शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

झंडू पंचारिष्ट

🌹✍🏻     झंडू पंचारिष्ट           ✍🏻🌹

जासु कृपा कर मिटत सब आधि,व्याधि अपार

तिह प्रभु दीन दयाल को बंदहु बारम्बार

🌳🌺महिला संजीवनी 🌺🌳

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झंडू पंचारिष्ट (Zandu Pancharishta) के लाभ, उपयोग, मात्रा तथा दुष्प्रभाव के बारे में जानें।

झंडू पंचारिष्ट (Zandu Pancharishta) पाचन संबंधी रोगों और पेट की बीमारियों के लिए एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। यह पाचन तंत्र के कार्यों में सुधार लाती है और भूख बढ़ाती है। यह पेट की गैस, पेट फूलना, उदर विस्तार और पेट के भारीपन को दूर करती है। इस में मौजूद घटक अम्लपित में भी हितकर है। इसका प्रयोग पुरानी कब्ज और पेट में दर्द में भी किया जाता है।


घटक द्रव्य (Ingredients)
20 मिलीलीटर झंडू पंचारिष्ट (Zandu Pancharishta) में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:

घटक द्रव्यों के नाम मात्रा
द्राक्षा 500 मिलीग्राम
घृतकुमारी 400 मिलीग्राम
दशमूल 400 मिलीग्राम
अश्वगंधा 200 मिलीग्राम
शतावरी 200 मिलीग्राम
त्रिफला 120 मिलीग्राम
गिलोय 100 मिलीग्राम
बला 100 मिलीग्राम
मुलेठी 100 मिलीग्राम
त्रिकटु 60 मिलीग्राम
त्रिजात 60 मिलीग्राम
अर्जुन 40 मिलीग्राम
मंजिष्ठा 40 मिलीग्राम
अजमोद 20 मिलीग्राम
धनिया 20 मिलीग्राम
हल्दी 20 मिलीग्राम
शटी (कपूरकचरी) 20 मिलीग्राम
जीरा 20 मिलीग्राम
लौंग 20 मिलीग्राम
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
झंडू पंचारिष्ट में निम्नलिखित औषधीय गुण है:

पाचक टॉनिक (पाचन) – पाचन शक्ति बढाने वाली (लगभग सभी जड़ी बूटियों में यह गुण है)
वातअनुलोमन – कोष्टगत वात को कोष्ट से बाहर निकाले
दीपन – अग्नि प्रदीपक
क्षुधावर्धक
हल्की रेचक – किशमिश और एलो वेरा के कारण
अम्लत्वनाशक (एंटासिड) – शतावरी, मुलेठी, धनिया और जीरा के कारण
रक्तरंजक (हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाती है) – किशमिश, शतावरी और अश्वगंधा के कारण
वातहर और बादी विरोधी (दशमूल, गिलोय और जीरा के कारण)
शोथहर – दशमूल, अश्वगंधा और अन्य के कारण
प्रतिउपचायक (एंटीऑक्सीडेंट) – सभी जड़ी बूटियां एंटीऑक्सीडेंट हैं
वेदनास्थापन – पीड़ाहर (दर्द निवारक) – विशेषत: पेट दर्द में लाभ करता है

चिकित्सकीय संकेत (Indications)
झंडू पंचारिष्ट निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:

कब्ज
गैस
अफारा या पेट फूलना
अरुचि
भूख की कमी
गैस के कर्ण होने वाला पेट दर्द
अम्लपित्त
अपच
अजीर्ण
बदहजमी
पेट में भारीपन
उदर विस्तार

औषधीय लाभ एवं प्रयोग (Benefits & Uses)
झंडू पंचारिष्ट का मुख्य रूप से पेट की बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता है। इस के सभी घटकों का पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है। यहाँ पंचारिष्ट के कुछ महत्वपूर्ण लाभ लिखे हैं।


किशमिश और एलो वेरा कब्ज कम कर देता है।
दशमूल, गिलोय और अश्वगंधा पाचन नली को मजबूत करता है और पेशियों की अनुकूलतम गति को बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए, ये घटक पुरानी कब्ज में प्रभावी बनाते हैं।
त्रिफला का सीधे हल्का रेचक प्रभाव होता है, जो कब्ज और अन्य पाचन रोगों के प्रबंधन में एक सहायक की भूमिका निभाता है।
शतावरी, मुलेठी, गिलोय, धनिया और जीरा अच्छे अम्लत्वनाशक (एंटासिड) हैं, जो अम्लता, गैस्ट्राइटिस (जठरशोथ) और हृद्दाह (सीने में जलन) से राहत देते हैं।
अन्य सभी घटकों की सहायक भूमिकाएं होती हैं। ये पाचन में सुधार और पाचन अंगों को शक्ति प्रदान करते हैं।

छाती में जलन, खट्टे डकार और अम्लपित्त (एसिडिटी)
झंडू पंचारिष्ट शतावरी, मुलेठी, गिलोय, धनिया और जीरा मौजूद है जो पेट में अम्ल के स्राव को मंद करने में लाभदायक है। इस लिए यह छाती में जलन, खट्टे डकार और अम्लपित्त (एसिडिटी) जैसे रोगों में लाभदायक है। यह भूख को अनुकूलतम स्तर पर रखने में सहायता करता है।

कभी कभी, एसिडिटी भी भूख में कमी और गले, छाती एवं पेट में जलन के कारण आहार में अरुचि पैदा कर देती है। कई रोगियों में यह देखा गया है। पंचारिष्ट इन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है। हालांकि, यदि इस के साथ में मुलेठी चूर्ण, आमला चूर्ण, प्रवाल पिष्टी, मुक्ता शुक्ति पिष्टी आदि भी लिया जाये तो यह यह अधिक उपयोगी सिद्ध होता है।

गैस, पेट फूलना, उदर में सूजन, उदर विस्तार या पेट में भारीपन
झंडू पंचारिष्ट वात नाशक (वातहर) और वातअनुलोमक है अर्थात यह कोष्टगत वात को कोष्ट से बाहर निकालता है और उस की उत्पति को नियंत्रित करता है।

इस में मौजूद किशमिश, एलो वेरा, जीरा, धनिया, त्रिकटु , मंजिष्ठा, अजमोद, जीरा और लौंग जैसे सभी घटक पेट की वायु, पेट फूलना, सूजन और पेट के भारीपन को कम करने में सहायक हैं।

भूख में कमी, अपच, अजीर्ण, बदहजमी
झंडू पंचारिष्ट में कुछ ऐसी जड़ी बूटियों है जिन में क्षुधावर्धक विशेषताएं और पाचन बढ़ाने वाले गुण है। यह भूख बढ़ाता है और अपचन, अजीर्ण, बदहजमी आदि को दूर करता है। यह  पाचन शक्ति को सामान्य करता है।

कब्ज
झंडू पंचारिष्ट के मुख्य घटक किशमिश और घृत कुमारी (एलो वेरा) हैं, जो नई पुरानी कब्ज को कम करने में सहायक होते है।

अश्वगंधा और शतावरी आंतों और पेट की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं, जो खाद्य पदार्थ को आंत में आगे चलाने में मदद करता है।

दशमूल, गिलोय और मुलेठी पेशियों की अनुकूलतम गति में सुधार लाते हैं।

पंचारिष्ट में कुछ जड़ी बूटियां यकृत (लिवर) के काम में सुधार लाती हैं, जिसकी मदद से आंतों में पित्त का उचित प्रवाह होता है, जिससे क्रमाकुंचन (peristalsis) में भी सुधार होता है।

यह सभी चीजें व्यक्ति को सभी प्रकार की कब्ज से छुटकारा पाने में मदद करती हैं।

आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome)
हालांकि, यदि आईबीएस  से पीड़ित रोगी को ज्यादा दस्त की सिकायत हो तो झंडू पंचारिष्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि रोगी को आईबीएस के साथ साथ कब्ज के लक्षण ज्यादा हो तो यह अधिक लाभ करता है।

पंचारिष्ट में सभी जड़ी बूटियां पेट की सूजन और कब्ज को कम करती हैं। तनाव भी आईबीएस के लिए एक ओर ठोस कारण है। अश्वगंधा और मुलेठी इस कारक से भी लड़ने में मदद करता है। इसलिए, पंचारिष्ट तनाव से जुड़े आईबीएस में भी प्रभावी है।


ज्यादा गैस बनने से होने वाला पेट दर्द
पंचारिष्ट में मौजूद दशमूल और जीरा वातहर और अनुलोमन क्रिया करते हैं, जो ज्यादा गैस बनने के कारण होने वाले पेट दर्द को ठीक करने में मदद करता है। यदि पेट में लगातार हल्का दर्द  बना रहे तो भी यह उत्तम कार्य करता है।  यदि पेट में भारीपन भी हो, तो भी यह लाभदायक सिद्ध होता है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
पंचारिष्ट की सामान्य औषधीय मात्रा  व खुराक इस प्रकार है:

औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे (6 से 10 वर्ष) 2.5 से 5 मिलीलीटर (1/2 से 1 चम्मच)
बच्चे (10 वर्ष से ऊपर) 5 से 10 मिलीलीटर (1 से 2 चम्मच)
वयस्क 30 मिलीलीटर (6 टीस्पून या 2 टेबलस्पून)
सेवन विधि
पंचारिष्ट लेने का उचित समय (कब लें?) सुबह और शाम
दिन में कितनी बार लें? 2 बार
अनुपान (किस के साथ लें?) बराबर मात्रा गुनगुने पानी मिलाकर सेवन करें
झंडू पंचारिष्ट कैसे लें?
झंडू पंचारिष्ट की खुराक वयस्कों के लिए 6 चम्मच (30 एमएल) है। इसको पानी की बराबर मात्रा (30 एमएल) के साथ मिलाया जाना चाहिए और भोजन के तुरंत बाद लिया जाना चाहिए। पंचारिष्ट की अधिकतम खुराक एक दिन में 60 मिलीलीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

पंचारिष्ट का प्रयोग कितने समय तक करना चाहिए?
आमतौर पर झंडू पंचारिष्ट की प्रयोग अवधि न्यूनतम 1 महीने से अधिकतम 6 महीने तक होती है।

उपचार की अधिकतम अवधि स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकती है। कुछ लोगों को इसे 6 महीने के लिए भी लेने की आवश्यकता हो सकती है। पंचारिष्ट से आम तौर पर हर किसी को पाचन रोगों से राहत 3 महीने के भीतर मिल जाती है, लेकिन अगर आपको 3 महीने के भीतर राहत नहीं मिलती है, तो आपको चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

दुष्प्रभाव (Side Effects)
झंडू पंचारिष्ट ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है। इस में कोई ऐसी जड़ी बूटी नहीं है जिसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव (side effects) हो।


सावधानियां
मधुमेह में सावधानी से प्रयोग

मधुमेह के रोगियों को इसका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। मधुमेह ग्रसित लोगों के रक्त शर्करा स्तर की जाँच करते रहना चाहिए। पंचारिष्ट में शर्करा और किशमिश होती है जो आप  के रक्त शर्करा स्तर को बढ़ा सकती है।

ऐल्कोहॉल स्तर वाली औषधियां को भी मधुमेह में उपयोग ना करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे रक्त शर्करा स्तर में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

मुँह में छाला

हालांकि, पंचारिष्ट में कुछ शीतलता प्रदान करने वाली जड़ी बूटियां हैं, जिसका अर्थ है कि यह मुँह के छालों और अम्लता में भी राहत प्रदान कर सकता है। किण्वन प्रक्रिया और ऐल्कोहॉल स्तर के कारण, अल्सर रोधी प्रभाव एक बड़ी हद तक कम हो जाता है। इसलिए, अगर किसी का मुंह के छालों का इतिहास है, यह मुँह के छालों की पुनरावृत्ति की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है। हालांकि, यह शायद ही कभी हो, लेकिन इस आशय की जानकारी होनी चाहिए।

आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें
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गुरुवेंद्र सिंह शाक्य
जिला -एटा , उत्तर प्रदेश
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