शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

चन्द्रप्रभा वटी

🌹✍🏻        चन्द्रप्रभा वटी           ✍🏻🌹

जासु कृपा  मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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आयुर्वेद की महान शास्त्रीय औषधियों में से एक चन्द्रप्रभा वटी वीर्य विकार और मूत्र सम्बन्धी रोगों के लिए सुप्रसिद्ध है. आज मैं आपको इसके गुण उपयोग और निर्माण विधि के बारे में डिटेल में बताऊंगा.

तो आईये सबसे पहले जानते हैं इसके गुण और उपयोग-

चंद्रप्रभा वटी मूत्र संसथान के रोग और वीर्य विकारों के सुप्रसिद्ध है. यह बल को बढ़ाती तथा शरीर का पोषण कर शरीर की कान्ति बढ़ाती है. प्रमेह और उनसे पैदा हुवे उपद्रवों पर इसका धीरे-धीरे स्थाई प्रभाव होता है.

सुज़ाक इत्यादि के कारण मूत्र और वीर्य में जो विकार पैदा होते हैं, उन्हें यह नष्ट कर देती है. शौच-पेशाब के साथ वीर्य का गिरना, बहुमूत्र, श्वेत प्रदर, वीर्य दोष, प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने में, पेशाब में जलन, पत्थरी, अंडवृद्धि, बवासीर, कमर दर्द, आँखों के रोग, स्त्री और पुरुष के रोगों में चंद्रप्रभा वटी से बहुत लाभ होता है.


आईये अब जानते हैं इसके कुछ प्रयोग विभिन्न रोगों पर -

मूत्राशय रोगों में -

मूत्राशय में किसी प्रकार की प्रॉब्लम होने पर पेशाब में जलन होना, पेशाब का रंग लाल, पेडू में जलन, पेशाब में दुर्गन्ध अधिक हो, कभी कभी पेशाब में शर्करा या चीनी भी आने लगे तो इस हालत में चन्द्रप्रभा वटी बहुत बढ़िया काम करती है, क्यूंकि इसका प्रभाव मूत्राशय पर विशेष होने से इसकी प्रॉब्लम दूर होकर पेशाब साफ़ आने लगता है और जलन दूर होती है.


किडनी या वृक्क की समस्या में -

जब किडनी सही से काम नहीं करता तो पेशाब कम बनता है और इसके वजह से भयंकर रोग उत्पन्न हो सकते हैं. पेशाब कम होने पर पुरे बॉडी में एक तरह का ज़हर फ़ैल जाता है और कई तरह की प्रॉब्लम हो सकती है. क्यूंकि पेशाब से ही शरीर का कचरा निकलता है.

ऐसी स्थिति में चंद्रप्रभा वटी बहुत कारगर है, इसे 2-2 गोली तीन बार पुनर्नवारिष्ट के साथ लेना चाहिए.

स्वप्नदोष, पेशाब पैखाने के साथ वीर्य निकलने पर -

नवयुवकों यह समस्या ज़्यादा पाई जाती है. शुक्रवाहिनी नाड़ीयों की कमज़ोरी की वजह से.

स्वप्नदोष का आयुर्वेदिक फ़ार्मूला

अगर पेशाब या टॉयलेट के पहले या बाद में वीर्य निकल जाता हो. स्वप्नदोष हो जाता हो, या किसी सुन्दर स्त्री को देखते ही या बात चित करते ही वीर्य निकल जाता हो, शीघ्रपतन की समस्या हो तो ऐसी अवस्था में चन्द्रप्रभा वटी 2-2 गोली सुबह शाम गिलोय या गुरीच के काढ़े के साथ खाने से फायदा होता है.


सुज़ाक की बीमारी में -

पुराने सुज़ाक में भी इसका उपयोग किया जाता है. चन्द्रप्रभा वटी को चन्दनासव के साथ लेने से पुराने सुज़ाक में फायदा होता है इस से रिलेटेड रोग दूर होकर पेशाब साफ़ आने लगता है.

स्त्री रोगों और गर्भाशय की कमजोरी में -

चन्द्रप्रभा वटी पुरुष रोगों के साथ-साथ स्त्री रोगों में भी फ़ायदेमंद है. यह गर्भाशय को शक्ति प्रदान कर उसकी विकृति को दूर कर के शरीर निरोग बना देता है. ज़्यादा सेक्स करने या अधिक संतान होने से कमज़ोर स्त्री के लिए यह बहुत ही फ़ायदेमंद है. शरीर में दर्द और पीरियड्स में दर्द होने पर भी लाभकारी है.

कुल मिलाकर देखा जाये तो चन्द्रप्रभा वटी स्त्री पुरुष के रोगों के लिए महान दवा है जो हज़ारों साल पहले भी असरदार थी और आज भी काम करती है.


यह दवा बनी बनाई मार्केट में मिल जाती है, आयुर्वेदिक कंपनियां इसका निर्माण करती हैं.

चन्द्रप्रभा वटी निर्माण विधि-

सिद्ध योग संग्रह का यह फ़ार्मूला है. इसके लिए आपको ये सब चाहिए होगा - कपूरकचरी, बच, नागरमोथा, चिरायता, गिलोय, देवदारु, हल्दी, अतीस, दारू-हल्दी, चित्रकमूल छाल, धनियाँ, बड़ी हर्रे, बहेड़ा, आंवला, चव्य, वायविडंग, गजपीपल, छोटी पीपल, सोंठ, काली मिर्च, स्वर्णमाक्षिक भस्म, सज्जी खार, यवक्षार, सेंधा नमक, सोंचर नमक, सांभर नमक, छोटी ईलायची के बीज, कबाबचीनी, गोखुरू और सफ़ेद चन्दन प्रत्येक 5-5 ग्राम 
निशोथ, दन्तिमूल, तेज़पात, दालचीनी, बड़ी इलायची, और बंशलोचन प्रत्येक 20-20 ग्राम

लौह भस्म 40 ग्राम, मिश्री 80 ग्राम, शुद्ध शिलाजीत और शुद्ध गुगुल प्रत्येक 160 ग्राम.

सभी जड़ी बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण बना लें और गुगुल को इमामदस्ते में कूटें जब गुगुल नर्म हो जाये तो शिलाजीत, भस्म और जड़ी-बूटियों का चूर्ण मिला कर गिलोय के रस में तिन दिनों तक खरल में डाल कर मर्दन करना चाहिए. और इसके बाद 500 मिलीग्राम की गोलियां बना कर सुखा कर रख लें.

तो दोस्तों, आज आप ने जाना आयुर्वेदिक दवा चन्द्रप्रभा वटी के बारे में. कुछ बात समझ न आई हो तो कमेंट से मुझसे पूछिये.


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🌳🕉🌺महिला संजीवनी 🌺🕉🌳
गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
9466623519
🌳🕉🌺संजीवनी परिवार 🌺🕉🌳
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