गुरुवार, 16 मई 2019

विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ

🌹✍🏻     विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ  ✍🏻🌹
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जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद तथा उसके लाभ
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प्रकृति में मिलनेवाली हर चीज औषधीय व पौष्टिक गुणों से भरपूर है धान्य, सब्जियां, फल तथा पुष्प उत्तम पोषण का स्त्रोत है यह हमारे शरीर को ना सिर्फ पोषण व बल देते है किंतु मन को भी सुकून तथा आराम प्रदान करते है ज़्यादातर अन्न के बाद सब्जियां तथा फलो का ही भोजन में ज्यादा समावेश प्रचलित है लेकिन अगर आप फूलो की पौष्टिकता तथा औषधीय गुणों को जानेंगे तो बिना चुके हुए इसका प्रतिदिन सेवन करना अवश्य चाहेंगे-

आज इस पोस्ट में हम आपको विविध फूलो से बनते हुए गुलकंद (Gulkand) के बारे में जानकारी देंगे जिसे आप आसानी से घर पर बना कर पूरे साल पुष्पों के औषधीय गुणों का लाभ ले सकेंगे जैसा की हमने गुलाब की लेखनमाला के अंतर्गत गुलकंद बनाने की विधि, गुलकंद के गुण तथा उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी है-

आयुर्वेदनुसार फूलो और शर्करा के योग से बनने वाले पाक को गुलकन्द (Gulkand) कहा जाता है यह एक आयुर्वेदिक अवलेह कल्पना है किसी भी औषधि पुष्प का गुलकंद बनाया जा सकता है लेकिन सिर्फ गुलाब का ही गुलकंद आमतौर पर प्रचलित है-

आयुर्वेदानुसार गुलकंद शीतल, मधुर, रेचक, मूत्रल, तृषा नाशक, पित्त शामक, दाह नाशक तथा मन को शांति तथा ताजगी देनेवाला माना गया है पित्त तथा गर्मी से होनेवाली तकलीफें पाचन संस्था के रोग, अशक्ति, जीर्ण ज्वर, अनिंद्रा, शरीर की आंतरिक गर्मी तथा अन्य रोगों में विविध औषधीय पुष्पों के गुलकंद (Gulkand) बेहद लाभदायी है-

विविध पुष्पों से बनने वाले गुलकंद (Gulkand) तथा उसके लाभ-
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सनाय का गुलकंद (Gulkand) -
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पीले सुनहरे रंग के सनाये के फूल कटु, शीतल,  मल निसारक तथा आंखों के लिए हितकर है-सनाये के फूलों का गुलकंद खाने से मूत्र रोगों में फायदा होता है मूत्र की रुकावट, यूरीन इन्फेक्शन, मूत्र दाह जैसी तकलीफें तथा पाचन सम्बन्धी रोग कब्ज, आँतो की सूजन, बवासीर जैसे रोगो में बेहद गुणकारी है यह गुलकन्द त्वचा रोगों में भी बेहद असरकारक है प्रतिदिन इस गुलकन्द के सेवन से त्वचा का रंग निखरता है तथा दाज खाज खुजली कील मुहाँसे तथा फोड़े फुंसी भी दूर होते है-

नारियल के फूलों का गुलकन्द (Gulkand)-
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नारियल मधुर, शीतल, बलवर्धक है नारियल के ताजे फूल ले कर शास्त्रोक्त विधि से उसका गुलकन्द (Gulkand) सिद्ध करे यह गुलकन्द चंदन के पानी के साथ पीने से उबकाई, वमन, अतिसार, मुँह के छाले तथा तृषा रोग मिटते है यह गुलकन्द प्रतिदिन खाने से लूं लगने से होने वाली तकलीफें चककर, उल्टी तथा शारीरिक दुर्बलता मिटती है-

महुआ के फूलों का गुलकन्द (मोहाकन्द)-
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आयुर्वेद के मत अनुसार महुआ के फूल स्वाद में मधुर पचने में भारी, शीतल, पुष्टिदायक, बल तथा वीर्य वर्धक, वायु और पित्त नाशक तथा पौष्टिक है महुआ के फूल तथा शक्कर समान भाग ले कर मिला कर हाथों से अच्छी तरह मसल लें अब इस मिश्रण को कांच की बरणी में भर कर 40 दिन तक कड़ी धूप में रखे-40 दिन बाद मोहाकन्द सिद्ध हो जाएगा-

प्रतिदिन 1-1 चम्मच  मोहाकन्द सुबह शाम लेने से मूत्र दाह, पुयमेह, पेशाब में पस जाना, मंदज्वर, आंतरिक गरमी, अग्नी मान्ध, रक्क्त विकार तथा मूत्रावरोध जैसी समस्याएं मिटती है-

इमली के फूलों का गुलकन्द-
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इमली के फूल तथा शक्कर समान भाग ले कर शास्त्रोक्त विधि से गुलकन्द सिद्ध कर ले प्रतिदिन 1-1चमच्च सुबह शाम इस गुलकन्द का सेवन करने से अपचन, अरुचि, मुँह का कड़वापन, खट्टी डकारें, उबकाई तथा एसिडिटी जैसी तकलीफों में राहत मिलती है-

नीम के फूलों का गुलकन्द-
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नीम के गुणो से तो हम सभी परिचित है नीम के फूलों से बनने वाले गुलकन्द को नीमकन्द कहा जाता है-

नीम के पुष्प- 1 किलो
शक्कर- 1किलो
शहद- 100 ml

एक किलो नीम के फूलों में एक किलो शक्कर मिला कर उसमे 100 ml शहद मिला कर 40 दिन तक धूप में रख कर नीमकन्द सिद्ध कर ले-यह नीमकन्द आंखों की जलन, छाती की जलन, हाथ पैर के तलवों की जलन, बार बार मुह में छाले आ जाना, रक्त विकार, फोड़े फुंसी, त्वचा रोग जैसी समस्याओं में खूब लाभदायक है मधुमेह के रोगियों को यह नीमकंद शहद में बना कर सुबह शाम खूब चबा-चबा कर खाने से मधुमेह में लाभ मिलता है-

जुही के फूलों का गुलकन्द-
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जुही के फूल तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को जुहीकन्द भी कहा जाता है जूही शीतल, पित्त नाशक, नेत्र रोग निवारक तथा दन्त रोग नाशक गुणों से भरपूर है जुहीकन्द हाइपर एसिडिटी, पित्त सम्बन्धी समस्याएं, पित्त बढनेसे होनेवाले सिर कनपटी तथा आंखों के दर्द व सूजन में बेहद गुणकारी है-पेट के अल्सर में भी जूही कंद एक उत्तम औषधि है-

जपाकन्द या कुसुमकन्द-
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जपाकुसुम या गुड़हल के फूल की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बन ने वाले गुलकन्द को जपाकन्द या कुसुमकन्द कहा जाता है जपाकुसुम के फूल मलरोधक, केशवर्धक, पित्त शामक तथा शीतल होते है जपाकन्द खाने से बालो का असमय सफेद होना, बाल झड़ना, बालो का पतला होना जैसी समस्याऐ मिटती है-

1 कप दूध आधा चम्मच घी तथा 1 चम्मच कुसुमकन्द खाने से महिलाओं में ज्यादा महावारी होना, रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर तथा महावारी सम्बंधित अन्य समस्याओं में लाभ मिलता है-

एक बड़ा चमच्च कुसुमकन्द एक ग्लास शीतल जल में घोल कर पीने से ऊबकाई, वमन,तथा अम्लपित्त में त्वरित लाभ होता है-

कमल कंद-
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कमलपुष्प की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को कमलकन्द या पद्मकन्द कहा जाता है कमल शीतल, मधुर तथा बलवर्धक व मानसिक ताजगी दायक पुष्प है यह ना सिर्फ शरीर को स्वास्थ्य व सौंदर्य देता है बल्कि मन की थकावट दूर कर के मानसिक शांति तथा स्थिरता देता है-

कमलकन्द बनाने के लिए कमल की पंखुड़ियां, मुलहठी व शर्करा को मिला कर चालीस दिन धूप में रखा जाता है व कमलकन्द सिद्ध किया जाता है-

यह कमलकन्द मूत्र संसर्ग, किडनी विकार, गैस, अस्थमा जैसे जटिल रोगों पर तथा मानसिक अवसाद, बेचैनी, उन्माद, हिस्टीरिया, अनिंद्रा तथा घबराहट जैसी  मानसिक समस्याओं पर बेहद उपयोगी है-

एक-एक चम्मच कमलकन्द सुबह शाम खाने से रक्तविकार दूर हो कर त्वचा का रंग निखरता है तथा त्वचा चमकीली व मुलायम बनती है-

कददू के फूलों का गुलकन्द-
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कददू के फूल शर्करा तथा इलायची व दालचीनी के योग से बन ने वाले कल्प को कुष्माकन्द कहा जाता है कुष्माकन्द पित्त सम्बन्धी समस्याएं, हार्मोनल गड़बड़ियां, रक्तचाप सम्बन्धी समस्याएं तथा ह्रुदयरोग में बेहद हितकारी उत्तम औषध है-

सुबह खाली पेट 1-2 चमच्च कुष्माकन्द खाने से ह्रदय रोग, पाचन सम्बंधित समस्याएं तथा शारीरिक दाह जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है-

अमलताश के फूलों का गुलकन्द-
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अमलताश की फूलो की पंखुड़ियां तथा शर्करा के योग से बनने वाले गुलकन्द को अमलकन्द भी कहा जाता है यह अमलकन्द पेट सम्बन्धित समस्त रोगों में बेहद कारगर औषधि है जीर्ण ज्वर में  चिरायता के क्वाथ के साथ दो चम्मच अमलकन्द लेने से ज्वर में बेहद फायदा होता है-

पुरानी कब्ज की समस्याओं में तथा कब्ज से उत्पन्न हुई बादी बवासीर में अमलकन्द बेहद हितकारी है।
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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
🌳🕉🌺संजीवनी परिवार 🌺🕉🌳
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