शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

मृगश्रंग भस्म !!

🌺🙏🏻🌺 *!! मृगश्रंग भस्म !!*🌺🙏🏻🌺

*!! सर्दी खांशी व न्युमोनिया नाशक !!*

     मृगश्रृंग भस्म को श्रृंग भस्म भी कहा जाता है ! जो ख़ासकर न्युमोनिया , बलगमी खांसी, प्लूरिसी , इन्फ्लुएंजा, सर्दी जुकाम , सीने का दर्द , हार्ट का दर्द , बुखार, टी बी का बुखार, रिकेट्स और हड्डी के रोगों जैसे कई तरह की बीमारियों में असरदार है !!

  *इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की विधि :-*

    मृगश्रृंग भस्म जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है ! मृगश्रृंग यानि हिरण के सींग का भस्म !!
इसे बनाने के लिए बारह सिंघा के टूटे हुवे सींग का इस्तेमाल किया जाता है !!
आयुर्वेद किसी जानवर को मारकर उसका प्रयोग करने की इजाज़त नहीं देता !!
भस्म बनाने का तरीका यह होता है कि सींग के छोटे - छोटे टुकड़े कर मिट्टी के बर्तन में डालकर अग्नि दी जाती है ! उसके बाद आक या अकवन के दूध की भावना देकर गजपुट की अग्नि दी जाती है ! इसी तरह से तीन भावना और तीन पुट की अग्नि देने पर सफ़ेद रंग की भस्म तैयार होती है !!

*!! भस्म के गुण !!*

यह एक बेहतरीन Expectorant या कफ़ नाशक है ! कासरोधक , जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी जैसे गुण पाए जाते हैं !!

    मृगश्रृंग भस्म  स्वसन तंत्र या श्वसन प्रणाली के रोगों के लिए बेहतरीन दवा है !!
हड्डी और जॉइंट को मज़बूती देता है ! हार्ट और लंग्स को ताक़त देता है ! न्युमोनिया और बलगमी खाँसी में यह अंग्रेज़ी दवा की तरह तेज़ी से काम करता है ! बच्चों के न्युमोनिया में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग करते हैं ! ३० से ६० मिलीग्राम तक शहद में मिलाकर दिन में तीन - चार बार देने से बच्चों का न्युमोनिया या पसली चलना दूर होता है ! कफ़ वाली बलगमी खाँसी या में इसे सितोपलादि चूर्ण और टंकण भस्म के साथ लेने से तेज़ी से फ़ायदा होता है ! इसके अलावा टीबी  का बुखार , प्लूरिसी , हार्ट का दर्द , ब्रोंकाइटिस, इन्फ्लुएंजा जैसे रोगों में दूसरी सहायक औषधियों के साथ लेने से लाभ मिलता है !!

*!! श्रृंग भस्म की मात्रा !!*

      २५० से १२५ मिलीग्राम मिलीग्राम तक यह बड़े लोगों की मात्रा है। बच्चों को २० मिलीग्राम से ६० मिलीग्राम तक उनकी आयु के अनुसार शहद में मिक्स कर या फिर रोगानुसार अनुपान के साथ देना चाहिए !!

    नवजात शिशु से लेकर उम्रदराज़ लोगों तक इस्तेमाल कर सकते हैं ! बस इसकी मात्रा सही हो इसका ख्याल रखना चाहिए !!
इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है !!
चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें और सुखी खाँसी में भूलकर भी इसका इस्तेमाल न करें !!

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