूसरों की मुश्किलों को आसान कर सकते हैं

आशा करता हु आप सभी अपनी इच्छाशक्ति नुसार साधना करे और सफलता प्राप्त करे।

विषेश टोटके,भाग

विषेश टोटके,भाग-1.
1. मोहन तंत्र प्रयोग:

जिस कर्म के द्वारा किसी स्त्री या पुरुष को अपने प्रति मुग्ध करने का भाव निहित हो, वो ‘मोहनकर्म’ कहलाता है। मोहन अथवा सम्मोहन यह दोनों प्रायः एक ही भाव को प्रदर्शित करते हैं। मोह को ममत्व, प्रेम, अनुराग, स्नेह, माया और सामीप्य प्राप्त करने की लालसा का कृत्य माना गया है। मोहन कर्म की यही सब प्रतिक्रियाएं होती हैं। निष्ठुर, विरोधी, विरक्त, प्रतिद्वंदी अथवा अन्य किसी को भी अपने अनुकूल, प्रणयी और स्नेही बनाने के लिए मोहन कर्म का प्रयोग किया जाता है। मोहन कर्म के प्रयोगों को सिद्ध करने के लिए पहले निम्नलिखित मंत्र का दस हजार जप करना चाहिए।
।।ॐ  नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यश्च मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा ।।
प्रयोग से पूर्व प्रत्येक तंत्र को पहले उपर्युक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर लेना चाहिए। मोहन कर्म के प्रयोग निम्नलिखित है:-
1. तुलसी के सूखे हुए बीज के चूर्ण को सहदेवी के रस में पीसकर ललाट पर तिलक के रूप में लगाएं।
2. असगंध और हरताल को केले के विविध तंत्र प्रयोग रस में अच्छी तरह से पीसकर उसमें गोरोचन मिलाएं तथा मस्तक पर तिलक लगाएं तो देखने वाले मोहित हो जायेंगे।
3. वच, कूट, चंदन और काकड़ सिंगी का चूर्ण बनाकर अपने शरीर तथा वस्त्रों पर धूप देने अथवा इसी चूर्ण का मस्तक पर तिलक लगाने से मनुष्य, पशु, पक्षी जो भी देखेगा मोहित हो जाएगा। इसी प्रकार पान की मूल को घिसकर मस्तक पर उसका तिलक करने से भी देखने वाले मोहित होते हैं।
4. केसर, सिंदूर और गोरोचन इन तीनों को आंवले के रस में पीसकर तिलक करने से लोग मोहित होते हैं।
5. श्वेत वच और सिंदूर पान के रस में पीसकर एवं तिलक लगाकर जिसके भी सामने जाएंगे वो मोहित हो जाएगा।
6. अपामार्ग (जिसे औंगा, मांगरा या लाजा भी कहते हैं) धान की खील और सहदेवी - इन सबको पीसकर उसका तिलक करने से व्यक्ति किसी को भी मोहित कर सकता है।
7. श्वेत दूर्वा और हरताल को पीसकर तिलक करने से मनुष्य तीनों लोकों को मोहित कर लेता है।
8. कपूर और मैनसिल को केले के रस में पीसकर तिलक करने से अभीष्ट स्त्री-पुरुष को मोहित कर सकता है।
9. तंत्र साधक गूलर के पुष्प से कपास के साथ बत्ती बनाए और उसको नवनीत से जलाए। जलती हुई बत्ती की ज्वाला से काजल पारे तथा उस काजल को रात्रिकाल में अपनी आंखों में आंज ले। इस काजल के प्रभाव से वो सारे जगत् को मोहित कर लेता है। ऐसा सिद्ध किया हुआ काजल कभी किसी को नहीं देना चाहिए।
10. श्वेत धुंधली के रस में ब्रह्मदंडी की मूल को पीसने के बाद शरीर पर लेप करने से सारा संसार मोहित हो जाता है।
11. बिल्व पत्रों को लाने के बाद उन्हें छाया में सुखा लें। फिर उन्हें पीसकर कपिला गाय के दूध में मिलाकर गोली बना लें। उस गोली को घिसकर तिलक करने से देखने वाला तन, मन और धन से मोहित हो जाएगा।
12. श्वेत मदार की मूल और श्वेत चंदन-इन दोनों को पीसकर उसका शरीर पर लेप करें। इस क्रिया से किसी को भी सहज ही मोहित किया जा सकता है।
13. श्वेत सरसों को विजय (भांग) की पत्ती के साथ पीसकर मस्तक पर लेप करें। अब जिसके सामने भी जाएंगे वो मोहित हो जाएगा।
14. तुलसी के पत्तों को लाकर उन्हें छाया में सुखा लें। फिर उनमें विजया यानी भांग के बीज तथा असगंध को मिलाकर कपिला गाय के दूध में पीस लें। तत्पश्चात उसकी चार-चार माशे की गोलियां बनाकर प्रातः उठकर खाएं। इससे सारा जगत मोहित हुआ प्रतीत होता है।
15. कड़वी तुंबी के बीजों के तेल में कपड़े की बत्ती बनाकर जलाएं और उससे काजल पार कर आंखों में अंजन की भांति लगाएं। अब जिसकी तरफ भी दृष्टि उठाकर देखेगें, वो मोहित हो जाएगा।
16. अनार के पंचांग को पीसकर उसमें श्वेत धुंधली मिलाकर मस्तक पर तिलक लगाएं। इस तिलक के प्रभाव से कोई भी मोहित हो सकता है।

2. स्तंभन तंत्र प्रयोग:

स्तंभन क्रिया का सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। बुद्धि को जड़, निष्क्रय एवं हत्प्रभ करके व्यक्ति को विवेक शून्य, वैचारिक रूप से पंगु बनाकर उसके क्रिया-कलाप को रोक देना स्तंभन कर्म की प्रमुख प्रतिक्रिया है। इसका प्रभाव मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर पर भी पड़ता है। स्तंभन के कुछ अन्य प्रयोग भी होते हैं। जैसे-जल स्तंभन, अग्नि स्तंभन, वायु स्तंभन, प्रहार स्तंभन, अस्त्र स्तंभन, गति स्तंभन, वाक् स्तंभन और क्रिया स्तंभन आदि। त्रेतायुग के महान् पराक्रमी और अजेय-योद्धा हनुमानजी इन सभी क्रियाओं के ज्ञाता थे। तंत्र शास्त्रियों का मत है कि स्तंभन क्रिया से वायु के प्रचंड वेग को भी स्थिर किया जा सकता है। शत्रु, अग्नि, आंधी व तूफान आदि को इससे निष्क्रिय बनाया जा सकता है। इस क्रिया का कभी दुरूपयोग नहीं करना चाहिए तथा समाज हितार्थ उपयोग में लेना चाहिए। अग्नि स्तंभन का मंत्र निम्न है।

।। ॐ नमो अग्निरुपाय मम् शरीरे स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा ।।
इस मंत्र के दस हजार जप करने से सिद्धि होती है तथा एक सौ आठ जप करने से प्रयोग सिद्ध होता है। स्तंभन से संबंधित कुछ प्रयोग निम्नलिखित है:
1. घी व ग्वार के रस में आक के ताजा दूध को मिलाकर, शरीर पर उसका लेप करने से भी अग्नि स्तंभन होता है।
2. केले के रस में घृतकुमारी व ज्वारपाठा के रस को मिलाकर शरीर पर लेप करने से शरीर अग्नि में घिरा होने पर भी नहीं जलता है।
3. पीपल, मिर्च और सौंठ को कई बार चबाकर निगल लें। इसके पश्चात् मुंह में जलता हुआ अंगारा भी रखें, तब भी मुंह नहीं जलेगा।
4. चीनी के साथ गाय के घृत को पीकर अदरक के टुकड़े को मुंह में डालकर चबाएं फिर तपे हुए लोहे के टुकड़े को मुंह में रखे तो वह भी बर्फ की भांति ठंडा प्रतीत होगा।
5. ।। ॐ नमो दिगंबराय अमुकस्य स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा।।
अयुत जपात् मंत्रः सिद्धो भवति। अष्टोत्तर शत जपात् प्रयोगः सिद्धो भवति। उपर्युक्त मंत्र का दस हजार जप करने से मंत्र सिद्ध होता है और आवश्यकता होने पर एक सौ आठ बार जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्र - ‘अमुकस्य’ के स्थान पर जिसके आसन पर स्तंभन करना हो उसका नाम लेना चाहिए।
6. भांगरे के रस में सरसों (सफेद) को पीसकर, मस्तक पर उसका लेप करके जिसके सम्मुख भी जाएंगे उसकी बुद्धि का स्तंभन हो जाएगा।
7. अपामार्ग और सहदेई को लोहे के पात्र में डालकर पींसें और उसका तिलक मस्तक पर लगाएं। अब जो भी देखेगा उसका स्तंभन हो जाएगा।
8. भांगरा, चिरचिटा, सरसों, सहदेई, कंकोल, वचा और श्वेत आक इन सबको समान मात्रा में लेकर कूटें और सत्व निकाल लें। फिर किसी लोहे के पात्र में रखकर तीन दिनों तक घोटें। अब जब भी उसका तिलक कर शत्रु के सम्मुख जाएंगे, तो उसकी बुद्धि कुंठित हो जाएगी।
9. ।। ॐ नमो भगवते महाकाल पराक्रमाय शत्रूणां शस्त्र स्तंभन कुरु-कुरु स्वाहा।
प्रयोग विधि मंत्र: एक लक्ष जपामंत्रः सिद्धो भवति नान्यथा। अष्टोत्तरशत जपात् प्रयोगः सिद्धयति ध्रुवम्।। उपरोक्त मंत्र का एक लाख जप करने से वह सिद्ध हो जाता है और जब इसका प्रयोग करना हो, एक सौ आठ बार पुनः जप कर प्रयोग करें तो यह प्रयोग सफल होता है।
10. पुष्य नक्षत्र वाले रविवार के दिन अपराजिता की मूल को उखाड़कर मुंह में रखने अथवा सिर पर धारण करने से शस्त्र स्तंभन हो जाता है।
11. रवि पुष्य के दिन श्वेत गुंजा की मूल को लाकर धारण करें तो युद्ध में शत्रु के शस्त्र का भय नहीं रहता अथवा उसके शस्त्र का स्तंभन हो जाता है।
12. खजूर की मूल को पैर और हाथ में धारण करने से खंजर-शस्त्र का स्तंभन हो जाता है।
13. जामुन की मूल को हाथ पर और केबड़े की मूल को मस्तिष्क पर तथा ताड़ की मूल को मुंह में रखने से शस्त्र चाहे जिस प्रकार हो, उसका स्तंभन हो जाता है। इन तीनों जड़ों का चूर्ण बनाकर घृत के साथ सेवन करने से आक्रमणकारी के शस्त्र का स्तंभन हो जाता है।
14. चमेली की मूल को मुख में रखने से किसी भी शस्त्र का भय नहीं रहता। रविवार को पुष्य नक्षत्र आने पर अपामार्ग की मूल लाकर उसे पीस लें और शरीर पर उसका लेप करें तो सभी प्रकार के शस्त्र से स्तंभन हो जाता है।
15. ।।ॐ नमः काल रात्रि त्रिशूलधारिणी। मम शत्रुसैन्य स्तंभन कुरु कुरु स्वाहा।।
एक लक्षजपाच्यापं मंत्रः सिद्धः प्रजायते। उपरोक्त शतजपात् प्रयोगे सिद्धिरूतमा।। से भी गर्भ स्तंभन होता है। रविवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र हो, तब काले धतूरे की मूल लाकर गर्भिणी स्त्री की कमर में बांध दें। इससे गर्भ का स्तंभन होता है।
16. मिट्टी के एक पात्र में श्मशान की भस्म से शत्रु का नाम लिखें और उसे नीले सूत्र से बांधकर एक गहरे गड्ढे में गाड़ दें। तदनंतर उस पर एक पत्थर रखकर ढांप दें। ऐसा करने से शत्रु की पूरी सेना का ही स्तंभन हो जाता है।
17. ।।ॐ नमो भगवते महारौद्राय गर्भस्तंभनं कुरू कुरू स्वाहा।।
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए 1 लाख जप करना जरूरी है। अन्यथा प्रयोग सफल नहीं होंगे। जब भी प्रयोग करना हो तो एक सौ आठ बार जप अवश्य करें।
प्रयोग:
18. केशर, शक्कर, ज्वारपाठा और कुंदपुष्प को समान मात्रा में शहद में मिलाकर खाने से गर्भपात से रक्षा होती है।
19. ऋतुस्नाता स्त्री यदि रेंडी के बीज को निगल ले तो उसका गर्भ कभी नहीं गिरता। कमर में धतूरे का बीज बांधन घर में हर समय कलह बनी रहेगी।
20. कुम्हार के हाथ से लगी हुई चाक की मिट्टी को शहद में मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करने से गर्भ का स्तंभन होता है।

3. विद्वेषण तंत्र प्रयोग:

‘ द्वेष’ का अर्थ है दूसरों के लाभ में अवरोध उत्पन्न करना है इसी द्वेष भावना का क्रियात्मक रूप ‘विद्वेषण’ कहलाता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है किन्हीं दो लोगों के बीच फूट, विद्रोह, उपद्रव, अविश्वास और शत्रुता के भाव उत्पन्न करके विघटन की उत्पत्ति करना।
ऊँ नमो नारदाय अमुकस्याकेन सहविद्वेषणम् कुरु-कुर  स्वाहा। इस मंत्र का एक लाख जप करने से यह सिद्ध हो जाता है और जब कोई तंत्र प्रयोग करना हो तो पहले मंत्र का एक सौ आठ बार जप करके सिद्धि प्राप्त कर लेनी चाहिए। मंत्र में अमुक के स्थान पर जिस पर प्रयोग करना हो उसके नाम का उच्चारण करें।
प्रयोग:
1. शेर और हाथी के दांतों को गाय के मक्खन के साथ पीसकर जिनके नामों से आग में हवन किया जाएगा, वे विद्वेषण के प्रभाव में आ जाएंगे।
2. कुत्ते के बाल तथा बिल्ली का नाखून मिलाकर जहां जलाया जाएगा वहां के लोगों में विद्वेषण उत्पन्न हो जाएगा।
3. साही का कांटा जिसके मकान के मुख्य द्वार पर गाड़ दिया जाएगा, उस उपर्युक्त मंत्र के एक लाख जप से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और प्रयोग के समय एक सौ आठ बार जप करके प्रयोग करने से सैन्य स्तंभन होता है।
4. जब कभी भी दो व्यक्तियों के बीच द्वेष उत्पन्न करना हो, तो उनके पैरों की मिट्टी को सान एवं गूंधकर उससे एक पुतली बनाएं और श्मशान में ले जाकर उसे भूमि में गाड़ दें। इस क्रिया को करने से उनके बीच द्वेष उत्पन्न हो जाएगा।
5. कोई भाषण या समारोह चल रहा हो, तो भैंसे और घोड़े के बालों को परस्पर मिलाकर जलाएं। इससे सभा या समारोह में भगदड़ मच जाएगी।
6. एक हाथ में कव्वे का पंख और दूसरे हाथ में उल्लू का पंख लेकर विद्वेषण के मंत्र से अभिमंत्रित करें और उन दोनों पंखों को फिर काले सूत से बांधकर जिस घर में गाड़ दिया जाएगा, उस घर में रहने वालों का आपस में झगड़ा हो जाएगा।

*एंटी डोज* (पुरानी दवाई का प्रभाव कम करना

*एंटी डोज* (पुरानी दवाई का प्रभाव कम करना) --बड़ी हरड का छिलका चुरण ढाई सौ ग्राम , सोडा बाइकार्ब 125 ग्राम, मिलाकर रखें । इसकी मात्रा 125 एम...