शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

गूलर का औषधीय प्रयोग

🌺🙏🏻🌺 *!! गूलर का औषधीय प्रयोग !!* 🌺🙏🏻🌺

गूलर का बृक्ष भिन्न भिन्न प्रदेशों में भाषा के अनुरूप भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है, महाराष्ट्र में तो ऐसा माना जाता है की गूलर के वृक्ष में भगवान् दत्तात्रेय का वास होता है ! वैसे तो सम्पूर्ण भारत में इसे गुलर के नाम से जाना जाता है किन्तु संकृत में इसे उदुम्बर जन्नूफल, मराठी में उम्बर, गुजराती में उम्बरो,बंगला में यज्ञ डूम्बुरा, अंग्रेजी में क्लस्टर फिग आदि नामों से जाना जाता है !!

गुण धर्म की दृष्टि से यदि देखा जाए तो यह कफ पित्त शामक, दाह प्रशमन, अस्थि संघानक तथा सोत, रक्त पित्त, प्रदर,प्रमेह,अर्श, गर्भाशय विकार आदि नाशक है. चिकित्सा की दृष्टि से गूलर की छाल, पत्ते, जड़, कच्चाफल व पक्का फल सभी उपयोगी है ! गूलर का कच्चा फल कसैला व उदार के दाह का नाशक होता है, पके फल के सेवन और कप्पल भाति की क्रिया करने से कब्ज मिटता है !! पकाफल मीठा, शीतल, रुचिकारक, पित्तशामक, श्रमकष्टहर, द्राह- तृष्णाशामक, पौष्टिक व कब्ज नाशक होता है !! कुछ दिनों तक लगातार इसकी जड़ का अनुपातिक काढ़ा पीने से व योग के अंतर्गत आने वाले कपाल भाति की प्रक्रिया से मधुमेह पूरी तरह से नियंत्रित हो जाता है !!

खुनी बवासीर में इसके पत्तों का रस लाभकारी होता है ! गूलर का दूध शरीर से बाहर निकालने वाले विभिन्न स्रावों को नियंत्रित करता है ! हाथ पैर की चमड़ी फटने से होने होने वाली पीड़ा कम करने के लिए गूलर के दूध का लेप करना लाभकारी सिद्ध हुआ है !!
मुँह में छाले, मसूढ़ों से खून आना आदि विकारों में इसकी छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ली करने से विशेष लाभ होता है !!
ग्रीष्म ऋतु की गर्मी या अन्य जलन पैदा करने वाले विकारों एवं चेचक आदि में पके फल को पीसकर उसमे शक्कर मिलाकर उसका शर्बत बनाकर पीने से राहत मिलती है ! इस प्रकार इसकी असंख्य उपयोगिताओं के कारण ही तो इसे पवित्र वृक्षों की श्रेणी में रखा गया है !!

• १ बताशे में १० बूंद गूलर का दूध डालकर सुबह-शाम सेवन करने और १ चम्मच की मात्रा में गूलर के फलों का चूर्ण रात में सोने से पहले लेने से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है इस प्रकार से इसका उपयोग करने से शीघ्रपतन रोग भी ठीक हो जाता है !!

*मर्दाना शक्तिवर्द्धक :-*
• १ छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की २५ बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है !!

• १ चम्मच गूलर के दूध में २ बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है !!

• पका हुआ गूलर सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें इस चूर्ण में इसी के बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी बोतल में भर कर रख दें। इस चूर्ण में से २ चम्मच की मात्रा गर्म दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना शक्ति बढ़ जाती है ! २-२ घंटे के अन्तराल पर गूलर का दूध या गूलर का यह चूर्ण सेवन करने से दम्पत्ति वैवाहिक सुख को भोगते हुए स्वस्थ संतान को जन्म देते हैं !!

*बाजीकारक (काम उत्तेजना):-*
• ४ से ६ ग्राम गूलर के फल का चूर्ण और बिदारी कन्द का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पौरुष शक्ति की वृद्धि होती है ! व बाजीकरण की शक्ति बढ़ जाती है ! यदि इस चूर्ण का उपयोग इस प्रकार से स्त्रियां करें तो उनके सारे रोग ठीक हो जाएंगे !!

• गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है तथा कई प्रकार के रोग जैसे- कब्ज तथा खांसी और दमा आदि ठीक हो जाते हैं !!

*उपदंश (फिरंग):-*
• ४० ग्राम गूलर की छाल को १ लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर पीने से उपदंश की बीमारी ठीक हो जाती है !!

*शरीर को शक्तिशाली बनाना:-*
• लगभग १०० ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें १०० ग्राम मिश्री मिलाकर रख दें ! अब इस चूर्ण में से लगभग १० ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है !!

*प्रदर:-*
• गूलर के फूलों के चूर्ण को छानकर उसमें शहद एव मिश्री मिलाकर गोली बना लें रोजाना १ गोली का सेवन करने से ७ दिन में प्रदर रोग से छुटकार मिल जाता है !!

• गूलर के पके फल को छिलके सहित खाकर ऊपर से ताजे पानी पीयें इससे श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है !!

• गूलर के फलों के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग में आराम मिलता है !!

*रक्तप्रदर :-*
• रक्तप्रदर में गूलर की छाल ५ से १०ग्राम की मात्रा में या फल २ से ४की मात्रा में सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है तथा रक्तप्रदर रोग ठीक हो जाता है !!

• २५ ग्राम गूलर की ताजी छाल को २५० मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह ५० मिलीलीटर की मात्रा में बच जाए तो इसमें २५ ग्राम मिश्री और २ ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें इससे रक्तप्रदर रोग में लाभ मिलता है !!

• पके गूलर के फलों को सुखाकर इसे कूटे और पीसकर छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी ढक्कनदार बर्तन में भर कर रख दें। इसमें से ६ ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है !!

• पके गूलर के फल को लेकर उसके बीज को निकाल कर फेंक दें, जब उसके फल शेष रह जायें तो उसका रस निकाल कर शहद के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ मिलता है ! रोगी इसके सब्जी का सेवन भी कर सकते हैं !!

• १ चम्मच गूलर के फल का रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्त प्रदर ठीक होता है बल्कि मासिकधर्म में खून अधिक आने की तकलीफ भी दूर होती है !!

*श्वेत प्रदर:-*
• रोजाना दिन में ३-४ बार गूलर के पके हुए फल खाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है !!

• गूलर का रस ५ से १० ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर नाभि के निचले हिस्से में पूरे पेट पर इससे लेप करें इससे श्वेत प्रदर रोग में आराम मिलता है !!

• १ किलो कच्चे गूलर लेकर इसके ३ भाग कर लें इसमें से कच्चे गूलर १ भाग उबाल लें और इनकों पीसकर १ चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा इसकी रोटी बना लें रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें इस प्रकार शेष २ भागों से इसी प्रकार की क्रिया २ दिनों तक करें इससे श्वेत प्रदर रोग की अवस्था में आराम मिलता है !!

• १०-१५ ग्राम गूलर की छाल को पीसकर, २५० मिलीलीटर पानी में डालकर पकाएं पकने के बाद १२५ मिलीलीटर पानी शेष रहने पर इसे छान लें और इसमें मिश्री व लगभग २ ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें तथा भोजन में इसके कच्चे फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करें श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है !!

*गर्भपात रोकना:-*
• गर्भावस्था में खून का बहना और गर्भपात होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरन्त ही गूलर की छाल ५ से १० ग्राम की मात्रा में अथवा २ से ४ गूलर के फल को पीसकर इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ पीएं ! जब तक रोग के लक्षण दूर न हो तब तक इसका प्रयोग ४ से ६ घंटे पर उपयोग में लें !!

• गूलर की जड़ अथवा जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्राव अथवा गर्भपात होना बंद हो जाता है !!

*भगन्दर:-*
• गूलर के दूध में रूई का फोहा भिगोंकर इसे नासूर और भगन्दर के ऊपर रखें और इसे प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगन्दर ठीक हो जाता है !!

*खूनी बवासीर:-*
• गूलर के पत्तों या फलों के दूध की १० से २० बूंदे को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर और रक्तविकार दूर हो जाते हैं ! गूलर के दूध का लेप मस्सों पर भी लगाना लाभकारी है !!

• १० से १५ ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें ! २५०ग्राम गाय के दूध की दही में थोड़ा सा सेंधानमक तथा इस चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है !!

*आंव (पेचिश):-*
• ५ से १० ग्राम गूलर की जड़ का रस सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से आमातिसार (पेचिश) ठीक हो जाता है !!

• बताशे में गूलर के दूध की ४-५ बूंदे डालकर रोगी को खिलाने से आमातिसार (आंव) ठीक हो जाता है !!

• गूलर के पके फल खायें इससे पेचिश रोग ठीक हो जाता है !!

• गूलर को गर्म जल में उबालकर छान लें और इसे पीसकर रोटी बना लें फिर इसे खाएं इससे पेचिश में लाभ होता है !!

*दस्त:-*
• दस्त और ग्रहणी के रोग में ३ ग्राम गूलर के पत्तों का चूर्ण और ५ दाने कालीमिर्च के थोड़े से चावल के पानी के साथ बारीक पीसकर, उसमें कालानमक और छाछ मिलाकर फिर इसे छान लें और इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे लाभ मिलेगा !!

• गूलर की १० ग्राम पत्तियां को बारीक पीसकर ५० मिलीलीटर पानी में डालकर रोगी को पिलाने से सभी प्रकार के दस्त समाप्त हो जाते हैं !!

*बच्चों का आंव:-*
• गूलर के दूध की ५-६ बूंदे चीनी के साथ बच्चे को देने से बच्चों के आंव ठीक हो जाते हैं !!

*विसूचिका:-*
• विसूचिका (हैजा) के रोगी को गूलर का रस पिलाने से रोगी को आराम मिलता है !!

*रक्तपित्त (खूनी पित्त):-*
• पके हुए हुए गूलर, गुड़ या शहद के साथ खाना चाहिए अथवा गूलर की जड़ को घिसकर चीनी के साथ खाने से लाभ मिलेगा और रक्तपित्त दोष दूर हो जाएगा !!

• हर प्रकार के रक्तपित्त में गूलर की छाल ५ ग्राम से १० ग्राम तथा उसका फल २ से ४ ग्राम तथा गूलर का दूध १० से २० मिलीलीटर की मात्रा के रूप में सेवन करने से लाभ मिलता है !!

*फोडे़:-*
• फोड़े पर गूलर का दूध लगाकर उस पर पतला कागज चिपकाने से फोड़ा जल्दी ठीक हो जाता है !!

*घाव:-*
• शरीर के अंगों में घाव होने पर गूलर की छाल से घाव को धोएं इससे घाव जल्दी ही भर जाते हैं !!

• गूलर के पत्तों को छांया में सूखा कर इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद घाव को साफ करकें इसके ऊपर इस चूर्ण को छिड़के तथा इस चूर्ण में से ५-५ ग्राम की मात्रा सुबह तथा शाम को पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलेगा !!

• गूलर के दूध में बावची को भिगोंकर इसे पीस लें और १-२ चम्मच की मात्रा में रोजाना इससे घाव पर लेप करें इससे घाव जल्दी ही ठीक हो जाते हैं !!

• गूलर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है !!

• गूलर के ताजे फल को खाकर ऊपर से ताजे पानी पीये इससे मधुमेह रोग में आराम मिलता है !!

*शीतला (चेचक):-*
• गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को गाय के ताजे दूध में पीसकर इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर चेचक से पीड़ित रोगी को पिलाये इससे उसका यह रोग ठीक हो जाएगा !!

*सूजन:-*
• भिलावें की धुएं से उत्पन्न हुई सूजन को दूर करने के लिए गूलर की छाल को पीसकर इससे सूजन वाली भाग पर लेप करें !!

*गांठ:-*
• शरीर के किसी भी अंग पर गांठ होने की अवस्था में गूलर का दूध उस अंग पर लगाने से लाभ मिलता है !!

*पेशाब अधिक आना:-*
• १ चम्मच गूलर के कच्चे फलों के चूर्ण को 2 चम्मच शहद और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब का अधिक मात्रा में आने का रोग दूर हो जाता है !!

*पेशाब के साथ खून आना:-*
• पेशाब में खून आने पर गूलर की छाल ५ ग्राम से १० ग्राम या इसके फल २ से ४ लेकर पीस लें और इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ खायें इससे यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है !!

*मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) होना:-*
• प्रतिदिन सुबह गूलर के २-२ पके फल रोगी को सेवन करने से मूत्रकच्छ (पेशाब की जलन) में लाभ मिलता है !!

• गूलर के ८-१० बूंद को २ बताशों में भरकर रोजाना सेवन करने से मूत्ररोग (पेशाब के रोग) तथा पेशाब करने के समय में होने वाले कष्ट तथा जलन दूर हो जाती है !!

*मधुमेह:-*
• १ चम्मच गूलर के फलों के चूर्ण को १ कप पानी के साथ दोनों समय भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से पेशाब में शर्करा आना बंद हो जाता है। इसके साथ ही गूलर के कच्चे फलों की सब्जी नियमित रूप से खाते रहना अधिक लाभकारी होता है ! मधुमेह रोग ठीक हो जाने के बाद इसका सेवन करना बंद कर दें !!

*दांतों की मजबूती के लिए :-*
• गूलर की छाल के काढे़ से गरारे करते रहने से दांत और मसूड़ों के सारे रोग दूर होकर दांत मजबूत होते हैं !!

*कंठमाला (गले में गिल्टी होना):-*
• गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को पीसकर इसे मीठे या दही मिला दें और इसमें चीनी मिलाकर रोजाना १ बार सेवन करें इससे कंठमाला के रोग से मुक्ति मिलती है !!

*खांसी:-*
• रोगी को बहुत तेज खांसी आती हो तो गूलर का दूध रोगी के मुंह के तालू पर रगड़ने से आराम मिलता है !!

• गूलर के फूल, कालीमिर्च और ढाक की कोमल कली को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में ५ ग्राम शहद में मिलाकर रोजाना २-३ बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती है !!

*नाक से खून बहना:-*
• पके गूलर में चीनी भरकर घी में तलें, इसके बाद इस पर काली मिर्च तथा इलायची के दानों का आधा-आधा ग्राम चूर्ण छिड़कर प्रतिदिन सुबह के समय में सेवन करें तथा इसके बाद बैंगन का रस मुंह पर लगाएं इससे नाक से खून गिरना बंद हो जाता है !!

• गूलर का पेड़, शाल पेड़, अर्जुन पेड़, और कुड़े के पड़े की पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इन सब चीजों का काढ़ा भी बनाकर रख लें १ इसके बाद इस चटनी तथा इससे ४ गुना ज्यादा घी और घी से ४ गुना ज्यादा काढ़े को कढ़ाही में डालकर पकाएं ! पकने पर जब घी के बराबर मात्रा रह तो इसे उतार कर छान लें ! अगर नाक पक गई हो तो इस घी को नाक पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है !!

*रक्तस्राव (खून का बहना):-*
• नाक से, मुंह से, योनि से, गुदा से होने वाले रक्तस्राव में गूलर के दूध की १५ बूंदे १ चम्मच पानी के साथ दिन में ३ बार सेवन करने से लाभ मिलता है !!

• शरीर में कहीं से भी किसी कारण से रक्तस्राव (खून बहना) हो रहा हो तो गूलर के पत्तों का रस निकालकर वहां पर लगाएं इससे तुरन्त खून का आना बंद हो जाता है !!

• मुंह में छाले हो अथवा खून आता हो या खूनी बवासीर हो तो १ चम्मच गूलर के दूध में इतनी ही पिसी हुई मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से रक्तस्राव (खून बहना) होना बंद हो जाता है ! तथा इसके सेवन से मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं !!

*चोट लगने पर खून का बहना:-*
• गूलर के पत्तों का रस चोट लगे हुए स्थान पर लगने से खून बहना रुक जाता है !!

• गूलर के रस को रूई में भिगोकर इसे चोट पर रखकर पट्टी बांध लें इससे चोट जल्दी भरकर ठीक हो जाएगा !!

*शिशु का दुबलापन:-*
• गूलर का दूध कुछ बूंदों की मात्रा में मां या गाय-भैंस के दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से कुछ महीने तक रोजाना १ बार बच्चों को पिलाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट और सुडौल बनाता है लेकिन गूलर के दूध बच्चों उम्र के अनुसार ही उपयोग में लेना चाहिए !!

*सूखा (रिकेट्स) रोग:-*
• 5 बूंद गूलर के दूध को 1 बताशे पर डालकर इसका सेवन बच्चों को कराएं इससे सूखा रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है !!

*बच्चों के गाल पर सूजन होना:-*
• बच्चों के गाल की सूजन को दूर करने के लिए उनके गाल पर गूलर के दूध का लेप करें इससे लाभ मिलेगा !!

*बिच्छू का जहर:-*
• जहां पर बिच्छू ने काटा हो उस स्थान पर गूलर के अंकुरों को पीसकर लगाए इससे जहर चढ़ता नहीं है और दर्द से आराम मिलता है !!

*आग से जलने पर :-*
• जलने पर गूलर की हरी पत्तियां पीसकर लेप करने से जलन दूर हो जाती है !!

• गूलर के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन मिट जाती है और छाले के निशान भी नही पड़ते !!

*दमा:-*
• गूलर की पेड़ की छाल उतारकर छाया में सुखा लें और फिर इसे पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे छानकर बोतल में भरकर ढक्कन लगाकर रख दें ! इसमें से चूर्ण का सेवन प्रतिदिन करने से दमा रोग में लाभ मिलता है !!

• सितम्बर से मार्च तक की हर पूर्णमासी की रात में जितना खीर खा सकें, उतने दूध में चावल (इस खीर में अरबा चावल उत्तम माने जाते हैं) डालकर खीर बनाएं इस खीर को कांसे की थाली में डालकर फैलाकर, इस पर ढाई चम्मच गूलर की छाल का चूर्ण चारो और छिड़क दें ! खीर रात को नौ बजे तक तैयार कर लें ! इसे रात को नौ बजे से सुबह के चार बजे तक खुले स्थान पर चांदनी में रखें। सुबह चार बजे के तुरन्त बाद इसे भर पेट खा लें ! खीर खाने से पहले मंजन करके मुंह को साफ कर लें !आम के हरे पत्ते से खीर खाएं ! इसके बाद धीरे-धीरे थकान नहीं हो तब तक घूमते रहें ! इससे दमा रोग में लाभ मिलता है !!

*जिगर का रोग:-*
• १० ग्राम की मात्रा में जंगली गुलर की जड़ की छाल पीसकर गाय के मूत्र में मिला लें और इसे छानकर २५ ग्राम की मात्रा में रोजाना पीने से से यकृत वृद्धि खत्म जाती है !!

*वमन (उल्टी):-*
• गूलर के दूध की १० बूंदे सुबह और शाम दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों को उल्टी आना बंद हो जाता है !!

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