गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

आयुर्वेदिक तेल भाग ३

🌺🙏🏻🌺 *!! आयुर्वेदिक तेल भाग ३ !!* 🌺🙏🏻🌺

          *!! गर्भविलास तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह गर्भावस्था के दौरान पेट में दर्द होने की दशा में इस तेल की मालिश धीरे-धीरे पेट पर करने से आराम मिलता है ! इसकी लगातार मालिश से गर्भ पुष्ट होता है !!

        *!! चन्दनादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह सिर दर्द, उन्माद, जीर्ण ज्वर, रक्त पित्त, क्षय आदि में लाभदायक है !!

          *!! गन्धकपिष्टी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह प्रत्येक प्रकार की नर्इ-पुरानी खारिश में लाभ प्रदान करता है !!

         *!! ग्रहणीमिहिर तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह ग्रहणी, अतिसार, ज्वर, तृष्णा, हिक्का व उदर रोगों में लाभ करता है ! असमय बाल पकने व ढीली चमड़ी को सख्त करने में गुणकारी है ! यह ३ से ६ ग्राम की मात्रा में पिलाना चाहिए या मालिश करनी चाहिए !!

         *!! खदिरादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह दांतों की सड़न, मुँह का पकना, मसूढ़ों का पकना, मवाद निकलना, दाँतों में छिद्र होना, दाँतों में कीड़े लगना, मुँह की दुर्गन्ध आदि में लाभ प्रदान करता है !!

          *!! इरिमेदादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* इस तेल के कुल्ले करने से मसूढ़ों की सढ़न, पीप, दाँतों का हिलना व जीभ व तालू की पीड़ा व मुँह के अन्य रोगों में लाभ मिलता है !!

         *!! कुष्ठाराक्षस तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह सफेद कुष्ठ, खारिश व अन्य रक्त विकारों में लाभ करता है !!

         *!! कासीसादि तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* इस तेल को बवासीर के मस्सों पर लगाने से ये जल्दी ठीक हो जाते हैं ! यह इन मस्सों को काट कर गिरा देता है !!

             *!! कुम्भी तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* कुम्भी तेल का उपयोग कान के दर्द, कान से मवाद आना, कान के भीतर फोड़े-फुंसी आदि में किया जाता है !!

            *!! अणु तेल !!*

*गुण व उपयोग : -* यह सिर दर्द, आधे सिर का दर्द, वात नाड़ियों की कमजोरी से सिर का हिलना आदि में लाभ करता है ! इसका नस्य लेने से कान, नाक व आँखों की इन्द्रियों को बल मिलता है !!

*!! आयुर्वेदिक तेल प्रकरण और भी हैं ! पर इसी पोस्ट के साथ विराम देतें हैं !!*

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