गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

आयुर्वेदिक क्षार !

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक क्षार !!* 🌺🙏🏻🌺

          *!! मूली क्षार !!*

*गुण व उपयोग : -* यह क्षार पाण्डु, कामला, शोथ, अश्मरी, मूत्रकृच्छ, मूत्रशर्करा, पेशाब की जलन आ​दि में उत्तम गुणकारी है !!

*मात्रा व अनुपान : -*  २५० मिलीग्राम से १ ग्राम तक, ठण्डे पानी, नारीयल पानी, वरूणा​दि क्वाथ, गोखरू क्वाथ आ​दि के साथ !!

         *!! अपामार्ग क्षार !!*

*गुण व उपयोग : -* अपामार्ग क्षार तीक्ष्ण श्वास, कास, गुल्म, शूल आ​दि रोग नाशक है ! मधु के साथ लेने से अथवा द्राक्षासव, पिप्पल्यासव अथवा कनकासव के साथ लेने से श्वास और कास रोग में शीघ्र लाभ होता है ! गोमूत्र में मिलाकर लेप करने से श्वेत कुष्ठ को नष्ट करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -*  २५० मिलीग्राम से १ ग्राम तक दिन में २ - ३ बार मधु, गुलबनफ्सा शर्बत, मुलेठी शर्बत, द्राक्षासव, पिप्पल्यासव या कनकासव के साथ !!

        *!! इमली क्षार !!*

*गुण व उपयोग : -* इमली क्षार अग्निमान्द्य, गुल्म, शूल, मूत्रकृच्छ और अश्मरी रोग को नष्ट करता है ! स्नुही क्षार और अर्कक्षार तथा शंख भस्म के साथ मिलाकर देने से विसूचिका रोग को नष्ट करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -*  २५० मिलीग्राम से १ ग्राम तक, गर्म पानी, शंख भस्म, त्रिकुट चूर्ण आ​दि के साथ !!

        *!! कण्टकारी क्षार !!*

*गुण व उपयोग : -* खाँसी, वास, गले की खराबी, प्रतिश्याय (सर्दी-जुकाम), मूत्रकृच्छ आ​दि रोगों को नष्ट करता है !!

*मात्रा व अनुपान : -* २५० मिलीग्राम से २ ग्राम तक, मधु, गुलबनफ्सा आ​दि या श्रृंग्या​दि क्वाथ, शर्बत गुलबनफ्सा, शर्बत अडूसा, शर्बत मुलेठी आ​दि में मिलाकर !!

      *!! टंकण क्षार !!*

*गुण व उपयोग : -* यह उष्णवीर्य, रूक्ष, तीक्ष्ण, साकर, कफ नि:सारक, हृद्य, जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाला, आर्तवजनक, बल्य पित्तकारक, मूढ़ गर्भ प्रवर्तक तथा वात रोगों, कास, श्वास, विष, आध्मान और नाना प्रकार के व्रणों का नाशक है !!

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